चौथे दिन कृष्मांडा देवी की पूजा होती है उस दिन माता को भूरे रंग की चुनरी चढ़ती है। निर्णय और मानसिक शांति के लिये माल पुवा का भोग लगाना चाहिये माता की उपासना करने पर घर में उनकी कृपा बनी रहती है और निर्णय लेने की माता से शक्ति प्राप्त होती है। माता की धुर मुस्कान वाली छवि से ही ब्रम्हांड की रचना हुई माता को सृष्टि की रचयिता भी कहते हैं। माता की भक्ति से अनहद चक्र की जागृति होती है अतः जो अपनी परालौकिक शक्ति को जागृत करना चाहते हैं तथा जीवन मे सुख की कामना करते हैं उन्हें म कुष्मांडा की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए।
माँ कुष्मांडा की सौम्य छवि होती है। माता को लाल फूल चढ़ाते हैं माता की पूजा हरे आसन में बैठ कर करना चाहिए। तथा माता छह भुजाओं से युक्त छवि लिए होती हैं उनकी भुजाओं में कमंडल, धनुष बाण, शंख,अमृत कलश होते हैं तथा गले मे सफेद जपमाला पहने होती हैं जो सभी सिद्धियों को देने वाली होती हैं माता शेरनी की सवारी करती हैं।
सिंघाड़े आटे के मालपुए
सामग्री:-
4 सर्विंग
1 कटोरी सिघाडे का आटा
आवश्यकतानुसार दूध
1/2 कप मावा
1 कप चीनी
1/2 कप पानी
2 बडे चम्मच कटा हुआ पिस्ता,बादाम
1 चम्मच इलायची पाउडर
200 ग्राम घी तलने के लिए
विधि:-
सबसे पहले एक बाउल में सिघाडे का आटा और मावा लें और अच्छी तरह से मिलाए ।अब दूध मिलाए और गाढा बैटर बना लें ।इसे अच्छी तरह से फेटे ताकि कोई लम्स ना रहे । 10 मिनट के लिए ढक कर रख दें ।
एक भगोने में पानी और चीनी डालें और खौलाए । इलायची पाउडर डालें और एक तार की चाशनी बना कर रख दें ।
अब कढाई में घी गरम कर उसमेँ छोटे छोटे पुए बना लें ।मध्यम आंच पर पुए तल लें ।गोल्डन ब्राउन होने तक तले और निकाल कर चाशनी में डाल दें ।
5मिनट तक चाशनी में भीगने दें । 5 मिनट के बाद प्लेट में निकाल कर कटे हुए पिस्ता,बादाम से सजाए और सर्व करें ।
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