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सागरिका की समय सारणी - सागरिका महिला मंच

कुछ कार्यक्रम जो प्रतिदिन सगरीका पटल पर प्रेषित किये जाएंगे-

१- भजन संचालिका श्रीमती ममता एनु झा एवम सखियां( कोई भी भजन सीधे ग्रुप में न डालें ममता जी के पास भेजें वी रोज प्रभाती पोस्ट करेंगी)

२ - श्रीमती अर्चना उमेश झा जी एवम सखियां (फिल्मी, गैर फिल्मी गाने, क्लासिकल, सेमिक्लासिकल व श्लोकों का सस्वर पाठ इत्यादि सीधे ग्रुप में न डालें इनके नम्बरों पर भेजें जिनका प्रसारण प्रतिदिन नियत समय पर किया जाएगा)


३ - श्रीमती वंदना आलोक ठाकुर जी एवम सखियां - लोक गीत, लोककला इत्यादि(इनके नम्बरों पर प्रेषित करें जिनका प्रसारण प्रतिदिन नियत समय पर किया जाएगा)

यहां से शुरू होते है महीने में दो- दो दोनों के कार्यक्रम की श्रंखला-( चूंकि बच्चे रविवार को फ्री रहते हैं तो उन्हें सभी रविवार मिलते हैं खूब इंज्वाय कीजिए बच्चा पार्टी)

सुबह-  

१-११ - २०२०,२ - ११ - २०२० सुबह योग एवम ध्यान - श्रीमती विनीता झा जी


 १ - ११ - २०२०,२ - ११ - २०२० को १० बजे से 

 साहित्य जगत - अनिता झा,एवम सखियां -

          ३ - ११ - २०२०  से ४ - ११ - २०२० मेहंदी रक्षा झा

सुबह-

५- ११ - २०२० से ६ - ११ - २०२० नृत्य  आराधना झा 


शाम - 
 
५ - ११ - २०२० से ६ - ११ - २०२० बच्चों की दुनिया सुषमा झा
सुबह
  ७-११ - २०२० से  ८- ११ - २०२० पाक कला ऋचा ठाकुर

शाम
      आत्म रक्षा अर्चना झा
९- ११ - २०२०  से १० - ११ - २०२०         
संस्कृत का प्रारंभिक ज्ञान व श्लोकों का सस्वर पाठ - श्रीमती अन्नपूर्णा ठाकुर एवम श्रीमती अनुसुइया झा एवम सखियां - 
सुबह-
११- ११ - २०२० सेे १२ - ११ - २०२० गृह सज्जा श्रीमती तनुजा झा जी एवम सखियां-             
शाम   
 मैथिल संस्कार, बोली एवम मिथिला की अन्य जानकारी डॉ. वंदना ठाकुर एवम सखियां-
सुबह-
१३- ११ - २०२० से १४ - ११ - २०२० हस्त कला प्रियंका ठाकुर  एवंम सखियां 
शाम-
बच्चों की दुनिया - श्रीमती सुषमा झा एवम सखियां-

सुबह-
१५- ११ - २०२० से १६ - ११ - २०२० बागवानी रेणु झा   
शाम-
प्राकृतिक चिकित्सा श्रीमती स्नेहलता झा, दामिनी झा जी एवम सखियां
सुबह-
१७- ११ - २०२० से १८ - ११ - २०२० ज्योतिषीय परामर्श श्रीमती कल्पना झा जी
शाम-
चिकित्सकीय परामर्श - डॉ. वंदना ठाकुर 
सुबह-
१९- ११ - २०२० से २० -११ - २०२० ब्यूटी टिप्स श्रीमती रक्षा झा शाम-
खाद्य संरक्षण श्रीमती कात्यायनी झा एवम सखियां-

सुबह-
२१- ११ - २०२०  से 22- ११ - २०२०   बच्चों की दुनिया श्रीमती सुषमा झा एवम सखियां-
शाम- 
एरोबिक, फूड एंड न्यूट्रिशन श्रीमती प्रांजलि ठाकुर
सुबह- 
२३ - ११ - २०२० से २४ - ११ - २०२० व्यक्तित्व विकास श्रीमती विभावरी झा
शाम-
कानूनी सलाह श्रीमती स्मिता झा
 


सुबह-
२५- ११ - २०२० सेे २६ - ११ - २०२०कार्यक्रम संचालन की जानकारी शुभ्रा ठाकुर
सुबह-
२७-११ - २०२० से २८ - ११ - २०२०   मैथिल ब्राम्हण शहीदों की गाथाओं का संकलन तथा समाज के विशिष्ट प्रतिभावान लोगों की जानकारियों का संकलन-श्रीमती ज्योती झा
 
२९- ११ - २०२० से 30 - ११ - २०२०सामाजिक आयोजन 


    इसके अतिरिक्त भी बहुत सी विधाएं है। साथ ही हमारी माताएं, बहने, बेटियां विभिन्न विधाओं में निपूर्ण हैं आप सभी से निवेदन है अपनी जानकारियों से हम सभी को भी लाभान्वित करें। ताकि हम आपकी विधाओं के लिए समय निर्धारित करें।
    आपलोग किसी विधा में हमारे साथियों के साथ मिलकर उनका साथ दे सकते हैं। हर विधा में कुछ और लोग रहेंगे तो कार्यक्रम और अच्छे से संचालित होगा साथ ही सभी माताओं, बहनों से मेरा आग्रह है। आप अपनी सुविधा से अन्य मैथिल ब्राम्हण सदस्यों को अपने साथ रखेंगी तो आपलोगों को भी मजा आएगा आप उनके नाम, नंबर मेरे नंबर पर भेज दीजिएगा।
    आपलोगों के सलाह और मार्गदर्शन से हमारा ग्रुप इतना अच्छा स्वरूप ले रहा है। इसी तरह अपने सुझाव,सहयोग, ममता बनाए रखिरगा। 


सागरिका परिवार के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन प्रणाम, आशीष यथायोग्य.....


       आपसभी की सहभागिता से हमारी सागरिका धीरे- धीरे अपना स्वरूप लेती जा रही है।

     जब परिवार में सदस्य संख्या बढ़ती है। तो आन्दोत्सवों के पलों में भी उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। हमारे सभी सदस्य अनमोल हैं सभी कई-कई विधाओं में पारंगत हैं। तो जाहिर सी बात है हम सभी की अच्छाइयों का लाभ भी सभी को मिलता रहे..... इन्ही बातों को ध्यान में रख कर हमने आपकी अपनी विधाओं को आपके अपनो तक पहुंचने के लिए सभी विधाओं की समयसारणी बनाई है। ताकि निश्चित दिन, समय पर सभी अपनी विधा से सबों को लाभान्वित कर सकें।

    हमारी वरिष्ठ माता तुल्य रायपुर निवासी श्रीमती स्नेहलता झा जी तथा गोंदिया निवासी श्रीमती दामिनी झा जी को संरक्षक की गरिमामयी जिम्मेदारी देते हुए हम आशान्वित हैं; उनकी ममतामयी छत्रछाया में हम अपने कार्यों का सम्पादन और भी अच्छे से कर सकते हैं।

    साथ ही आपसभी से निवेदन है अपने अपने शहर की ऐसी ही माताओं के नाम हमे दें संरक्षिका हेतु जिन्हें मोबाइल और वाट्सएप चलाने में परेशानी न हो ताकि वे हमारा मार्गदर्शन करते रहें। 

    जो अभी अभी सागरिका से जुड़े हैं उन्हें भी बताना जरूरी है कि यह ग्रुप हमसभी की प्रतिभाओं से समाज को लाभान्वित करने और सबसे सीखने सिखाने के उद्देश्य से बना है। तो इसमे किसी भी तरफ के फारवर्ड मैसेज न भेजें कार्यक्रमों के बाद जो भी समय बचत है उसमें अपनी स्वनिर्मित विधाओं का ही पोस्ट करें साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जब कोई क्लास चल रही है तब अन्य गतिविधियां न हों सिखाने वाले को सिखाने में और मजा आता है।

                     सागरिका समूह

   

    

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, शृंगार का समान वस्त्र कपूर , धूप, दीप आरती बैठने के लिए आसन गौरी गणेश कलश अमा का पत्ता लगा हुआ नैवेध फल नैवेध :- मीठा पूड़ी का भोग लगता है। उपवास : - संतान साते के दिन दिन भर उपवास रहते है। और पूजा करने के बाद मीठा पुड़ी ( पुआ ) खा कर व्रत तोड़ते है। इसके अलावा कुछ भी नही लेते जूस , चाय नीबू पानी पी सकते है। क्योंकि आज कल शुगर , बी पी की शिकायत रहती है। तो आप ले सकते है। अन्न नहीं लेते है। पूजा विधि शाम के समय गोधुली बेला में शिव पार्वती एवं उनकी परिवार की पूजा की जाती है। अच्छे से तैयार होकर सोलह शृंगार करके यह व्रत की जाती है। सर्व प्रथम गौरी गणेश कलश की पूजा उसके बाद गौर साठ की पूजा क्योंकि हम मैथिल ब्राम्हण है। तो हमारे यहा पर हर त्यौहार पर गौर साठ की पूजा की जाती है। उसी के बाद ही अन्य पूजा यह नियम महिलाओं के लिए ही है। गौर साठ पूजा के बाद शंकर पार्वती की पूजा जल से स्नान दूबी या फूल लेकर करें , फिर चंदन , रोरी कुमकुम लगाए पुष्प चढ़ाए , माला पहनाए संतान साते में सात गठान की मौली धागा से चूड़ा बनाए या जो सामर्थ है। वह सोने की कंगन या चांदी का कंगन बनाए एवं दूबी सात गाठ करके चढ़ाए 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कम से कम पांच या सात बार सभी सुहागनियों के द्वारा उसके उपरान्त स्नान अच्छी तरह करने दो गिला कपड़ा पहने रहें किसी छोटी बच्ची या बच्चा जो सुन्दर हो चंचल हो उसके हाथ से शंख में कच्चा दूध और पुष्प डाल कर भेजे बालक और बालिका को अच्छी तरह से देख र्ले उनसे शंख और दूध लेकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें इधर उधर किसी भी को ना देखें सूर्य नारायण को प्रणाम करें पूजा रूम में प्रवेश करें बाल मुंकुद को प्रणाम करें कपड़ा नया वस्त्र धारण करें शृंगार करें आलता लगाए पति पत्नी दोनों गंठ बंधन करके पूजा की जगह पर बैठ जायें पूजा जैसे हम करतेप्रकार करे आरती करें भोग लगाए तन्त् पश्चात् जो परात में आम का पत्ता के ऊपर दिया रखें दिया में चावल के घोल से . + बनाये सिन्दूर लगाए हल्दी सुपाड़ी सिक्का चुड़ी दो रखें प्रत्येक दिये में सिन्दूर की पुड़िया रखें गुझिया रखें उसे भोग लगा कर पूजा के बाद प्रत्येक सुहागिनों को आंचल से करके उनके आचल में दें । फिर पूजा स्थल पर कुश बढ़ाओं चौक डाले पाटा रखें उसके ऊपर गाय + बैल + कहुआ को गोत्र के अनुसार रखें बैले हो तो घोती आढ़ऐ गाय हो तो साड़ी पूजा के बाद कांसे के थाली में बनी हुई समाग्री को पांच कौर शहद डाल कर सास या मां के द्वारा पांच कौर खिलाए उसके पहले ओली में पांच प्रकार का खाद्य समाग्री डाले जैसे गुझिया अनारस फल मेवा डालें और छोटे बच्चे के हाथ से निकलवाए हास्य होता है। थोड़ी देर के लिए गुझिया निकला तो लड़का प प्ची निकला तो लड़की फिर सभी सुहागिनी यों को भोजन करवाए आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏ज्युतिया ,,यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है। शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर *दूसरे दिन*सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा शाम के समय पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून से ब्रश कर वही स्नानकर वही पूजा करते है। सभी महिला एक साथ मिलकर करती है। उन्ही में से एक महिला कथा सुनाती है। वहां पर जीउतिया उनका सोना या चांदी का बना लहसुन आकृति का रहता है। हर साल जीउतिया सोनार के यहा जा कर बढ़ाते है। उसी जीउतिया को हाथ में रख कथा कहती है। और हर महिला के बच्चों का नाम लेकर आर्शीवाद देती है। ये उनका अपना रिति है। परन्तु हमारे छत्तीसगढ़ में और हम अपने घर पर जिस तरह पूजा पाठ करते हुए देखा है। उसे ही हम आप सबके बीच प्रस्तुत किया है। त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी आपका अपना आशा ठाकुर अम्लेश्वर पाटन रोड छत्तीसगढ़ रायपुर 🙏🙏श्री गणेशाय नमः सधौरी की तैयारी गौरी गणेश + कलश चंदन रोरी कुमकुम घूप दीप कपूर अगरबत्ती नारियल भोग गौर साठ का डिब्बा रेहन चावल का पीसा हुआ हाथा देने के लिए एवं थाली कांसे की थाली मेवा काजू किशमिश बादाम छुहारा आदि ड्राई फूड मौसम अनुसार फल 60,आम का पत्ता मिट्टी का दिया 60 , चुड़ी सिन्दूर खड़ी हल्दी , खड़ी सुपारी 60 हल्दी 60 सुपारी जनेऊ बेसन शंख पाटा , पान का बिड़ा शहद नया वस्त्र पहने के लिए गोत्र के अनुसा मिट्टी का बैल , गाय , कछुआ जैसा हो गोत्र उसके अनुसार बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

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