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पूजा, अनुष्ठान हेतु प्रश्नोत्तरी - सागरिका महिला सभा

प्रश्न - बड़ी मम्मी कमल का 108 फूल यदि न हो तो सिर्फ मंत्र पढ़कर लायची दाना या मूंगफल्ली दाना चढ़ा सकते है क्या?या अन्य फूल
पद्यावती स्त्रोत को 108 बार और बाकी चालीसा को भी 108 या कोई और लक्ष्मी जी का मंत्र पढ़ना है
उत्तर- स्त्रोत को बस ।०8 कमल फूल चढ़ाते समय करते जाना है
 कमल का फूल अगर पांच भी मिल गया तो उसे हम बार बार एक सौ आठ बार चढ़ा सकते है बस जितना बार चढ़ाना है उतने बार शुद्ध जल से फूल को छिड़काव करके फिर से उपयोग ले सकते है जैसे बेल पत्ती तुलसी दल या पत्ता नारियल ये झूठा नही माना गया है बार बार जल का छिड़काव करके हम चढ़ा सकते है अभाव वस अगर आसानी से मिल जाता है तो हम फ्रेश चढ़ा सकते अगर ना मिले तो कम फूल बेल पत्ती तुलसी दल नारियल को हम यूज कर सकते है इसमें कोई दोष नही
मेरा एक सवाल है आशा मौसी से कि भगवान को भोग किस धातु के बर्तन में लगाते हैं क्योंकि मेरे पास तम्बा और कांश दोनो के बर्तन में भोग लगती हूँ पर किसी ने कहा कि तांबे के पात्र में भोग नहीं लगाते हैं कृपया मेरा मार्गदर्शन करे 🙏🙏
उत्तर- स्टील वाला बर्तन मे नही लगाना चाहिये क्यो की लोहे के बर्तन मे यमराज का वाश होता है और ताबें वाला बर्तन मे विष्णु जी का वास हौता है तो  कांसे के बर्तन मे सभी देवी देवताओं को भोग लगा सकते है।
मेरा भी सवाल था
१- पूजा वाली जगह की साफ सफाई में क्या क्या करना चाहिए क्या नहीं करना है
२- माता को चढ़े हुए फूल रोज हटाना है या एकसाथ पूरी पूजा के बाद
उत्तर- कलश और चौक को ६ोड़कर  बाकी जैसे पूजा के बर्तन को साफ कर के उपयोग करें , जो लोग कलश स्थापना नौ दिन का करते हैं , , तो पूजा की जगह को झाडू से साफ ना करें , नीचे गिरे हुये सामग्री को कपड़े से झाड़ कर साफ करें ၊
पूल को शाम की पूजा  के बाद  रात में ही हटा देवें , ၊  दुसरे दिन सुबह पूजा के समय ताजी फूल चढ़ायें ၊एसा करने से देवी माँ हल्का पन महशूश करती हैं , जैसे , हम २ात्री में सारे काम निपटा कर. फ्रेश होकर आराम करते हैं , वैसे ही ईश्वरीय शक्तियों का भी होता है ၊ 
वो हमारे परिवार की सदस्य , या मेहमान की तरह होती हैं ၊ 🙏🏻🙏🏻🌹🌹
प्रश्न- आशा दी मैने सुना है कि दूध दही वाली वस्तुएं कांसे तांबे में अपना स्वाद बदल देती है  कसैला हो जाता है तो ऐसी वस्तुओं का भोग  स्टील में लगाएंगे न
उत्तर- कांसे के बर्तन मे बहुत देर . तक रखने से हो स्वाद खराब होता है। तो ज्यादा देर  भोग लगा कर  ना रखेथोड़ा सा निकाल कर कांसे के बर्तन या दोने में भोग लगाकर फि र जिस पात्र में ज्यादा मात्रा में प्रसाद रखा है उसमें डाल कर मिक्स कर दें भोग लगाने के थोड़ी देर बाद ,जैसे पानी में गंगा जल मिलाते हैं।
प्रश्न- कभी-कभी  मै कांच की कटोरी भी ले लेती हूं ,----?
उत्तर- कॉच की कटोरी मे नही लगाना चाहिये  लोग क्यो की पहले कॉच का बर्तन निकला ही नही था वो धातु मे कहाँ आता है।
प्रश्न- कांच तो  वास्तव मे मिट्टी है सिलिका (रेत ) है
उत्तर- हां
वंदना ठाकुर जी Kele ke ya aam ke patti me lagana bhi shudh mana jata hai
सारांश- बर्तन ना होने जैसे कांसे पितल तांबे का बर्तन उपलब्ध ना हो तो आम का पत्ता दोना उत्तम माना गया है भोग के लिये ताबे के बर्तन मँ पूजा की तैयारी  भी नही करते जैसे आप तांबे के बर्तन के अंदर पुजा समाग्री रखते  हो तो वह सब भगवान को तु रन्त  अर्पण हो जाता है  फिर वह देवी देवता में चढ़ाने लायक नही होता निर्माल कहलाता है।
सभी प्रश्नों के उत्तर श्रीमती आशा झा,वंदना ठाकुर,उषा झा, अल्पना झा व निशा ठाकुर जी द्वारा दिये गए।

सभी के प्रश्न्नों के जवाब आशा ठाकुुुर जी से
प्रश्न-Shugar present ko upvaas kise rahana chahiye is par bhi de vandana se charcha kar sakte hai kya neeta
उत्तर- सुगर वालो को थोड़ा थोड़ा देर में जो सुगर फ्रिर फल फल का शलाद और जुस दूध का सेवन करते रहें थोड़ा थोड़ा देर में कहा गया . है शास्त्र में जो व्यक्ति बिमार है उसके लिये सब छूट है खाते पीते पूजा पाठ करना चाहिये . इसमें कोई दोष नही है घट स्थापना के बाद आप सेघा नमक ले सकते है यदि आप उपवास ना रह पाये तो दोनो समय भोजन कर सकते है 🙏🏻🙏🏻शरद नवरात्रि आरम्भ होने वाला है 17 अक्टूबर से तो मैं कुछ नियम बताना चाहुगी नवरात्र के पहले की तैयारी और नेवरात्र में नौ दिन का नियम कैसे करना चाहिये इस पर चर्चा करती हूँ चलिये सब से पहले आरम्भ होने के पूर्व की तैयारी 
सबसे पहले भगवती की स्थापना करनी है घट बैठानी है वहाँ का जगह हम साफ कर ले पोताई करनी है तो किजिये नही तो पानी से उस स्थान को साफ कीजिये गंगा जल . से . उस स्थान या पूजा रूम को गंगा जल या गौ मूत्र से पंच . गोब से पवित्र कीजिये 
जिस दिन आप घट स्थापना करते है उस दिन आप सुबह से स्नान कर के स्वच्छ कपडे पहने ध्यान रहें स्नान करने के बाद अपना उतारा हुआ कपड़ा टच ना करें जिस बिस्तर में सोते है उसे भी टच ना करें अगर करना हो .तो स्नान के पूर्व कपड़ा घो लें अगर समय ना हो तो आप पूजा करने के बाद अपना कपड़ा बदल कर फिर बिस्तर और कपडा को टच कर सकते हो जो महिला या पुरुष नौ दिन का व्रत्र करता है उसे नौ दिन तक जमीन में सोना चाहिये बिस्तर पर बैठना नही चाहिये बीमारा आदमी जो जमीन पर शयन नही कर सकता  नीचे बैठ नही सकता वह साफ सुथरा चदर डाल कर बैठ सकता है और सो सकता है 
यदि पहले दिन स्त्री घट की स्थापना कर ली है और उसे रजवसला आ गया है वह स्त्री पूजा पाठ नही कर सकती उसके बदले में कोई अन्य व्यक्ति कर सकता है पर वह स्त्री नौ दिन का व्रत्र रहेगी हाँ और एक बात घट स्थापना हो जाये या अनुष्ठान आरम्भ हो जाय और उस घर में छूतक लग जाये जैसे किसी का जन्म या मृत्यु तो उस स्थिती में अनुष्ठान करने वाले को छु तक नही लगता नियम यह है कि उस स्थान पर अनुष्ठान पाठ करने वाला स्त्री या पुरुष ना जाय बाकी घर के सभी सदस्यो को छुआ लगेगा नौ दिन के अन्दर की नियम है 
व्रत्र करने वाला दूध से बना हुआ फलहार फल फूल लेना चाहिये नमक एक ही बार लेना चाहिये पूजा आरती होने के बाद हल्दी और पीसी मिर्ची का सेवन उपवास में नही करना चाहिये काली मिर्च का सेवन करना चाहिये बीमार व्यक्ति को थोड़ा थोड़ा देर में फल फल का शलाद जैसे ककडी सेब अंगूर आदि का शलाद लेना चाहिये पूजा के बाद यदि शरीर साथ दे रहा है तो आप एक बार फलहार कीजिये नही तो आप . दोनो समय सात्त्विक भोजन करें लहसून प्याज तामसी भोज न ना करें गरिष्ट चीजो का सेवन ना करें 
ये तो नियम और फलहार का सेवन कैसे करे व्रत्र में मेरे मत के अनुसार
प्रश्न-  yadi devi ka path kr rhe hai lekin kisi karn vash bich me ruk gya to usko kaise kr sakte hai mai pahle 13 adhyay padti thi abhi betu chhota hai to roj 1 ya 2 adhyay pad pati lekin bich ne ruk jato abhi tak nhi hua lekin puchna jruri haiplease bataiye aur path padne ka koi niyam to bhi
उत्तर-नही कर सकते है उसे छोड देते है क्यों की हमारा स्थिति उस लायक नही रहता मानसिक स्थिति से हम पाठ करने के लिये तैयार नही रहते क्योकि कई महिलाओ को तकलीफ ज्यादा रहती है शुद्ध होने के बाद एक दिन पूरा कर ले आखरी में यदि पिरेड आया तो छोड दो दोष नही पडता ।
प्रश्न-Path ko kis tarah se padhna mera matlab hai ki yadi 13 adhyay 1 din me nhi pad skte to kya 9 dino ne konsa adhyay kin kin din padna hota hai bataiyega
मौसी मैं नौ दिन उपवास करती हूँ और  पूरा सप्तसती का पाठ पूरे नौ दिन करती हूँ परंतु जैसे पहले दिन मै पाठ नशीं कर पाई तो दूसरे दिन दो पा ठ सुबह शाम करके कर सकती हूँ क्योंकि मै घट स्थापना नहीं कर पाती हूँ इसलिए देवी की मूर्ति की पूजा करके पाठ करती हूँ पूरा नौ दिन का नौ पाठ करती हूँ 🙏
उत्तर-नवरात्रि में सारा दिन सुबह दोपहर शाम और रात्रि कालिन में पूजा करनी चाहिये पूरा समय माता का रहता है जब चाहे पूजा कर सकती है शुद्ध हो कर घट स्थापना मुर्हुत देख कर करना चाहिये शुभ लाभ चौघडिया अमृत में ही करनी चाहिये बाकी जैसे करते है वैसे ही करना चाहियेहाँ आप समान्य पूजा भी कर सकते हो माता के सामने नौ दिन धी या तेल यथा शक्ति के अनुसार दिया जला कर कर सकते है दोनो समय आप जब तक आरती घूप दीप करते हो तब तक दिया जलनी चाहिये अगर आप अखण्ड दिया नही जला सकते तो थोडा देर तक दीप जलाकर पूजा कर सकते है कहते है दीप साक्षी का प्रतिक होता है इस लिये दीप जला कर पूजा आरती करते है।दूसरे दिन दो पाठ कर सकते है इस में दोष नही होता है मंदिरो में भी घट स्थापना करते करते बहुत समय लग जाता है तब पंडित जी दूसरे दिन पाठ करते है तो उनको दो पाठ करना पड़ता है .
प्रश्न- बहुत ही अच्छा जानकारी दिये आप  पाठ बताईये कौन सा करे 
और अगर उपवास  नही है सात्विक भोजन करे तो क्या पाठ कर सकते है??? 🙏🙏💐
उत्तर-दुर्गा सप्तशती का पाठ या फिर चालीसा दुर्गा जी का हम कर सकते है पाठ कर सकते है शास्त्र में लिखा है ना उपवास नही रह सकते हो तो भक्ति कर सकते हो प्रसन्न हो कर इसमें कोई दोष नहीबिल्कुल सही बेटा अगर अपना मन कहता है की हमें आज पूजा करनी चाहिये तो जरूर करनी चाहिये यही तो सची भक्ती है जरूरी नही आप ज्योत जलायें तभी भगवती की पूजा करें आप सुबह और शाम दोनों समय समान्य पूजा कर सकती पूजा करते तक आप एक दीप जलाये पूजा आरती करें प्रार्थना करें यह पूजा भी फल दायक है
प्रश्न- Badi mammi pahle kis tarah se pooja aur devi ko kya prasad chadana hai bataiyega
उत्तर- बहुत सुन्दर बेटा कहते हें ना मन चगा तो कठोती में गंगा मतबल हम पूर्ण श्रद्धा के साथ सच्ची लगन के साथ दो मिनट पूजा करें दिखा वा ना करके तो वह पूजा भगवती स्वीकार करती है और हमारी सभी मनोकामना पूर्ण होती है
पहले दिन अगर आप घट स्थापना और ज्योत जलाते हो तो विशेष पूजा होती है मंत्र से यदि मंत्र ना आये तो जय माता जय माता करते हुये पूजा करनी . चाहिये घट बैठाते हो तो पहले चौक डाले आप को जो चौक आता है उसे डाले पर मैथिलो में अष्ट दल और फुल गोडा चौक डालते है पर यह सब नही आता तो आप सीता चौक और कलश का चौक डाले कलश के नीचे आप चावल या धान डाले कलश के अन्दर आप अक्षत सुपाडी हल्दी खडी . सिक्का डाले उसके ऊपर आम पत्ता फिर दिया में बडा वाला दिया जिसमे तेल ढेर सारा आना चाहिये लम्बी बत्ती एक पाटा में लाल कपड़ा और उसके ऊपर हल्दी सुपड़ी नौ  नौ रखें पीला अक्षत पान का पत्ता माता का चौकी उसके ऊपर लाल कपड़ा फिर माता की मूति ज्योत के लिये आप मट्टी उसे स्वच्छ कपडा में छान ले थोडा सा राख साफ सुथरा फिर एक दिन पहले गेहु और जौ को भिगा ले फिर बडा सा बर्तन परई दुकनी किसी में भी मिट्टी और राख डालें गगा जल पंच गोब डाल दे फिर जौ या गेहूँ डाले
कवच अरग ला और तिलक को प्रति दिन करना चाहिये पहले फिर जब समय मिलें तो स्वच्छ कपडा पहन कर शुद्ध हो कर पाठ करना चाहिये

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पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में 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चुड़ी सिन्दूर खड़ी हल्दी , खड़ी सुपारी 60 हल्दी 60 सुपारी जनेऊ बेसन शंख पाटा , पान का बिड़ा शहद नया वस्त्र पहने के लिए गोत्र के अनुसा मिट्टी का बैल , गाय , कछुआ जैसा हो गोत्र उसके अनुसार बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

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