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हरितालिका व्रत पूजन विधि - श्रीमती आशा ठाकुर सागरिका

श्री गणेशाय नमः 
 *हरतालिका व्रत पूजा विधि 
चौकी या पाटा शिव पार्वती की प्रतिमा रखने के लिए 
कांसे या तांबे की थाली , केला पत्ता अथवा बेल पत्ता अगर केला पत्ता उपलब्ध नही है। तो दोनों में किसी एक को मूर्ति बनाते समय थाली के नीचे रखकर बालु की मूर्ति बनाए 
 *मूर्ति बनाने की विधि*
सर्व प्रथम बालु को महिन छान लेवें  तत्पश्चात बालु में थोड़ा सा गंगा जल , शहद , बेसन , कच्चा दूध मिलाकर बालु से शिव जी एवं माता पार्वती जी का मूर्ति बनाए 
चौकी या पाटा के नीचे अष्टदल चौक एवं कलश रखने के लिए फूल गौड़ा चौक बनाए फिर सिन्दूर लगा कर चौक में उसके ऊपर थाली रख देवें फूल गौड़ा चौक के ऊपर नीचे थोड़ा चांवल डालकर कलश रखें 
तैयारी परात या थाली में इस प्रकार रखें 
चंदन , रोरी , कुमकुम , गुलाल , मौली धागा , जनेऊ एक जोड़ी शंकर जी एवं गणेश जी को चढ़ाने के लिए 
नारियल दो 
फूल , फूल माला एवं दूबी , बेल पत्र ,इंत्र , सुहाग का समान , वस्त्र , पान का पता , इलाची लौक , सुपारी भगवान को अर्पित करने के लिए 
धूप दीप , अगरबत्ती , कपूर , माचिस घी , दीपक आरती करने के लिए ,तेल भी चल सकता है। आसन बैठने के लिए 
जल , दूध , दही , शहद , शक्कर , पूजा करने के लिए 
भोग ( प्रसाद ) सिर्फ शिव जी को और गणेश जी को चढ़ता है। दूसरे दिन माता पार्वती को भोग लगाया जाता है। बांस से बनी पर्री या टोकनी में पुराने लोग पांच या सात लेते है। परन्तु जो नयी शादी सुदा बेटिया , बहू होती है। उन्हें सोलह पर्री लेना होता है। 
सोलह प्रकार का कलेवा या मिठाई , फल रख सकते है। दूसरे दिन सुहागन को दिया जाता है। पूजन करने के बाद ( विसर्जन ) के बाद 
गौर साठ का डिब्बा में अगर सिन्दूर कम हो तो अपनी इच्छा अनुसार पीला सिन्दूर लेकर गौरी , और गौर साठ में सात बार चढ़ाकर उसके बाद स्वयं सुहाग ले कर गौर साठ के डिब्बे में डाल सकते है। जिन्हें गौर रखना है। (सुपारी) वह चांदी या जो भी  धातु का कटोरी ले कर इन बड़े त्यौहारों में रख सकते है। मतलब बदल सकते 
जैसे कजली तीज , वट सावित्री , तीज़ में 
गौर साठ भी इसी दिन साफ किया जाता है। रोज नहीं किया जाता है। 
पूजा किस तरह करना है। आप सभी को पता है। हर पूजा की तरह करनी है। 
प्रातः काल उठ कर उबटन लगा कर स्नान करें नया वस्त्र एवं समस्त शृंगार का समान धारण करें , मेंहदी लगाए आलता लगाए  विधि वत पूजा करें गौर साठ में चांवल नही चढ़ता है। और ना ही सफेद फूल , लाल फूल चढ़ाए पीला आदि ना मिलने पर काला तिल चढ़ाए वैसे भी फूल मिल जाता है। तो भी काला तिल गौर साठ और जिस देवी देवता का पूजन करते है। तो उसे भी अर्पित करें , चना दाल भी चढ़ता है। शंकर और पार्वती माता को 
थोड़ा सा उसे भी तैयारी में रख लेवें पूजा करते समय चढ़ाए 
वंश वृद्धि होती है। तिल और चना दाल चढ़ाने से 
पूजा के स्थान को फुलेरा से सजाए अच्छी तरह खुशबु दार धूप जलाए इंत्र छिटे 
तब पूजा में बैठे 
पूजा के पूर्व यदि आपके घर में पूजा करने वाला पुरोहित ना हो तो ( पंडित जी ) तब इस मंत्र के द्वारा हाथ में जल , अक्षत , फूल , दूब , ले कर इस मंत्र से उच्चारण कर 
गौरी गणेश और शंकर पार्वती के पास नीचे छोड़ देवें फिर पूजा आरम्भ करें 
 *मंत्र इस तरह है।*
शिव पार्वती का आह्वाहन करें  
 अस्यां रात्रौ भाद्र मासे शुक्ल पक्षे तृतीयां तिथौ ( अपना नाम एवं गौत्र बोले अगर रात में करते है। तो रात्रौ बोले सुबह करते है। तो प्रातः बोले   दोपहर में करते है। तो मध्यकालीन कह कर उच्चारण करें )    मम दीर्घायु पुत्र  पौत्रादि   चिरंजीवित्व प्राप्तिकाम सकल पाप क्षय पूर्वक श्री गौरी गणपति हरतालिका व्रत महं करिष्ये 
 **आवाहन*
आसन, फल , फूल एवं बेल पत्र चढ़ाकर पूजन करें 
 *पूजन इस तरह करें* 
मैंने बहुला चौथ की कथा के समय समस्त पूजा में निम्नांकित मंत्र लिखा है। स्नान , चंदन , रोरी , आदि चढ़ाने का मंत्र 
स्त्रियां यदि पूजा करती है। तो नमो , ॐ की जगह उच्चारण करें भूर्भुवः स्वः  श्री - देव या देवी का नाम देव का करते है। तो देवाय एवं देवी का करते है। तो देव्यै नमः कह कर उच्चारण करें  
इहागच्छ इहतिष्ठ  इदं पुष्पासनम  , इदं पाध्यम् ,इदं अर्ध्य , । 
इदमा चनीयम् । 
इदं स्नानं  
इदं पंचामृत स्नानानं 
इदं शुद्धोदकं 
इदं वस्त्रं 
इ दं यज्ञो पवीतं 
चन्दन इद मनु लेपनं 
इ दं दूर्वा दलम् 
इ दं पुष्प माल्यं 
एष दीप एतानि नानाविधि पकवन्नादि 
इस तरह उच्चारण कर सभी वस्तुओं को चढ़ाना 
चुड़ी सिन्दूर , गहना के लिए इस तरह बोले इमानि सिन्दूरा   भरणानि ऐसा कहें 

पूजा कथा होने के बाद आरती क्षमा याचन करने के बाद 
 *विसर्जन*
ॐ यान्तु देवगणाः सर्वेपूजा मादाय मामकीं इष्ट काम फल सिद्धयर्थ  पुनरागम नाय 
स्व स्थान गच्छ 
 मंत्र पढ़ते समय हाथ में जल पुष्प अक्षत ले विसर्जन मंत्र पढ़े और गणेश जी के पास छोड़ देवें 
यह सब विधि उनलोगों के लिए है , जो अभी अभी शादी हुई है। और पूजा करनी है। पुराने सभी पूजा पाठ विधि से अवगत है। 
जो छूट गया हो पूजा विधि तो हमारी विदुषी संखियां मार्ग दर्शन करें 
मुहुर्त हमारी प्यारी प्यारी कल्पना दीदी सलिला दीदी बताए कब करनी है। शुभ मुहुर्त कब है। अमृत , चौघड़िया , शुभ लाभ 
राहु काल आदि का उल्लेख आप दोनों के द्वारा प्राप्त हो 
गलती हो मात्राओं में तो स्वयं विदूषी है। सुधार कर पढ़ें 
आशा ठाकुर
अम्लेश्वर 
🙏🙏

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