प्रति 23 तारीख को -
सुश्री मधुलिका मिश्र
श्रीमती अंनत अनसुइया झा
सामाजिक न्याय दिवस पर अन्याय कथा
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2007 में 20 फरवरी को UN द्वारा 'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' घोषित किया गया था। हर किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव के समान रूप से, न्याय मिल सके, यह इसका उद्देश्य है। आज 2021 में इस वर्ष की थीम है 'A Call for Social Justice in the Digital Economy' यानी 'डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए एक बुलावा'। न्याय दिवस की जरूरत क्यों पड़ी, यह समझना मुश्किल नहीं है। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, विचारधारा और आर्थिक मुद्दों पर भेदभाव से सारा विश्व कहीं न कहीं प्रभावित है। जहां यह कम है, वह समाज या देश वास्तव में विकसित है। इधर हम खुद को देखें तो बहुत अफ़सोस होता है कि नैतिकता की बड़ी बातों के बावजूद हम बहुत ज्यादा अनैतिक हैं। तथ्यों के लिए राष्ट्रीय अपराध व्यूरो के आंकड़े देख सकते हैं, जो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। यह तो हुई रिकॉर्डेड सामाजिक अन्याय की संख्या पर जो रिकॉर्डेड नहीं है, वह भी कम नहीं है। इसके अलावा मन और वचन में हम देखें तो हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी स्तर पर सामाजिक अन्याय को बढ़ाने वाली सोच रखता है।
दुनिया में स्त्री प्रताड़ना और यौन अपराध सबसे ज्यादा भारत मे होते हैं। जातीय प्रताड़ना का तो कहना ही क्या। दलित और आदिवासी विचारधीन कैदियों से जेलें भरी पड़ी हैं, वे कब निकल पाएंगे, कोई नहीं जानता। यह भी गौर करनेवाली बात है कि प्रताड़ना का रूप अत्यंत पीड़ादायी है। भारत मे यह प्रताड़ना अपमानजनक भाव से की जाती है, ऐसी कि देह ही नही आत्मा को भी जो कुचल दे। ऐसी प्रताड़नाएं जो यहां लिखी भी नहीं जा सकतीं और सभ्य व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। एक विशेष बात यह है कि बहुत सी प्रताड़नाएं या सामाजिक अन्याय रूढ़ियों, प्रथाओं की आड़ में जायज ठहराई जाती हैं। इससे मानवाधिकार हनन को सामाजिक स्वीकृति की ओर ले जाने का प्रयास किया जाता है और लोग प्रत्यक्षतः नहीं तो मानसिक तौर पर समर्थन करते दिख जाते हैं।
यह विचित्र है कि हम विज्ञान के माध्यम से जीवन को अधिक समझते जा रहे हैं, दुनिया मे लोकतांत्रिक प्रणालियां सक्षम हुई हैं और मनुष्य के महत्व को धर्मग्रंथों से लेकर संविधानो तक में प्रमुखता दी गयी है, पर जमीनी सच्चाई बेहद खराब है। यहां शिक्षित होने से भी मतलब नही है। फेसबुक में ही नकारात्मक पक्षधरता के लोग लिखकर गालियां देते दिख जाते हैं। क्यों यहां की तहजीब लोगों को मनुष्य नही बना पाई, यह चिंतनीय है। जरा सी बात पर घृणा का भाव जाहिर हो ही जाता है लोगों में। यह घृणा मेंटल कंडीशनिंग से आती है जिसे समझना कठिन नहीं है।
महिलाओं की स्थिति, आर्थिक असमानता की बढ़ती खाई, सामाजिक रूप से कमजोर लोगों के खिलाफ अत्याचार, संसाधनों का अतिशय दोहन, आर्थिक भ्रष्टाचार, धार्मिक- जातीय विद्वेष और मानवाधिकारों के हनन संबंधी आंकड़े भयावह हैं। ऐसे में सामाजिक न्याय एक अपरिहार्य आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि व्यवस्थाएं इस हेतु सक्रिय नही हैं किन्तु क्रियान्वयन तो मनुष्य ही करते हैं। और जब तक मनुष्य स्वयम तटस्थ, मानवीय और सलेक्टिव संवेदना से परे नही होगा, सामाजिक न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति नही हो सकेगी।
अपमान, संत्रास और शारीरिक कष्ट का भाव एक ही रहता है पर इसे भी लैंगिक, जातीय ढंग से महसूस किया जाता है। हम तो पीड़ाओं को नही पहचान पा रहे तो इससे उबरेंगे कैसे? दुनिया के सारे दुःख साझे ही हैं। सबके खिलाफ सबको आना ही होगा अपने अपने स्तर पर। इसलिए पहले हम अपने आसपास, घर और समाज मे तमाम भेदभावों को परे रखकर अपने मानवीय होने को विकसित करें तो दीवारों पर लिखी बातों को सार्थक कर पाएंगे।
अनंत अनुसुईया झा सुरजपूर
ग्राम बसदई
आप सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और और अन्य सभी को मेरा यथा योग्य अभिवादन,
आज हम बात करते हैं एक ऐसे अधिनियम की जिसकी जानकारी रखना हम सभी को अति आवश्यक है व्यापारी व खरीदार दोनों को ही यह जानकारी रखना अत्यंत जरूरी है। हम महिलाओं को तो रखना ही चाहिए क्योंकि हम में से 60% महिलाएं घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करती हैं और इस अधिनियम में ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधाओं में जो धोखा मिलता है उसका भी ध्यान रखा गया है।इन सब के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (consumer protection Act 2019),20 जुलाई 2020 से लागू होगा और इसके विभिन्न नियमों और प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में उनकी मदद करेगा।
आप कहेंगे उपभोक्ता संरक्षण से क्या मतलब:- उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता,शुद्धता, मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके या यूं कहें कि अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
इस नए अधिनियम की शुरुआत खरीदारों को न केवल पारंपरिक विक्रेताओं से बल्कि ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं से भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई है।
यह नियम उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा और इसके विभिन्न अधिसूचित नियमों व प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
[ ] इस अधिनियम की विशेषताएं क्या है:- इस कानून से सभी उपभोक्ताओं को ढेर सारे लाभ मिलेंगे
1. उपभोक्ता देश के किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज कर सकेगा उसे अब 5 लाख रुपए तक के केस में कोई फीस नहीं भरनी होगी।
2. नए कानून से सभी ऑनलाइन तथा teleshopping कंपनियों को शामिल किया गया है । आप सभी को यह ध्यान में रखना है कि आप जो भी आर्डर करें उसका स्क्रीनशॉट या जो आपने पार्सल रिसीव किया है उसका कवर संभाल कर रखना है।यदि आप के समान मे या कम्पनी की सेवा मे कुछ कमी है तो आप शिकायत कर सकते हैं,साथ ही इस अधिनियम में आपको ऑन लाइन शिकायत करने का भी प्रावधान है । शिकायत और केस वहीँ करेंगे जहाँ आपने उस समान को मंगवाया है ।
*इस कानून के तहत खाने-पीने की चीजों को भी लिया गया है जिनमे मिलावट होने पर तथा MRP से अधिक कीमत पर बेचने मे जेल व जुर्माने का प्रावधान है ।
*इस कानून के तहत दोनो पक्ष के बिच पहले मध्यस्थता द्वारा निराकरण करने की कोशिश की जाती है।
*उसी तरह यदि आप कोई घर बिल्डर के द्वारा बुक किये वह तय किये हुए समय मे बना के नहीं देता या अपने वादे के अनुरुप कार्य नहीं करता या उसकी सेवा मे कमी हो तब भी आप उपभोक्ता फोरम के अन्तर्गत शिकायत कर सकते हैं ।
आप सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और और अन्य सभी को मेरा यथा योग्य अभिवादन,
आज हम बात करते हैं एक ऐसे अधिनियम की जिसकी जानकारी रखना हम सभी को अति आवश्यक है व्यापारी व खरीदार दोनों को ही यह जानकारी रखना अत्यंत जरूरी है। हम महिलाओं को तो रखना ही चाहिए क्योंकि हम में से 60% महिलाएं घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करती हैं और इस अधिनियम में ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधाओं में जो धोखा मिलता है उसका भी ध्यान रखा गया है।इन सब के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (consumer protection Act 2019),20 जुलाई 2020 से लागू होगा और इसके विभिन्न नियमों और प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में उनकी मदद करेगा।
आप कहेंगे उपभोक्ता संरक्षण से क्या मतलब:- उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता,शुद्धता, मानक तथा मूल्य के बारे में जानने का अधिकार जिससे कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके या यूं कहें कि अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
इस नए अधिनियम की शुरुआत खरीदारों को न केवल पारंपरिक विक्रेताओं से बल्कि ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं से भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई है।
यह नियम उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा और इसके विभिन्न अधिसूचित नियमों व प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
[ ] इस अधिनियम की विशेषताएं क्या है:- इस कानून से सभी उपभोक्ताओं को ढेर सारे लाभ मिलेंगे
1. उपभोक्ता देश के किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज कर सकेगा उसे अब 5 लाख रुपए तक के केस में कोई फीस नहीं भरनी होगी।
2. नए कानून से सभी ऑनलाइन तथा teleshopping कंपनियों को शामिल किया गया है । आप सभी को यह ध्यान में रखना है कि आप जो भी आर्डर करें उसका स्क्रीनशॉट या जो आपने पार्सल रिसीव किया है उसका कवर संभाल कर रखना है।
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