सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सागरीका की पवित्र सरिता शंखनी विधा "कानूनी सलाह " विधा संचालिका श्रीमती स्मिता झा एवं सखियां....

प्रति 23 तारीख को -
सुश्री मधुलिका मिश्र
श्रीमती अंनत अनसुइया झा
सामाजिक न्याय दिवस पर अन्याय कथा
-------------------------------------------------------
2007 में 20 फरवरी को UN द्वारा 'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' घोषित किया गया था। हर किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव के समान रूप से, न्याय मिल सके, यह इसका उद्देश्य है। आज 2021 में इस वर्ष की थीम है 'A Call for Social Justice in the Digital Economy' यानी 'डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए एक बुलावा'। न्याय दिवस की जरूरत क्यों पड़ी, यह समझना मुश्किल नहीं है। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, विचारधारा और आर्थिक  मुद्दों पर भेदभाव से सारा विश्व कहीं न कहीं प्रभावित है। जहां यह कम है, वह समाज या देश वास्तव में विकसित है। इधर हम खुद को देखें तो बहुत अफ़सोस होता है कि नैतिकता की बड़ी बातों के बावजूद हम बहुत ज्यादा अनैतिक हैं। तथ्यों के लिए राष्ट्रीय अपराध व्यूरो के आंकड़े देख सकते हैं, जो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। यह तो हुई रिकॉर्डेड सामाजिक अन्याय की संख्या पर जो रिकॉर्डेड नहीं है, वह भी कम नहीं है। इसके अलावा मन और वचन में हम देखें तो हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी स्तर पर सामाजिक अन्याय को बढ़ाने वाली सोच रखता है। 

दुनिया में स्त्री प्रताड़ना और यौन अपराध सबसे ज्यादा भारत मे होते हैं। जातीय प्रताड़ना का तो कहना ही क्या। दलित और आदिवासी विचारधीन कैदियों से जेलें भरी पड़ी हैं, वे कब निकल पाएंगे, कोई नहीं जानता। यह भी गौर करनेवाली बात है कि प्रताड़ना का रूप अत्यंत पीड़ादायी है। भारत मे यह प्रताड़ना अपमानजनक भाव से की जाती है, ऐसी कि देह ही नही आत्मा को भी जो कुचल दे। ऐसी प्रताड़नाएं जो यहां लिखी भी नहीं जा सकतीं और सभ्य व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। एक विशेष बात यह है कि बहुत सी प्रताड़नाएं या सामाजिक अन्याय रूढ़ियों, प्रथाओं की आड़ में जायज ठहराई जाती हैं।  इससे मानवाधिकार हनन को सामाजिक स्वीकृति की ओर ले जाने का प्रयास किया जाता है और लोग प्रत्यक्षतः नहीं तो मानसिक तौर पर समर्थन करते दिख जाते हैं।

यह विचित्र है कि हम विज्ञान के माध्यम से जीवन को अधिक समझते जा रहे हैं, दुनिया मे लोकतांत्रिक प्रणालियां सक्षम हुई हैं और मनुष्य के महत्व को धर्मग्रंथों से लेकर संविधानो तक में प्रमुखता दी गयी है, पर जमीनी सच्चाई बेहद खराब है। यहां शिक्षित होने से भी मतलब नही है। फेसबुक में ही नकारात्मक पक्षधरता के लोग लिखकर गालियां देते दिख जाते हैं। क्यों यहां की तहजीब लोगों को मनुष्य नही बना पाई, यह चिंतनीय है। जरा सी बात पर घृणा का भाव जाहिर हो ही जाता है लोगों में। यह घृणा मेंटल कंडीशनिंग से आती है जिसे समझना कठिन नहीं है।

महिलाओं की स्थिति, आर्थिक असमानता की बढ़ती खाई, सामाजिक रूप से कमजोर लोगों के खिलाफ अत्याचार, संसाधनों का अतिशय दोहन, आर्थिक भ्रष्टाचार, धार्मिक- जातीय विद्वेष और मानवाधिकारों के हनन संबंधी आंकड़े भयावह हैं। ऐसे में सामाजिक न्याय एक अपरिहार्य आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि व्यवस्थाएं इस हेतु सक्रिय नही हैं किन्तु क्रियान्वयन तो मनुष्य ही करते हैं। और जब तक मनुष्य स्वयम तटस्थ, मानवीय और सलेक्टिव संवेदना से परे नही होगा, सामाजिक न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति नही हो सकेगी।

अपमान, संत्रास और शारीरिक कष्ट का भाव एक ही रहता है पर इसे भी लैंगिक, जातीय ढंग से महसूस किया जाता है। हम तो पीड़ाओं को नही पहचान पा रहे तो इससे उबरेंगे कैसे? दुनिया के सारे दुःख साझे ही हैं। सबके खिलाफ सबको आना ही होगा अपने अपने स्तर पर। इसलिए पहले हम अपने आसपास, घर और समाज मे तमाम भेदभावों को परे रखकर अपने मानवीय होने को विकसित करें तो दीवारों पर लिखी बातों को सार्थक कर पाएंगे।

अनंत अनुसुईया झा सुरजपूर 
ग्राम बसदई
आप सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और  और अन्य सभी को मेरा यथा योग्य अभिवादन,
  आज हम बात करते हैं एक ऐसे अधिनियम की जिसकी जानकारी रखना हम सभी को अति आवश्यक है व्यापारी व खरीदार दोनों को ही यह जानकारी रखना अत्यंत जरूरी है। हम महिलाओं को तो रखना ही चाहिए क्योंकि हम में से 60% महिलाएं घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करती हैं और इस अधिनियम में ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधाओं  में जो धोखा मिलता है उसका भी ध्यान रखा गया है।इन सब के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (consumer protection Act 2019),20 जुलाई 2020 से लागू होगा और इसके विभिन्न नियमों और प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में उनकी मदद करेगा।
  आप कहेंगे उपभोक्ता संरक्षण से क्या मतलब:-  उत्पादों और सेवाओं की  गुणवत्ता,शुद्धता, मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके या यूं कहें कि अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
 इस नए अधिनियम की शुरुआत खरीदारों को न केवल पारंपरिक विक्रेताओं से बल्कि  ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं से भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई है।
 यह नियम उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा और इसके विभिन्न  अधिसूचित नियमों व प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
[  ] इस अधिनियम  की विशेषताएं क्या है:-    इस कानून से सभी उपभोक्ताओं को ढेर सारे लाभ मिलेंगे 
1. उपभोक्ता देश के किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज कर सकेगा उसे अब 5 लाख  रुपए  तक के केस में कोई फीस नहीं भरनी होगी।
 2. नए कानून से सभी ऑनलाइन  तथा teleshopping कंपनियों को शामिल किया गया है । आप सभी को यह ध्यान में रखना है कि आप जो भी आर्डर करें उसका स्क्रीनशॉट या जो आपने  पार्सल रिसीव किया है उसका  कवर संभाल कर रखना है।यदि  आप के समान मे या कम्पनी की सेवा मे कुछ कमी है तो आप शिकायत कर सकते हैं,साथ ही इस अधिनियम में  आपको ऑन लाइन शिकायत करने का भी प्रावधान है । शिकायत और केस वहीँ करेंगे जहाँ आपने उस समान को मंगवाया है ।
*इस कानून के तहत खाने-पीने की चीजों को भी लिया गया है जिनमे मिलावट होने पर तथा MRP से अधिक कीमत पर बेचने मे जेल व जुर्माने का प्रावधान है ।
*इस कानून के तहत दोनो पक्ष के बिच पहले मध्यस्थता द्वारा निराकरण करने की कोशिश की जाती है।
*उसी तरह यदि आप कोई घर बिल्डर के द्वारा बुक किये वह तय किये हुए समय मे बना के नहीं देता या अपने वादे के अनुरुप कार्य नहीं करता या उसकी सेवा मे कमी हो तब भी आप उपभोक्ता फोरम के अन्तर्गत शिकायत कर सकते हैं ।
आप सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और  और अन्य सभी को मेरा यथा योग्य अभिवादन,
  आज हम बात करते हैं एक ऐसे अधिनियम की जिसकी जानकारी रखना हम सभी को अति आवश्यक है व्यापारी व खरीदार दोनों को ही यह जानकारी रखना अत्यंत जरूरी है। हम महिलाओं को तो रखना ही चाहिए क्योंकि हम में से 60% महिलाएं घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करती हैं और इस अधिनियम में ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधाओं  में जो धोखा मिलता है उसका भी ध्यान रखा गया है।इन सब के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (consumer protection Act 2019),20 जुलाई 2020 से लागू होगा और इसके विभिन्न नियमों और प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में उनकी मदद करेगा।
  आप कहेंगे उपभोक्ता संरक्षण से क्या मतलब:-  उत्पादों और सेवाओं की  गुणवत्ता,शुद्धता, मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके या यूं कहें कि अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
 इस नए अधिनियम की शुरुआत खरीदारों को न केवल पारंपरिक विक्रेताओं से बल्कि  ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं से भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई है।
 यह नियम उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा और इसके विभिन्न  अधिसूचित नियमों व प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
[  ] इस अधिनियम  की विशेषताएं क्या है:-    इस कानून से सभी उपभोक्ताओं को ढेर सारे लाभ मिलेंगे 
1. उपभोक्ता देश के किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज कर सकेगा उसे अब 5 लाख  रुपए  तक के केस में कोई फीस नहीं भरनी होगी।
 2. नए कानून से सभी ऑनलाइन  तथा teleshopping कंपनियों को शामिल किया गया है । आप सभी को यह ध्यान में रखना है कि आप जो भी आर्डर करें उसका स्क्रीनशॉट या जो आपने  पार्सल रिसीव किया है उसका  कवर संभाल कर रखना है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मधुश्रावणी व्रत २०२३ - सागरिका महिला मंच

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा🪷🪷 एक समय महर्षि द्पायन व्यास जी हस्तिनापुर आए उनका आगमन सुनकर राजरानी गांधारी सहित माता कुंती ने उनका स्वागत किया अर्द्ध पाद्य आगमन से सेवा कर व्यास जी के स्वस्थ चित् होने पर राजरानी गांधारी ने माता कुंती सहित हाथ जोड़कर व्यास जी से कहा, है महात्मा हमें कोई ऐसा उत्तम व्रत अथवा पूजन बताइए जिससे हमारी राजलक्ष्मी सदा स्थिर होकर सुख प्रदान करें, गांधारी जी की बात सुनकर व्यास जी ने कहा, हे देवी मैं आपको एक ऐसा उत्तम व्रत बतलाता हूं जिससे आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र आदि सुख संपन्न रहेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को स्नान आदि से निवृत हो शुद्ध वस्त्र धारण कर महालक्ष्मी जी को ताजी दूर्वा से जल का तर्पण देकर प्रणाम करें, प्रतिदिन 16 दुर्वा की गांठ, और श्वेत पुष्प चढ़कर पूजन करें, १६धागों का एक गंडां बनाकर रखें पूजन के पश्चात प्रतिदिन एक गांठ लगानी चाहिए, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माटी के हाथी पर लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजन करें ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर संतुष्ट करें इस प्रकार पूजन करने से आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र...

*सागरिका की पवित्र सरिता माँ महानदी पूजा अनुष्ठान विधा - संयोजिका श्रीमती आशा ठाकुर, श्रीमती भावना ठाकुर, श्रीमती सपना ठाकुर श्रीमती रक्षा झा एवं सखियां..... श्री गणेशाय नमः ,,श्री गणेशाय नमः सधौरी की विधि यह विधि नौवा महीने में किया जाता है। पंडित जी से शुभ मुर्हुत पूछकर किया जाता है। सबसे पहले सिर में बेसन डालने का विधि होता है। पांच या नौ सुहागन के द्वारा सिर पर बेसन डाला जाता है। और चूकिया से जल सिर के ऊपर डाला जाता है। उसके लिए नव चूकिया चाहिए होता है। बेसन मुहूर्त के हिसाब से ही डाला जाता है। इसमें विलम्ब नहीं करना चाहिए नहाने से पहले आंचल में हलदी + सुपारी + चांवल + सिक्का डालना चाहिए चावल का घोल से हाथ देते हुए उसमें सिन्दूर , पुषप दुबी डालें प्रत्येक हाथा में वघू या कन्या के द्वारा जहा पर बेसन डाला जायेगा वहां पर फूल गौड़ा चौक डाले चौकी या पाटा रखें फिर बेसन डालें और जल भी सिर के ऊपर डालें कम से कम पांच या सात बार सभी सुहागनियों के द्वारा उसके उपरान्त स्नान अच्छी तरह करने दो गिला कपड़ा पहने रहें किसी छोटी बच्ची या बच्चा जो सुन्दर हो चंचल हो उसके हाथ से शंख में कच्चा दूध और पुष्प डाल कर भेजे बालक और बालिका को अच्छी तरह से देख र्ले उनसे शंख और दूध लेकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें इधर उधर किसी भी को ना देखें सूर्य नारायण को प्रणाम करें पूजा रूम में प्रवेश करें बाल मुंकुद को प्रणाम करें कपड़ा नया वस्त्र धारण करें शृंगार करें आलता लगाए पति पत्नी दोनों गंठ बंधन करके पूजा की जगह पर बैठ जायें पूजा जैसे हम करतेप्रकार करे आरती करें भोग लगाए तन्त् पश्चात् जो परात में आम का पत्ता के ऊपर दिया रखें दिया में चावल के घोल से . + बनाये सिन्दूर लगाए हल्दी सुपाड़ी सिक्का चुड़ी दो रखें प्रत्येक दिये में सिन्दूर की पुड़िया रखें गुझिया रखें उसे भोग लगा कर पूजा के बाद प्रत्येक सुहागिनों को आंचल से करके उनके आचल में दें । फिर पूजा स्थल पर कुश बढ़ाओं चौक डाले पाटा रखें उसके ऊपर गाय + बैल + कहुआ को गोत्र के अनुसार रखें बैले हो तो घोती आढ़ऐ गाय हो तो साड़ी पूजा के बाद कांसे के थाली में बनी हुई समाग्री को पांच कौर शहद डाल कर सास या मां के द्वारा पांच कौर खिलाए उसके पहले ओली में पांच प्रकार का खाद्य समाग्री डाले जैसे गुझिया अनारस फल मेवा डालें और छोटे बच्चे के हाथ से निकलवाए हास्य होता है। थोड़ी देर के लिए गुझिया निकला तो लड़का प प्ची निकला तो लड़की फिर सभी सुहागिनी यों को भोजन करवाए आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏ज्युतिया ,,यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है। शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर *दूसरे दिन*सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा शाम के समय पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून से ब्रश कर वही स्नानकर वही पूजा करते है। सभी महिला एक साथ मिलकर करती है। उन्ही में से एक महिला कथा सुनाती है। वहां पर जीउतिया उनका सोना या चांदी का बना लहसुन आकृति का रहता है। हर साल जीउतिया सोनार के यहा जा कर बढ़ाते है। उसी जीउतिया को हाथ में रख कथा कहती है। और हर महिला के बच्चों का नाम लेकर आर्शीवाद देती है। ये उनका अपना रिति है। परन्तु हमारे छत्तीसगढ़ में और हम अपने घर पर जिस तरह पूजा पाठ करते हुए देखा है। उसे ही हम आप सबके बीच प्रस्तुत किया है। त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी आपका अपना आशा ठाकुर अम्लेश्वर पाटन रोड छत्तीसगढ़ रायपुर 🙏🙏श्री गणेशाय नमः सधौरी की तैयारी गौरी गणेश + कलश चंदन रोरी कुमकुम घूप दीप कपूर अगरबत्ती नारियल भोग गौर साठ का डिब्बा रेहन चावल का पीसा हुआ हाथा देने के लिए एवं थाली कांसे की थाली मेवा काजू किशमिश बादाम छुहारा आदि ड्राई फूड मौसम अनुसार फल 60,आम का पत्ता मिट्टी का दिया 60 , चुड़ी सिन्दूर खड़ी हल्दी , खड़ी सुपारी 60 हल्दी 60 सुपारी जनेऊ बेसन शंख पाटा , पान का बिड़ा शहद नया वस्त्र पहने के लिए गोत्र के अनुसा मिट्टी का बैल , गाय , कछुआ जैसा हो गोत्र उसके अनुसार बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

नकुल नवमी की कहानी  🙏🙏💐💐  सावन शुक्ल पक्ष नवमी का व्रत रखा जाता है। अपने बच्चों के लिए उनके सुख , समृद्धि एवं लम्बी आयु के लिए  मैंथि लों एवं और अन्य वर्ग जैसे हमने देखा है। बनिया कायस्त आदि भी अपने पद्धति के अनुसार इस देवी की पूजा करते है। उनका नियम कुछ दुसरा है। हमारा पद्धति कुछ इस प्रकार है।  नवमी की मूर्ति बनाई जाती है। कागज में और दिवाल में चिपकाई जाती है।  फुल गौड़ा चौक कलश कं लिए और सीता चौक माता के लिएठीक प्रतिमा के नीचे चौक डाले और पाटा या चौकी रखें उसके ऊपर माता का पैर बनाएं दाहिना हाथ की ओर गौरी गणेश और कलश का चौक डाले कलश स्थापित करे  चौकी या पाटा के ऊपर प्लेट रखें  गौर साठ का पूजा पहले करें फिर गौरी गणेश कलश फिर माता को आव्हान करें चंदा , सूरज , शंकर पार्वती नकुल नवमी का ध्यान करके उनका पूजन करें       पूजा की तैयारी  नौ दिया  नौ खड़ी सुपारी , हल्दी , दो  . दो चुड़ी सभी दिया के ऊपर , सिन्दूर , अक्षत डालने के लिए  चंदन , रोरी , सिन्दूर , दुबी खुला फुल , अगर बती , धूप , दीप , नैवेद्य , नैवे...

छत्तीसगढ़ मैथिल ब्राह्मण विवाह पद्धति आशा ठाकुर

चुनमाट्टी की तैयारी सर्व प्रथम घर के अंदर हाल या रूम के अंदर फूल गौड़ा चौक बनाए सिन्दूर टिक देवें उसके ऊपर सील बट्टा रखें उसमें हल्दी खडी डाले खल बट्टा में चना डाले सर्व प्रथम मां गौरी गणेश की पूजा करें उसके बाद सुहासीन के द्वारा हल्दी और चना कुटे सबसे पहले जीतने सुहागिन रहते है उन्हों ओली में चावल हल्दी सुपाड़ी डाले सिन्दूर लगाये गुड और चावल देवें और हल्दी और चना को पीसे सील के चारों तरफ पान का पत्ता रखें हल्दी सुपाड़ी डालें पान का सात पत्ता रखें पूजा की तैयारी गौरी गणेश की पूजा चंदन ,, रोरी '' कुमकुम '' गुलाल जनेऊ नारियल चढ़ाए फूल या फूल माला चढ़ाए दूबी . भोग अरती घूप अगर बत्ती वस्त्र मौली घागा वस्त्र के रूप में चढ़ा सकते है ये घर की अंदर की पूजा विधि चुलमाट्टी जाने के पहले की है। बहार जाने के लिए तैयारी सात बांस की टोकनी टोकनी को आलता लगा कर रंग दीजिए उसके अंदर हल्दी . सुपाड़ी खडी एक एक डाले थोड़ा सा अक्षत डाल देवें सब्बल '' या कुदारी जो आसानी से प्राप्त हो ,, सब्बल में या कुदारी में पीला कपड़ा के अंदर सुपाड़ी हल्दी और थोड़ा सा पीला चावल बाधे किसी देव स्थल के...