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कन्या विवाह पद्धति - श्रीमती आशा ठाकुर अम्लेश्वर - सागरिका

चुनमाट्टी की तैयारी 
सर्व प्रथम घर के अंदर 
हाल या रूम के अंदर 
फूल गौड़ा चौक बनाए 
सिन्दूर टिक देवें उसके ऊपर सील बट्टा रखें 
 उसमें हल्दी खडी डाले खल बट्टा में चना डाले सर्व प्रथम मां गौरी गणेश की पूजा करें उसके बाद सुहासीन के द्वारा हल्दी और चना कुटे 
सबसे पहले जीतने सुहागिन रहते है उन्हों ओली में चावल हल्दी सुपाड़ी डाले सिन्दूर लगाये 
गुड और चावल देवें 
और हल्दी और चना को पीसे सील के चारों तरफ पान का पत्ता रखें हल्दी सुपाड़ी डालें  पान का सात पत्ता रखें 
पूजा की तैयारी 
गौरी गणेश की पूजा 
चंदन , रोरी ' कुमकुम ' गुलाल जनेऊ नारियल चढ़ाए फूल या फूल माला चढ़ाए दूबी . भोग अरती घूप अगर बत्ती वस्त्र मौली घागा वस्त्र के रूप में चढ़ा सकते है ये घर की अंदर की पूजा विधि चुलमाट्टी जाने के पहले की है।
चुलमाट्टी से आ कर घर में पूजा और चंदन चढ़ाना 
चंदन चढ़ाने की जगह पर फूल गौड़ा चौक डाले गौरी गणेश और लड़की की बैठने के लिए ये सब कार्य चुनमाटी में जाने के पूर्व कर लेवें आके सीधा गौरी गणेश और कलश की सर्व प्रथम पूजा करें और उसे चंदन चढ़ाए फिर लड़की को सात बार आम की पत्ते से चंदन लगाए 
सुहानी पहले चंदन चढ़ाए फिर मा फिर बाकी सब चंदन चढ़ाए 
चंदन चढ़ाने की तैयारी थाली में कर लेवें 
चंदन का घोल एक कटोरी में और आम का पत्ता डाल देवें कंधी तेल , आलता, फूल से बनी हुई माला हार ) पान 
लड़की को पूजा स्थल से हाथ में हथौना पकड़ा कर लावें 
हथौना के अंदर धान सुपाड़ी सिक्का चूड़ी सिन्दूर डाले और सुहासिन लड़की के सर पर अपना आंचल ढक कर जहा पर चंदन चढ़ाते है वही ले कर धार देते हुए लाए और पाटा या चौकी पर बिठा देवें 
सुहासिन जो चुलमाटी का नेग की रहती है वही चंदन चढ़ाए लड़की का  श्रंगार करें वस्त्र देवें और लड़की को मुगफल्ली बताशा देवे यह चंदन चढ़ाने की विधि

चुलमाट्टी से आ कर घर में पूजा और चंदन चढ़ाना 
चंदन चढ़ाने की जगह पर फूल गौड़ा चौक डाले गौरी गणेश और लड़की की बैठने के लिए ये सब कार्य चुनमाटी में जाने के पूर्व कर लेवें आके सीधा गौरी गणेश और कलश की सर्व प्रथम पूजा करें और उसे चंदन चढ़ाए फिर लड़की को सात बार आम की पत्ते से चंदन लगाए 
सुहानी पहले चंदन चढ़ाए फिर मा फिर बाकी सब चंदन चढ़ाए 
चंदन चढ़ाने की तैयारी थाली में कर लेवें 
चंदन का घोल एक कटोरी में और आम का पत्ता डाल देवें कंधी तेल , आलता, फूल से बनी हुई माला हार ) पान 
लड़की को पूजा स्थल से हाथ में हथौना पकड़ा कर लावें 
हथौना के अंदर धान सुपाड़ी सिक्का चूड़ी सिन्दूर डाले और सुहासिन लड़की के सर पर अपना आंचल ढक कर जहा पर चंदन चढ़ाते है वही ले कर धार देते हुए लाए और पाटा या चौकी पर बिठा देवें 
सुहासिन जो चुलमाटी का नेग की रहती है वही चंदन चढ़ाए लड़की का  श्रंगार करें वस्त्र देवें और लड़की को मुगफल्ली बताशा देवे यह चंदन चढ़ाने की विधि



तेल माटी की तैयारी 
दो दोना में गिला हल्दी पीस कर रख लेवें ज्यादा मात्रा में थोड़ा सा बूंद भर तेल हल्दी में डाल देवें 
चार बांस बास , दो मंगरोहन ,
दो कलश बड़ा वाला घडा में बनाए बड़ा परई दीप जलाने के लिए परई में ज्यादा टेल डालें और दो बाती रखें 
कलश में ज्यादा पानी भरें सुपाड़ी , हल्दी सिक्का अक्षत पीला दूबी थोड़ा सा एक फूल डाले कलश में पांच या सात आम का पत्ता डालें परई में बडा  बाती लगाए क्योकि यह शादी तक जलता है। . कलश को मंडप के नीचे रखने के लिए धान डालें धान ना मिलने पर चांवल डाल देवें  मंडप में  लगाने के लिए तोरन आम पत्ते से बनाए 
चुलमाटी में जिस तरह से जाते है ठीक उसी प्रकार तैयारी करके तेल माटी किसी देव स्थल पर जावें वही बास की दूकनी पकड़कर यहा पर सुहासीन बदल जाती है। किसी दूसरे जोड़ी को बनाया जाता है। उन्हें भी वस्त्र दिया जाता है। लड़की को चंदन उतार कर वही पर बैठाकर फिर तेल माटी के लिए जाए फिर आए पंडित जी के द्वारा पूजा करने के बाद पांच पंडित लड़की को हल्दी चढ़ाए 
चुलमाटी और तेल माटी से वापस घर आने के बाद दरवाजा में पानी उतारे और फिर गृह में प्रवेश करें

तेल माटी की तैयारी 
दो दोना में गिला हल्दी पीस कर रख लेवें ज्यादा मात्रा में थोड़ा सा बूंद भर तेल हल्दी में डाल देवें 
चार बांस बास , दो मंगरोहन ,
दो कलश बड़ा वाला घडा में बनाए बड़ा परई दीप जलाने के लिए परई में ज्यादा टेल डालें और दो बाती रखें 
कलश में ज्यादा पानी भरें सुपाड़ी , हल्दी सिक्का अक्षत पीला दूबी थोड़ा सा एक फूल डाले कलश में पांच या सात आम का पत्ता डालें परई में बडा  बाती लगाए क्योकि यह शादी तक जलता है। . कलश को मंडप के नीचे रखने के लिए धान डालें धान ना मिलने पर चांवल डाल देवें  मंडप में  लगाने के लिए तोरन आम पत्ते से बनाए 
चुलमाटी में जिस तरह से जाते है ठीक उसी प्रकार तैयारी करके तेल माटी किसी देव स्थल पर जावें वही बास की दूकनी पकड़कर यहा पर सुहासीन बदल जाती है। किसी दूसरे जोड़ी को बनाया जाता है। उन्हें भी वस्त्र दिया जाता है। लड़की को चंदन उतार कर वही पर बैठाकर फिर तेल माटी के लिए जाए फिर आए पंडित जी के द्वारा पूजा करने के बाद पांच पंडित लड़की को हल्दी चढ़ाए 
चुलमाटी और तेल माटी से वापस घर आने के बाद दरवाजा में पानी उतारे और फिर गृह में प्रवेश करेंदेवता पितर न्योतने की विधि 
 मौली घागा , सफेद धागा पांच बडा या छोटा सुपाड़ी चंदन रोरी कुमकुम गुलाल धूप दीप भोग फूल सफेद और लाल गौरी गणेश कलश पूजा जनेऊ दो परई और उसको ढकने के लिए दो प्लेट मिट्टी का 
अक्षत सफेद और पिला आटा गुथा हुआ परई को पैक करने के लिए देवता न्योतने के लिए सबसे पहले पांच सुपाड़ी परई के अंदर रखें और उसकी पूजा करें जैसे हर पूजा करते है। हाथ में जल पीला चांवल लेकर यह मंत्र बोले 
पान सुपाड़ी धवजा नारियल ले गणेश जी को न्यौता पठायो
इसी तरह हर देवी देवता को अहवाहन करें हाथ में जल चावल फूल ले कर कुल देवता देवी कीड़ा मकोड़ा हवा आंधी तूफान आदि को बुलाए और उसके बाद पूजा कर भोग लगा कर उस परई को ऊपर ढकन लगाकर आटा से पैक करें और मौली धाग स बांध दें टीका लगा देवें निशानी के तौर पर

तेल माटी की तैयारी 
दो दोना में गिला हल्दी पीस कर रख लेवें ज्यादा मात्रा में थोड़ा सा बूंद भर तेल हल्दी में डाल देवें 
चार बांस बास , दो मंगरोहन ,
दो कलश बड़ा वाला घडा में बनाए बड़ा परई दीप जलाने के लिए परई में ज्यादा टेल डालें और दो बाती रखें 
कलश में ज्यादा पानी भरें सुपाड़ी , हल्दी सिक्का अक्षत पीला दूबी थोड़ा सा एक फूल डाले कलश में पांच या सात आम का पत्ता डालें परई में बडा  बाती लगाए क्योकि यह शादी तक जलता है। . कलश को मंडप के नीचे रखने के लिए धान डालें धान ना मिलने पर चांवल डाल देवें  मंडप में  लगाने के लिए तोरन आम पत्ते से बनाए 
चुलमाटी में जिस तरह से जाते है ठीक उसी प्रकार तैयारी करके तेल माटी किसी देव स्थल पर जावें वही बास की दूकनी पकड़कर यहा पर सुहासीन बदल जाती है। किसी दूसरे जोड़ी को बनाया जाता है। उन्हें भी वस्त्र दिया जाता है। लड़की को चंदन उतार कर वही पर बैठाकर फिर तेल माटी के लिए जाए फिर आए पंडित जी के द्वारा पूजा करने के बाद पांच पंडित लड़की को हल्दी चढ़ाए 
चुलमाटी और तेल माटी से वापस घर आने के बाद दरवाजा में पानी उतारे और फिर गृह में प्रवेश करेंदेवता पितर न्योतने की विधि 
 मौली घागा , सफेद धागा पांच बडा या छोटा सुपाड़ी चंदन रोरी कुमकुम गुलाल धूप दीप भोग फूल सफेद और लाल गौरी गणेश कलश पूजा जनेऊ दो परई और उसको ढकने के लिए दो प्लेट मिट्टी का 
अक्षत सफेद और पिला आटा गुथा हुआ परई को पैक करने के लिए देवता न्योतने के लिए सबसे पहले पांच सुपाड़ी परई के अंदर रखें और उसकी पूजा करें जैसे हर पूजा करते है। हाथ में जल पीला चांवल लेकर यह मंत्र बोले 
पान सुपाड़ी धवजा नारियल ले गणेश जी को न्यौता पठायो
इसी तरह हर देवी देवता को अहवाहन करें हाथ में जल चावल फूल ले कर कुल देवता देवी कीड़ा मकोड़ा हवा आंधी तूफान आदि को बुलाए और उसके बाद पूजा कर भोग लगा कर उस परई को ऊपर ढकन लगाकर आटा से पैक करें और मौली धाग स बांध दें टीका लगा देवें निशानी के तौर पर

[03/01, 4:43 pm] Asha Didi: पितर न्यौतने की विधि 
परई में पांच मिट्टी का ठेला रखें उसकी पूजा करें सफेद चंदन सफेद फूल सफेद अक्षत चढ़ाए 
जितने पितर आपके है ससुराल और मंयका का तीन पिढ़ी सभी को जल और सफेद अक्षत लेकर बुलाए 
पितर बुलाने का मंत्र 
धोयल चांवल लै न्यौता पढ़ाए उन सभी का नाम ले कर उन्हें बुलाए जितने बार आप पितर को बुलाएगे उतने बार आप हाथ में जल और अक्षत फूल ले कर इस मंत्र के द्वारा बुलाए उसके बाद उस परई को आटा से बंद कर सफेद धागा से चारों तरफ लपेट के पूजा करें 
उसके बाद उसे कांसे के थाली में रखकर ले कर घर में लाए दरवाजा के पास पानी उतारे परछन करें फिर उसे पवित्र स्थान पर रख देवें
[03/01, 4:48 pm] Asha Didi: देवतैला जाना अर्थात् पांच मंदिर जाना है
सीधा रखना है। 
चांवल दाल नमक आलु आदि अपने सामर्थ के अनुसार देवी मंदिर में  शृंगार का समान चढ़ावे और कम से कम इक्कीस रुपया सभी पांच मंदिर में चढ़ावें किसी एक मंदिर में साड़ी चढ़ावें और  शृंगार का समान चढ़ाए 
पांच दोना में पीसा हुआ हल्दी लेकर जावे वहा पर पूजा कर  माता को हल्दी चढ़ाकर हल्दी का दोना वापस ले आवें
[03/01, 5:00 pm] Asha Didi: मातृका पूजा की तैयारी 
साठ लड्डु काला तिल से बना हुआ 
६० , पुड़ी ,60, बडा ,60, मिनी मिठाई ,60, केला , जनेऊ एक बन्डल , सुपाड़ी हल्दी , धोती , साडी दो , सुहागन के लिए  शृंगार  मातृका पूजा में दो साडी लगती है। पतल दोना मटर अदरक शहद , घी , कटोरी , कटा हुआ निबू , काला तिल , सफेद फूल सफेद चंदन , काला वाला मट्की रेहन से पोतकर उल्टा रखना है। मातृका की मुर्ति 
और सोलह मातृका गोबर से बनी हुई
मातृका के ऊपर में धान और दूबी लगाना है। बडा टूकना में चावल भर कर रखना  है।
[03/01, 5:04 pm] Asha Didi: चिकट 
जो हम देवी को चढ़ाकर वापस लाते है वही हल्दी मातृका पूजा हो जाने के बाद लड़की को लगाना रहता है। 
लड़की को पांच बार हल्दी चढ़ेगा 
हथोना पकड़कर पानी की धार देते हुए सुहासिन मंडप पर बार बार याने पांच बार लाने की क्रिया करते 
उसके बाद मां बाप जोड़ी से बैठते है और फिर हल्दी लगाकर उपहार वस्त्र आदि देते है लड़की की मम्मी पापा को
[03/01, 5:08 pm] Asha Didi: नहडोरी की तैयारी 
सात चूकिया , पर्रा , एक बाल्टी में पानी 
फूल गौड़ा चौक रेहन से 
जो साड़ी लड़की पहनी रहती है। वह साड़ी नवाईन की हो जाती है। चंदन का साड़ी मा पहनती है। किसी अन्य को नही देते
[03/01, 5:16 pm] Asha Didi: आमा महुआ की पूजा 
आम महुआ की पेड रहता है। उसकी पूजा की जाती है। घर पर ना रहने की स्थिति मे डाली लगा कर पूजा करते है। इससे लड़की का कोई दोष रहता है। वह समाप्त हो जाता है।
जल , चंदन , रोरी , कुमकुम फूल दूबी अगरबती धूप दीपक नैवेध लगा कर पूजा की जाती है। सात कपसा की छोटी छोटी आलता से रंगा हुआ टिकली पत्ते पर लगाना होता है। कच्चे धागा सात बार लपेटते है। 
पेड से भेट करते है। बहुत सारा चुड़िया , सिन्दूर की पुड़ी , जीरा की पुड़िया वहा पर उपस्थित जितने सुहागन रहते है उन्हें लड़की के द्वारा दिया जाता है। सुहागन अपने आंचल में लेते है। पेड के नीचे दिया जाता है।
[03/01, 5:27 pm] Asha Didi: कुवारी गौर पूजा 
की विधि 
सबसे पहले कुंवारी गौर पूजी जाएगी लड़की के द्वारा उस स्थान पर रेहन से फूल गौडा का  चौक दिया जायेगा उसके ऊपर  पाटा रखकर उसमें भी चौक दिया जायेगा फिर पाटा में हाथी , कोई एक हाथी रखता है। तो कही कही पर हो सादा हाथी रखें , हाथी के ऊपर दीप ना रखें 
 कांसे के कटोरी में पांच बडी सुपाड़ी रखें 
दाहिने हाथ की ओर पाटा के बगल में सजा हुआ बडा कलश रखें उसके अंदर जल अक्षत सुपाड़ी सिक्का हल्दी डाले बडा परई से कलश को ढक देवें उसमें तेल डालकर लम्बी बाती डालकर प्रज्जवलित करें घड़े के नीचे गौरी गणेश रखें 
पूजा की समाग्री चंदन रोरी कुमकुम गुलाल अगर बती घूप दीप नैवेध रखें 
सबसे पहले गौरी गणेश कलश की पूजा लड़की के द्वारा कराए फिर सुपाड़ी और हाथी की पूजा पूजा जैसे हर पूजा करते है ठीक उसी प्रकार है। 
फिर सुहगली खिलाए लड़की को साथ में बिठाकर कुछ मीठा पहले
[03/01, 5:31 pm] Asha Didi: गौर कल्याण का भात 
भात बनाकर पितर को भोग लगाते है 
टेमा टेमी लकड़ी में रुई लगा कर उसे घी या तेल से गिला करके भात और भजिया मौन रहकर बनाते है भात के ऊपर जलते हुए टेपा रखकर बैठे बैठे पीतर जहा पर हम रखे रहते है उस स्थान पर रखते है भोग लगाते है। प्रणाम करते है। 
उसके बाद ही सुहगली खिलाते है
[03/01, 5:34 pm] Asha Didi: सारा जावर 
एक जोड़ी गांठ बधा हुआ 
नारियल , जोड़ी जनेऊ , सुपाड़ी नौ खण्ड करा हुआ 
पान दान में रखकर एक लोटा या जग में पानी पाटा चौक
[03/01, 5:40 pm] Asha Didi: परछन की तैयारी 
सुपा सजा हुआ अर्थात् गोठा हुआ 
सुपा के अंदर राई ( सरसों) नमक रोरी ऐना , कंधी , काजल , गोबर से बना हुआ मुठिया , आटा से बना हुआ मुठिया , बना हुआ पान का बिडा रेश्म की धागा नारियल मंथानी आम का पता लगा हुआ दही , चांवल नारियल सिक्का 
बड़ा कलश साली पकड़ कर खडी होती है। सजा हुआ कलश
[03/01, 5:43 pm] Asha Didi: अठोगर 
वर की पूजा करना 
 अठोगर के पास धान , बोरी , मुसल आम पता लगा हुआ सजा हुआ कच्चा धागा
[03/01, 5:46 pm] Asha Didi: चंदन सुहाग की तैयारी 
चंदन का घोल सात दुबी बंधा हुआ कांसे की कटोरी एक कलश सजा हुआ उसके ऊपर परई ढका हुआ जिसमें सबसे पहले दमाद जी जल डालेगें उसके बाद माता पिता फिर अन्य जोड़ी चादर लड़की को ओढाना
[03/01, 6:40 pm] Asha Didi: कलश के ऊपर वर के द्वारा दिया गया वस्त्र एवं आभूषण परई के ऊपर रखना 
मंत्र पहले वर जल डालेगें और कहेंगे एक तिल का अष्टम भाग सुहाग दे रहा हूँ ' यह कहकर जल डालना फिर माता पिता उसके बाद अन्य लोग
[03/01, 6:40 pm] Asha Didi: धोबी सुहाग 
वर के द्वारा धोबी के लिए वस्त्र और श्रृंगार का समाना लाना और उसे धोबी न पहनकर पीला सिंदूर से लड़की को सुहाग देगी
[03/01, 6:40 pm] Asha Didi: अब शादी की तैयारी 
सबसे पहले आटा को गुथकर गोला बनाना 
कच्चा धागा , दही चावल रोचन पानी हल्दी और चुना से घोल बनाना ,पीतल का परात , शंख चांवल रोरी कुमकुम गुलाल 
अगरबती . दिया बाती दूबी हवन की लकड़ी लाई दोना 15, आलता बडा तांबे या पीतल या स्टील के घडे में पानी  तांबे या कांसे के लोटा धार देनेके लिए शुद्ध घी माचिस मंडप पर कुश बढ़ाओ चौक सील , हल्दी सात सुपाड़ी सात खड़ी वाली 
रंग पांच प्रकार का 
सप्त पदी रेहन के घोल से बना 
इस प्रकार 
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इस प्रकार
[03/01, 6:40 pm] Asha Didi: लड़का वाला चर्तुथी करवाना चाहते है तो उसी मंडप पर फिर से हवन करना खीर  लगता है। तो खीर भी बनाकर पूर्व रख लेवें 
शादी के बाद गौर पूजा गौर साठ मंडप से उठाकर पूजा स्थल पर रखना और गौरी गणेश कलश की पूजा करना सुपाड़ी हाथी की पूजा करना गौर साठ की पूजा करना फिर बिदाई के समय गौर साठ की डिब्बा में जो पूजा की सुपाड़ी रहती है। उसे उस डिब्बे में डालकर लड़की को दे देवें 
थाली में भोजन लेकर अहुरा बहुरा करवाना दमाद और बेटी दोनो थाली को एक दूसरे की अदान प्रदान करें
[03/01, 6:40 pm] Asha Didi: बिदाई के समय 
नारियल सुपाड़ी हल्दी और पीला चांवल रुपया आंचल में डाल देवे दमाद जी को भेंट स्वरूप वस्त्र नारियल जनेऊ और कुछ रुपए देवें 
बराती जितने आए हुए होते है उन्हें भी सामर्थ अनुसार भेंट देवे 
निकलते समय दमाद के द्वारा गोबर पहले दरवाजा के ऊपर लगाए और उसके बाद विदाई के समय भाई के द्वारा शरबत पिला कर बिदा करे


लड़की शादी में जोड़न भी बहुत महत्व होता है पहले कुछ साधन नही था लोग बहुत दुर सफर करके आना जाना किया करते थे और लड़की को कोशो दूर शादी करके भेज दिया करते थे तीन चार दिन का सफर होता था रास्ते में चीजों का उपलब्ध ना होना इस वजह से लड़की की शादी में जोड़ना का शायद प्रथा आरम्भ हुआ होगा रास्ते में कही पर रुक कर भोजन बनाकर आसानी से सफर की दूरी तैय किया जा सके औ यह भी कारण है की लड़की ससुराल जाती है तो सब नया नया अनजाने से रहते थे परदा प्रथा था किसी से कहने के लिए संकुचाते थे तो जो मयंका से जोड़न जाता था उसी से वह सब निकाल कर इस्तमाल करते थे किसी से भी कुछ कहने की आवश्यकता नही पड़ती थी और चतुर गृहणी की तरह कार्य भाल अच्छी से सम्भाल लेती थी इस वजह से जोड़न मयंका से लड़की के साथ में दिया जाता था तब से जोड़न की प्रथा मेरे अनुसार शायद आरम्म हुआ और रिति रिवाज में प्रचलित हो गया सब अपने सामर्थ के अनुसार अपनी लड़की को देना चाहते है एक से बढ कर एक वस्तुयें दी जाती है जोड़न में 
जोड़न में देने वाले मुख्य समान 
हिंग सुहागा और केसर मुख्य रूप से देना चाहिए लड़की के पास हमेशा श्री रहे करके इन सब चीजों को दिया जाता है 
2, गंजी , उपटन , कपड़ा , थाली , दो कटोरी , पाउदर ( जिसे हम कहते है पाव धर लड़की उसी के ऊपर पैर रखती पहले बार हाथा देने के समय अर्थात् साड़ी रखनी हे ) 
ननद , सास , काकी सास , बडी सास ससुर , जेठ , जेठानी और लोगों के लिए कपड़ा अपना सामर्थ के अनुसार देवें जोड़न में रखें पहले ननद सास सभी लोग लड़की के मंयका से आया हुआ ससननदा की साड़ी पहनकर डोला परछन किया करते थे इस लिए नेग में यह साडी दी जाती थी 
गृहस्थी का सारा समान और बर्तन रखा जाता है 
जैसे :- हल्दी , धनियाँ ,गर्म मसाला जीरा , सरसों , मैथी , पंच फोड़न , पापड बरी , बिजौरी , चावल पापड़ , साबुदाना का पापड़ , आलु चिप्पस काजू किसमिस , बदाम , छोहारा विभिन्न प्रकार के ड्राई फ्रूट सौप , सुपाड़ी , शक्कर , चाय पत्ती , चावल , दाल आदि अनेको वस्तुऐं अपने सामर्थ के अनुसार देनी चाहिए लड़की को हम जितनी भी सामाग्री दे बहुत ही कम लगता है आप की इच्छा के अनुसार आप जोड़न में दे सकती है चाय छन्नी चिमटा पकड गरम बर्तन को उतारने के लिए आदि सब दे सकती है
आशा ठाकुर 🙏🙏🌹🌹







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नकुल नवमी की कहानी  🙏🙏💐💐  सावन शुक्ल पक्ष नवमी का व्रत रखा जाता है। अपने बच्चों के लिए उनके सुख , समृद्धि एवं लम्बी आयु के लिए  मैंथि लों एवं और अन्य वर्ग जैसे हमने देखा है। बनिया कायस्त आदि भी अपने पद्धति के अनुसार इस देवी की पूजा करते है। उनका नियम कुछ दुसरा है। हमारा पद्धति कुछ इस प्रकार है।  नवमी की मूर्ति बनाई जाती है। कागज में और दिवाल में चिपकाई जाती है।  फुल गौड़ा चौक कलश कं लिए और सीता चौक माता के लिएठीक प्रतिमा के नीचे चौक डाले और पाटा या चौकी रखें उसके ऊपर माता का पैर बनाएं दाहिना हाथ की ओर गौरी गणेश और कलश का चौक डाले कलश स्थापित करे  चौकी या पाटा के ऊपर प्लेट रखें  गौर साठ का पूजा पहले करें फिर गौरी गणेश कलश फिर माता को आव्हान करें चंदा , सूरज , शंकर पार्वती नकुल नवमी का ध्यान करके उनका पूजन करें       पूजा की तैयारी  नौ दिया  नौ खड़ी सुपारी , हल्दी , दो  . दो चुड़ी सभी दिया के ऊपर , सिन्दूर , अक्षत डालने के लिए  चंदन , रोरी , सिन्दूर , दुबी खुला फुल , अगर बती , धूप , दीप , नैवेद्य , नैवे...

मधुश्रावणी व्रत २०२३ - सागरिका महिला मंच

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा🪷🪷 एक समय महर्षि द्पायन व्यास जी हस्तिनापुर आए उनका आगमन सुनकर राजरानी गांधारी सहित माता कुंती ने उनका स्वागत किया अर्द्ध पाद्य आगमन से सेवा कर व्यास जी के स्वस्थ चित् होने पर राजरानी गांधारी ने माता कुंती सहित हाथ जोड़कर व्यास जी से कहा, है महात्मा हमें कोई ऐसा उत्तम व्रत अथवा पूजन बताइए जिससे हमारी राजलक्ष्मी सदा स्थिर होकर सुख प्रदान करें, गांधारी जी की बात सुनकर व्यास जी ने कहा, हे देवी मैं आपको एक ऐसा उत्तम व्रत बतलाता हूं जिससे आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र आदि सुख संपन्न रहेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को स्नान आदि से निवृत हो शुद्ध वस्त्र धारण कर महालक्ष्मी जी को ताजी दूर्वा से जल का तर्पण देकर प्रणाम करें, प्रतिदिन 16 दुर्वा की गांठ, और श्वेत पुष्प चढ़कर पूजन करें, १६धागों का एक गंडां बनाकर रखें पूजन के पश्चात प्रतिदिन एक गांठ लगानी चाहिए, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माटी के हाथी पर लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजन करें ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर संतुष्ट करें इस प्रकार पूजन करने से आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र...

छत्तीसगढ़ मैथिल ब्राह्मण विवाह पद्धति आशा ठाकुर

चुनमाट्टी की तैयारी सर्व प्रथम घर के अंदर हाल या रूम के अंदर फूल गौड़ा चौक बनाए सिन्दूर टिक देवें उसके ऊपर सील बट्टा रखें उसमें हल्दी खडी डाले खल बट्टा में चना डाले सर्व प्रथम मां गौरी गणेश की पूजा करें उसके बाद सुहासीन के द्वारा हल्दी और चना कुटे सबसे पहले जीतने सुहागिन रहते है उन्हों ओली में चावल हल्दी सुपाड़ी डाले सिन्दूर लगाये गुड और चावल देवें और हल्दी और चना को पीसे सील के चारों तरफ पान का पत्ता रखें हल्दी सुपाड़ी डालें पान का सात पत्ता रखें पूजा की तैयारी गौरी गणेश की पूजा चंदन ,, रोरी '' कुमकुम '' गुलाल जनेऊ नारियल चढ़ाए फूल या फूल माला चढ़ाए दूबी . भोग अरती घूप अगर बत्ती वस्त्र मौली घागा वस्त्र के रूप में चढ़ा सकते है ये घर की अंदर की पूजा विधि चुलमाट्टी जाने के पहले की है। बहार जाने के लिए तैयारी सात बांस की टोकनी टोकनी को आलता लगा कर रंग दीजिए उसके अंदर हल्दी . सुपाड़ी खडी एक एक डाले थोड़ा सा अक्षत डाल देवें सब्बल '' या कुदारी जो आसानी से प्राप्त हो ,, सब्बल में या कुदारी में पीला कपड़ा के अंदर सुपाड़ी हल्दी और थोड़ा सा पीला चावल बाधे किसी देव स्थल के...