,, ज्युतिया ,,
यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।
विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है।
शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर
पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर
*दूसरे दिन*
सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा
शाम के समय पूजा करें
*पूजा की तैयारी*
चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप
भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए
गौर साठ का डिब्बा
गौरी गणेश कलश
चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए
पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे
पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह
आरती करें प्रसाद भोग लगाए
*तीसरे दिन*
सुबह स्नान कर भोजन बनाएं
पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है।
*पूजा के पूर्व संकल्प करें*
मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये ।
कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें
पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून से ब्रश कर वही स्नानकर वही पूजा करते है। सभी महिला एक साथ मिलकर करती है। उन्ही में से एक महिला कथा सुनाती है। वहां पर जीउतिया उनका सोना या चांदी का बना लहसुन आकृति का रहता है। हर साल जीउतिया सोनार के यहा जा कर बढ़ाते है। उसी जीउतिया को हाथ में रख कथा कहती है। और हर महिला के बच्चों का नाम लेकर आर्शीवाद देती है। ये उनका अपना रिति है। परन्तु हमारे छत्तीसगढ़ में और हम अपने घर पर जिस तरह पूजा पाठ करते हुए देखा है। उसे ही हम आप सबके बीच प्रस्तुत किया है।
त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी
आपका अपना
आशा ठाकुर अम्लेश्वर पाटन रोड छत्तीसगढ़ रायपुर
🙏🙏
*जीउतिया की कथा*
संक्षिप्त मे नौमिषाख्य तीर्थ में सभी स्त्रियां जा कर गौतम ऋषि से प्रश्न करती है। ऐसा कौन सा व्रत है जिसे करने से संतान दीर्घायु एवं तेजस्वी और स्वस्थ हो तब ऋषि ने कहा की महाभारत में द्रोपती अपने पुत्र को खो दिया था। अपने संतान को खोने के बाद धौम्य ऋषि के पास गयी पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत पूछा
तब धौम्य ऋषि ने सत्य बोलने वाला ज्यूत वाहन की कथा को द्रोपती को सुनाया
हे द्रोपती तुम ध्यान से कथा सुनो
एक बार ज्यूत वाहन अपने पत्नी एवं बच्चों के साथ ससुराल गये
एक स्त्री अपने पुत्र की शोक में चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी ।
जू ज्यूत वाहन को जैसे ही पता चला की एक गरुड़ प्रत्येक दिन आकर . उत्पात करता और मनुष्यों को उठाकर पर्वत पर ले जाता था। यह देख गांव वाले गरुड से विनती किया की आप ऐसा मत कीजिए हम सब एक एक दिन सभी गांवा वाले आपको भोजन देंगे और साथ में एक व्यक्ति
स्त्रीय ने ज्यूत वाहन से कहा आज मेरे पुत्र की पारी है। इस कारण में रो रही हूँ
तब ज्यूत वाहन सारा समान खाने का गाड़ी में भर कर स्वयं गया जैसे ही गरुड़ उसको देखा उस पर टूट पड़ा ज्यूत अपना हाथ आगे किया बाय हाथ खाने के बाद उसने दाहिना हाथ आगे बढ़ाया तब गरुड़ ने कहा तुम साधर व्यक्ति नहीं हो तब उन्होंने अपना परिचय दिया मैं शाली वाहन पुत्र ज्यूत वाहन हूँ । उनके त्याग को देख गरुड़ ने कहा तुम वर मांगों
तब ज्यूत वाहन गरुड़ से कहा यह गांव छोड़कर तुम दूर चले जाओं और आज तक जितने भी मनुष्य को खाये उन्हें जिवित कर दो तब गरुड़ नाग लोक जा कर अमृत लाया और सभी को जिवित किया । और वरदान दिया आज के दिन जो तुम्हारा पूजा करेंगी उनका पुत्र दीर्घायु और तेजस्वी होगा तब से यह प्रथा शुरू हुआ
एक जगह पर पूजा हो रहा था। उसका माहत्म चिल ने सियारी को सुनाया दोनों अष्टमी को उपवास किया नवमी को पारण किया पर सियार भुख सह ना सकी मांस का सेवन चुपचाप किया समय आने पर दोनों की मृत्यु हो गयी दोनों एक व्यापारी के घर जन्म लिया सियारीन बड़ी और चल छोटी हुई जैसे दोनों बड़े हुए बड़ी की शादी राजा से हुई छोटी की शादी मंत्री से रानी के पुत्र होते मर जाते और मंत्री का पुत्र स्वस्थ रहता रानी देखकर दुखी होती एक दिन रानी गुस्से में आकर मंत्री के बच्चे को काट कर दासी के हाथ से मंत्री के यहा भेजा दी ओडगन है। कह कर मंत्री की पत्नी पूजा कर रही थी। उसके बच्चे खेल रहें थे यह दृश्य देख दासी रानी को सब बातें बता दी तब रानी अपनी बहन जो मंत्री की पत्नी थी। उनको सब बातें बता दी मैंने ईष्या में आ कर सब किया है। मुझे क्षमा करें तब उसकी बहन पूर्व जन्म की बात बताई और कहा तुम ज्यूत वाहन की पूजा करो तुम्हें संतान प्राप्त होगा । ज्यूत वाहन की पूजा विधि वत की तब रानी के घर संतान की किलकारी गुंजने लगी तभी से यह व्रत किया जाता है। ज्यूत वाहन की जय
जो यह कथा कहता है। सुनता है। उनका संतान स्वस्थ दीर्घायु और तेजस्वी होता है।
आशा ठाकुर अम्लेश्वर
🙏🙏
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