सागरीका की पवित्र सरिता माँ नर्मदा विधा "स्वस्थ रहें खुश रहें" संचालिका - श्रीमती भावना ठाकुर एवं सखियां - श्रीमती वंदना ठाकुर राजनांदगांव श्रीमती अर्चना ठाकुर चंगोराभाठा श्रीमती कुमकुम पाठक श्रीमती सविता ठाकुर श्रीमती रंजना ठाकुर श्रीमती निशा मिश्र १९ फरवरी नर्मदा जयंती *मैं नर्मदा हूं* 🏵🏵🏵🏵 *अपने यहां जो जल आ रहा है इसका महत्व समझें,और व्यर्थ बहने से रोके*🙏🏻 मैं नर्मदा हूं। जब गंगा नहीं थी , तब भी मैं थी। जब हिमालय नहीं था , तभी भी मै थी। मेरे किनारों पर नागर सभ्यता का विकास नहीं हुआ। मेरे दोनों किनारों पर तो दंडकारण्य के घने जंगलों की भरमार थी। इसी के कारण आर्य मुझ तक नहीं पहुंच सके। मैं अनेक वर्षों तक आर्यावर्त की सीमा रेखा बनी रही। उन दिनों मेरे तट पर उत्तरापथ समाप्त होता था और दक्षिणापथ शुरू होता था। मेरे तट पर मोहनजोदड़ो जैसी नागर संस्कृति नहीं रही, लेकिन एक आरण्यक संस्कृति अवश्य रही। मेरे तटवर्ती वनों मे मार्कंडेय, कपिल, भृगु , जमदग्नि आदि अनेक ऋषियों के आश्रम रहे । यहाँ की यज्ञवेदियों का धुआँ आकाश में मंडराता था । ऋषियों का कहना था कि त...