*सागरिका की पवित्र नदी *माँ सरस्वती साहित्यिक विधा संचालिका श्रीमति अनिता शरद झा जी, श्रीमती पल्लवी झा एवम सखियां.
भाग - २
"त्योहारों का हो रहा आगमन
हर्षित होते हर घर आंगन
आओ मिलकर करें विचार
कैसे मनाएं अबके त्योहार"
जी हां साथियों हर अवसर की तरह इस बार की कोजगरा, करवाचौथ और दीपावली भी कुछ अलग ही अंदाज़ में होने वाली है। कहीं खुशियां, कहीं अपनों से जुड़ते संयुक्त परिवार, कहीं टूटते परिवार, कहीं अपनो को खोने का ग़म, कहीं नए सदस्य का हुआ आगमन, कहीं अपनो का इंतज़ार, कहीं साधन भरपूर, तो कहीं जीना दुश्वार।।
यही तो परिभाषा है जिंदगी की जिसे हमसभी को अपने जीवन काल मे कभी न कभी अनुभव करना होता है।
ऐसे में हम खुद को किस अवस्था में पाते हैं और हमारे आस पास के लोग किस अवस्था मे हैं इन बातों का ध्यान रखते हुए खुद को तथा अपने अपनो को सुरक्षित रखते हुए हमें कैसे त्योहार मनाना चाहिए इसपर केंद्रित होगी हमारी चर्चा
१ - इस बार कोविड 19 में त्योहार कैसे मनाएं
२ - आपकी नज़र में मितव्ययिता के क्या मायने हैं
३ - बजट में रहकर कैसे खुशी - खुशी त्योहार मनाएं
४ - त्योहार मनाने का सही उद्देश्य क्या होना चाहिए
ये कुछ बिंदु हैं जिन्हें केंद्र में रखकर हमारी चर्चा होगी जिससे त्योहारों के मूल रूप को महसूस कर सकें तो चलिए अगले शनिवार यानी दिनांक१ - ११ - २०२० व २ - ११ - २०२० को आगामी त्योहारों - कोजगरा, करवाचौथ और दीपावली पर सागरिक परिवार को अपने विचारों, सुझावों से अवगत कराएं
धन्यवाद
भाग- १
नीता झा-
आज आप सभी से एक ऐसे विषय पर चर्चा होगी जिसने सभी लोगों को दुखी कर रखा है; वो है हाथरस की बलात्कार की घटना।
यदि आपलोग सहमत हों तो कल सुबह से हम इस विषय पर एक मिनट का वक्तव्य रखें हम कल कुछ विषयों पर बात करेंगे जैसे
1- बलात्कार, छेड़ छाड़ की घटनाओं के लिए आप किन बातों को जिम्मेदार मानते हैं
2 - आजकल की वल्गर फिल्मों की भूमिका ऐसी घटनाओं में कहीं उत्प्रेरक की भूमिका तो नहीं निभा रहे हैं।
3 - नशे, बेरोजगारी, असंतुलित आर्थिक, सामाजिक व्यवस्था से उपजी कुंठा पर विचार रखे
4 - ऐसी समस्या के समाधान के लिए हम नागरिकों को क्या करना चाहिए।
5 - किसी भी तरह की विषम परिस्थिति का यदि सामना करना पड़े तो हम खुद को ऐसे सुरक्षित रख सकते हैं।
6 - आत्मरक्षा हेतु बच्चों को समझाने, तैयार करने के लिए अभिभावकों की भूमिका कैसी हो
आदरणीय सभी बड़ों को प्रणाम और सागरिका परिवार के सभी को यथा योग्य अभि वादन ।* मैं स्मिता झा अधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर
थोड़ी सी जानकारीआज के ज्वलंत मुद्दे में जो हम सबके बीच में है उस पर चर्चा करना चाहूंगी जो कि कानून से जुड़ी हुई।
नीता झा
स्मिता झा के विचार-
कुछ दिन पूर्व जो हृदय विदारक घटना हुई थी और जिस की जानकारी न्यूज़पेपर, मीडिया के माध्यम से हम सब को पता चल रहा है कि उत्तर प्रदेश के जिला हाथरस में एक लड़की 19 वर्ष की जिसका गैंगरेप हुआ साथ ही बड़ी बेदर्दी से उसकी जीभ काट दी गई और उसकी रीढ़ की हड्डियों को तोड़ दिया गया उसके बाद भी वह अपनी जिंदगी से 15 दिन लड़ती रही और 29 सितंबर 2020 को सफदरजंग हॉस्पिटल दिल्ली मे मौत के आगे हार गई।
मुद्दा जो गर्म आया है उसका कारण यह कि उसके परिवार वाले अंतिम क्रिया अपने रीति रिवाज से करना चाहते थे जो कि दिन में होता है किंतु उसकी अंतिम क्रिया रात 2:30 बजे हुई।
हम यहां कौन सही, कौन गलत इस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। आप सब की जानकारी के लिए यह बता दूं कि कल उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए लोकहित वाद के माध्यम से निर्णय पास किया है जिसमें महात्मा गांधीजी के शब्दों को उन्हीं की भाषा में लिखा गया है वह मैं यहां बताना चाहती हूं।
*"तुम्हें एक जंतर देता हूं जब भी तुम्हें संदेश हो या तुम्हारा अहम तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी आजमाओ:*
*जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो वह उस* *आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा? यानी क्या उससे उन करोड़ों* *लोगों को स्वराज मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त हैं?
*तब तुम देखोगे की तुम्हारा संदेश मिट रहा है और अहम समाप्त होता जा रहा है"*
आज यह समय आ गया है कि हम बापू के विचारों और सिद्धांतों के साथ खड़े रहे पर बदकिस्मती से यथार्थ स्थिति बहुत भिन्न है इन उच्च विचारों से।
स्मिता झा
सुनीता कर्महे जी के विचार-
स्मिता जी मैनें कल न्यूज़ में जो कुछ देखा वह अनुचित महसूस किया मैंने.
किसी का भी शव उसके परिवार को न देकर तथाकथित नयाय के रक्षकों के द्वारा जला दिया जाना कितना गलत है.
इसे एक एस डीएम द्वारा परोक्ष अपरोक्ष रुप से उचित ठहराना क्या न्यायोचित है..
जहाँ रक्षक की ही भक्षक बन जाए ऐसे न्याय के रखवालों के किसी परिजन के यहाँ ऐसी घटना होती तो क्या तब भी एक जिम्मेदार न्याय के रक्षक यही कदम उठाते.
ऐसे बहुत सारे प्रश्न हैं जो लगातार मन मष्तिक को झकझोर रहे हैं जिन्हे शब्दों की माला में ठिकाना मेरेे लिए असंभव है.
कुछ गलत लिखा हो तो अवश्य अपने विचारों से अवगत कराइयेगा.
सुनीता कर्महे
निशा ठाकुर जी के विचार-
जहां मैं वर्त मान में रहती हूं , वह आदिवासी अंचल है. यहां घरो घर महुए का शराब बनाया जाता था , सरकारी शराब दुकान भी थी, और लगभग 7० % लोग नशे के आदी थे। हमारे घर के पास ही शराब भट्टी थी।लोगों का मेला सा लगा रहता था। महिलाओं का बाहर निकलना मुश्किल था , क्योंकि सामाजिक जगह पर था , स्कूल , मंदिर।
फिर हम तीन चार महिलाओं ने मिल कर एक संकल्प लिया , कि चाहे कुछ भी हो , हम शराब बंद करवा कर रहेगें और चक्का जाम करके पहले बस्ती से हटवाया , फिर धीरे धीरे और महिलाएं हमारी मुहिम में शामिल होती गयी और फिर हम लोग देशी शराब दुकान बंद कराने में सफल हो गये ၊ इसके लिये हमें कोर्ट भी जाना पड़ा पेशी भी हुई , जमानत लेना पड़ा ၊ पर , हमने इस मुहिम को सफल बनाया। हमारे साथ हमारे गांव के वरिष्ठ नागरिकों का भी बहुत योगदान दिया ၊
अब नशे करने वालों की प्रतिशत बहुत कम हैं , ၊ 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹निशा ठाकुर
अंनत अनुसुइया जी के विचार
नीता जी स्मिता जी वर्तमान हालात पर सुंदर विचार रखे ।आगे बढ़ नारी स्मिता के सोचना चाहिये विचारो का स्वागत हैं !
भगवान से निवेदन पत्र”
वर्तमान घटनाओं को देख कर भगवान से निवेदन मन अंदर उठते सवाल जवाब
क्या हो सकते हैं ।
विषय आधारित रचना
भगवान को पत्र
मन को मनाते आस्था विश्वास ले कर
भगवान को पत्र लिखती हूँ ।
मेरे सवालों का हल चाहिये ,
मेरे भगवन नारी मन दुर्दशा
देख बेहाल मन हैं ।
प्रकृति की उत्पत्ति जन्म
फ़िर ये उत्पीड़न नर नारायण
क्यूँ नही समझ पाता हैं ।
घटनायें आदि काल से होती आई
पर ये विध्वंशक ,बर्बरता
कहे किससे सुने कौन
पेपर मीडिया टीवी अब सब बेकार हैं ।
उड़ जा उड़ जा लक्ष्य भेद आसमान
हनुमान संग सीता की आस हुई पूरी
सीता धरती में समा गई ।
पुरुषों में उतम राज काज नैतिकता का पाठ सिखाने आ गये पुरूषोत्तम
नर और नारी ही प्रबंधक हैं ।
मेरा ये पत्र पढ़ कर
अन्धकार में विश्वास जगाएगा ।
प्रकृति की ही त्रासदी से गुजर रहा इंसान
लगा भगवान ने मेरा पत्र पढ़ लिया ।
मानव में आजाएगा नव जागरण
लगा मेरे पत्रों को भगवान ने पढ़ लिया
मंदिरो में शांति का परचम लहरारहा हैं ।
अनिताशरद झा रायपुर
आदरणीय आपके विचार से मैं सहमत हूं मैं आदिवासी महिलाओं जनजाति उत्थान समिति की सुरजपूर जिला की सदस्य हूं ये हमारे सरकारी तंत्र की सबसे बड़ी देन है महुआ का शराब बनाना और हर आदिवासी को 5लीटर प्रतिदिन शराब बनाने का प्ररमिट है उनके पास जहां शराब, हडिया बाजार में चना, मुररा की तरह बिकता है जिसके कारण यहां बच्चे, महिला सभा नशे के आदि हो गये है, को फिर सरकारी शराब दुकान को छोड़ दीजिए बात करना ,
ये हमारी सरकारी प्रजातंत्र, राजनीति रोटी सेकने के लिए आप हम सबके सामने विरोध कर सकते है परन्तु उनसे भी वोट पाना है इसलिए शराब बनाना छतीसगढ में बंद नही हो सकता है,
ये राजनीति की दांव है उनको समझ पाना मुश्किल ही है,
अंनत अनुसुईया झा
श्वेता पंकज झा जी के विचार-
आज हम एक बहुत गंभीर विषय पर अपने अपने विचार प्रस्तुत कर रहे हैं बहुत दुख होता है जब हम news channel के माध्यम से ऐसी घटनाओं से रूबरू होते हैं मेरे विचार से ये एक निंदनीय अपराध है और इसकी जितनी भी निंदा की जाए वो कम ही होगी ग्रंथों में भी लिखा है जहाँ नारी का सम्मान नहीं होता वहाँ निश्चित ही पतन होता है इसकी शुरुवात हमें अपने ही घर से करना चाहिए हमें शुरू से अपने घर का माहौल ऐसा बनाना चाहिए की हमारी आने वाली पीढी अच्छे संस्कार सीखे एक माँ ही अपने बच्चे की पहली गुरु होती है अगर हम बच्चे की पहली गलती करने पर उसे टोकें और उसे उसकी गलती का अहसास कराएं तो वह दूसरी गलती करे ही क्यों? एक माँ को अपनी बेटी की अकेले माँ नहीं सखी बनकर भी रहना चाहिये और बचपन से ही बेटी को सही स्पर्श और गलत स्पर्श (good touch or bed touch) के बारे में बताना चाहिये हमें बेटी के साथ ऐसे घुल मिल जाना चाहिये की वो अपने दिनभर की दिनचर्या आपके साथ share करे जैसे वो अपनी सखी के साथ करती है बच्चों को स्वतंत्र रखे लेकिन स्वतंत्रता भी एक सीमा में होना चाहिये हाथरस की घटना ने हम सभी को झकझोर के रख दिया है हम दोष किसे दें पुलिस को, प्रशासन को, राजनीतिज्ञों को या समाज को ,दोष देने से कोई हल निकलने वाला नहीं है हमारे देश में एक् ऐसा कानून लाने की जरूरत है जिससे ऐसी घटना को अंजाम देने वाले की रूह कांप जाए इसमें तो बहुत समय लगेगा पर हम एक कोशिश कर सकते हैं ऐसी घटनाओं को रोकने की ,अंत में मैं एक कवि की दो पंक्तियाँ आपके सामने प्रस्तुत करती हूँ नहीं अपमान करना था, तुम्हें तो सम्मान करना था, नही भांति तुम्हारे कद पे ये बातें जरा सुन लो, तुम्हें तो कृष्ण बनके द्रोपदी का मान रखना था।
श्वेता पंकज झा
🙏🙏
आशा ठाकुर के विचार-
बलात्कार छेड छाड की घटना के लिये मैं पांच बातों को जिम्मेदार मानती हूँ -
1 नशा का फैलाव अधिक होना।
2 पुरुषों की मानसिकता दुर्बलता का होना।
3 सुनसान जगह का होना।
4 वल्गर फिल्मों का होना।
5 कानून का लचीला पन।
1,नशा का फैलाव -
प्रायः जब हम सुबह सोकर उठते हैं और जब अखबार पढ़ते है, तो सबसे पहले समाचार बलात्कार का ही देखने मिलता है।आज पांच साल की लड़की का रेप , ढाई साल की लड़की का रेप, आठ साल की बच्ची के साथ रेप
हां.... याद आया मुझे आप सब को पता ही होगा ना, जम्मु के कठवा में आठ साल की बच्ची आसिफा के बारे में बलात्कार करके नृशंत हत्या से पूरा भारत कांप उठा था।
निभर्या के साथ भयनाक रुह को हिला देने वाले दृश्य कितने ऐसे है जिन्हें हम बयां नही कर सकते रूह कांप सी जाती है।
हमें यह सब कहना, लिखना अच्छा नही लगता यह वर्णन नही दुर्भाग्य है की हमें ये सब लिखना पड़ रहा है। समय की नज़ाकत है कि हम आज की पीढ़ी के युवतीयों के हौसले बुलंद कर सकें इसके अलाव और कुछ भी नही शब्द ही नही सुझता क्या लिखे, कैसे बयां करें।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ नारी को पूजा जाता है , नारी शक्ति, मातृ शक्ति, आदि शक्ति से नवाजा जाता है बेटियों को नव देवीयों का स्थान दे, पैर पूजा जाता है।
एक ओर तो सम्मान दिया जाता है; तो दूसरी ओर पुरुषो की मानसिकता के आगे बेटियों, माताओं, बहुओं को उनही के आगे उनके ही जुल्म का शिकार होना पड़ता है।
कारण
नशा आदमी की सोच या फिर कहिये मानसिकता को विकृत कर देता है जिससे पुरुष अपने ऊपर नियंत्रण नही कर सकता और वह गलत दिशा में बह जाता है और स्त्री या महिला या फिर बच्चे को शिकार समझने लगता है। गुडिया और दामनी इसी नशे के चलते शिकार हुई थी।
पुरुषो की गिरी सोच से प्राय हमारा सामना होता है पोर्न फिल्में और उत्तेजक पुस्तकें पुरुष की मानसिकता को दुर्बल बनाती हैं।
ईश्वर ने नारी और पुरुषों की शारीरिक संरचना को अलग अलग बनाया है ताकि संसार आगे बढ सके
गन्दी सोच रखने वाले पुरुष बस यही सोचता है की स्त्री सिर्फ भोग विलासता के लिये हमें मिली है। उनके मन में दया करूणा की कोई जगह नही होती वें हमेशा स्त्रीयों को गुलाम सोचते है। वे जो करे सत्य, वे जो सोचे सब सत्य ना उम्र का लिहाज ना, रिश्ता का बस उनके नजर में हर स्त्री उनके भोग और विलासता के लिये है।
एकान्त में गुंडे, मवालीयों का अड्डा प्राय गांव और शहर में रहता हैै कई सालों तक मकान सुना पड़ा रहता है। बरसों से कोई सुध लेने वाला नही रहता बस इसी जगह को चुनकर वे अपना अड्डा बना लेते है और वही पर हत्या, बलात्कार जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं। पुलिस प्रशासन कोसों दूर रहते है पिड़ीता के चिल्लाने और चिखने की अवाज नही आती और ये आराम से अपराध को अंजाम देते है ऐसे केस बहुत ही देखने को मिलता है।
कानून ढिला - ढाला होना, सख्त ना होना भी अपराध को जन्म देता है। कानून को सख्त रुख अपनाना पडेगा तभी अपराध कम होगा किसी को भी घर्म जाति के चश्मे से नही देखना चाहिये अपराधि कही पर किसी भी जगह पर . किसी तेवर पर मिल सकता है हमें हर समय हर पल तैयार रहना चाहिये सतर्क रहना चाहिये बलात्कार एक प्रवृति है उसे रोकने के लिये एकमत होकर काम करना होगा तभी सम्भव हो सकता है इस प्रवृत्ति को रोकना अन्यथा सम्मव नहीं।
छोटी बच्ची को कभी किसी के पास अकेले नही छोड़ना चाहिये।
लड़कियों को हिम्मती, निडर बनाना चाहिये।
आशा ठाकुर 🙏🏻🙏🏻
नीता झा के विचार-
खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ सवधनियाँ जिन्हें हमेशा की आदत बना लें
1- घर से निकलते समय अपने साथ ऐसी कोई चीज़ जरूर रखें जिससे आप हमला होने पर स्वयम को बचा सकें
2 हमेशा आरामदायक जूते - चप्पलें पहने
3 समय के अनुसार मेकअप, कपड़ों, जेवर इत्यादि का चुनाव करें
4 कोशिश करें कहीं किसी से मिलने अथवा मीटिंग में सुनसान जगह पर अकेले न जाएं। कभी यदि बहुत जरूरी हो तो अपने किसी भी जिम्मेदार परिजन और मित्र इत्यादि को बताकर ही जाएं
5 अपने परिजन और मित्रों से निश्चित समय पर कॉल करें या उन्हें कॉल करने को कहें।
6 किसी भी प्रस्ताव अथवा अनुबंध पर बहुत सोच विचार कर तथा जानकर व्यक्ति से परामर्श के बाद ही सहमति दें
7 अपनी गाड़ी में पेट्रोल, डीजल भरवाकर तथा गाड़ी को सही रखें
8 घर से निकलते समय मोबाइल को पूरी तरह चार्ज करके रखें साथ ही लम्बी यात्रा में आवश्यक समान पर्याप्त मात्रा में रखें चार्ज किया हुआ पावर बैंक भी रखना चाहिए।
9 कहीं असुरक्षित महसूस करें तो किसीको बुरा न लगे सोचकर अपराध को बढ़ावा न दें वहां से निकल जाएं।
10 यदि कोई आपसे बुरी बात कहता है। कुछ भी असमान्य हरकतें या व्यवहार करता है। उससे दूरी बनाए तथा ऐसी बातों को अपने परिजनों साथियों से अवश्य बताएं और ऐसे व्यक्ति से सहयोग सलाह अथवा किसी भी तरह से सम्बन्ध न रखें।
11 लड़ाई- प्रतिकार करने से पहले अपनी स्थिति को जरूर परखें। जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थान में पहुंचने का प्रयास करें। साथ ही बिना देर किए लोगों को मदद के लिए फोन करें या पुकारें।
12 जब आप अकेले किसी से जूझ रहे हों तो याद रखिए आपकी मदद आपको स्वंय करनी है ऐसे में हिम्मत और दिमाग से काम लें।
13 बच्चे की सुरक्षा के लिए उन्हें कुछ कोडवर्ड बता कर रखें यदि कोई और उन्हें लेने आता है तो पहले से तय कोडवर्ड पूछने को कहें इससे बच्चे को समझ मे आ जाएगा उसे अपने भेज है या नहीं।
14 अपने पड़ोसियों से हमेशा अच्छे सम्बन्ध रखें आपस मे अपना वाट्सएप ग्रुप बना कर रखें कभी कोई अवांछनीय व्यक्ति किसीके भी घर जाता है तो मैसेज भेजें जो सबसे पास की महिला होगी वह बिनादेर किए आप तक पहुंच जाएगी उदाहरण के लिए आप फोन लगाकर यदि कहती है भाभी जल्दी आइये 1 सब्जी ही लाइये मतलब अकेले आइये पर जल्दी, बहुत जरूरी है।
दो सब्जी पर्याप्त है मतलब दो लोग और मामला कुछ ज्याफ गम्भीर हो तो आप पूरा खाना लेकर आइये तुरन्त ऑर्डर नोट कराएं।
इस तरह पूर्व निर्धारित कोडवर्ड से सबको मैसेज पहुच जाएगा और इस तरह सभी एक दूसरे को सुरक्षित, सतर्क रख सकते हैं।
नीता झा
निशा ठाकुर जी के विचार-
अपने बच्चों को बचपन से , सही गलत का बोध करायें , गुड टच , बैड टच के बारे में बतायें , साहसी , एवं निडर बनायें ၊
हम अमानवीय तत्वों की मानसिकता तो नही बदल सकते पर अपनी तरफ से बच्चों को बचपन से इसके लिये तैयार कर सकते हैं ,
सिनेमा बच्चों को गलत राह पर चलने का बहुत बड़ा कारण हो सकती है , ၊
हिंदु लड.कियों की अपेक्षा , मूसलमानी लड़कियों में इसका प्रतिशत कम रहा है ၊
निशा ठाकुर
चित्रा पाठक जी के विचार-
बलात्कार की घटना से सुरक्षा
1. घर से जाते वक्त बच्चों को पालक द्वारा अपनी सुरक्षा के लिये अपने साथ हमलावर को कमजोर करने के लिये लाल मिर्च आंख मे फूक देन चाहिए , और भाग कर किसी से सहायता लेनी चाहिए । 2. बच्चों को हमेशा नरम जूता, सेडल पहने ताकि और बच्चों अच्छी शिक्षा दी चाहिए कि फिल्मों मे जो दिखता है वो सही नही होता।3.आजकल के माहौल मे बच्चों अपन शरीर के हिसाब स कपडों का चयन करना चाहिए। 4.इस समस्या के लिये हम नागरिक ,परिवार , घर से निकलने से पहले यह सोचना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं। सुनसान जगह होने परकिसी जिम्मेदार सदस्य को लेकर और घर परिवार को बताये। 5. विषम परिस्थिति मे हमें सामना करने के लिये तैयार करना पडेगा। कुछ सुरक्षा सामग्री रख अपने परिचित को फोन करें या लेट होने पर फोन करने बोले। 6.अपनी आत्मा रक्षा के लिये कर्राटे जरूर सिखाये ।कर्रा टे आत्मा रक्षा के लिये सहयोगी सबित होगा। तथ अनुभवियो से सलह लेन चाहिए। 7.लम्बे सफर मेअपनी सुरक्ष के लिये मोबाइल हमेशा चार्जकर रखना चाहिए ।ताकि किसी भी विमेअपनी सुरक्षा हेल्थ लाइन नंबर से की जा सके। 8.हमेशा घर से निकलते समय सभी सुरक्षा सुविधा अपने साथ रहे। 9.यदि अपने आप को असुरक्षित महसू स करें तो सोच समझ कर शांत मन से कोशिश करे। 10.यदि कोई आपसे अभद्र व्यवहार करे तो उसे किसी तरह दूरी बनाकर कोशिश करे कि अपने परिवार तक कोड मे पहुंच जाये ।सूचना 11. वैसे तो आजकल पडोसियों से मधुर संबंध बनाकर रखे ।विपत्ति आपके काम आ सके। एवं अभी के माहौल मे बडे छोटे एकटि्व रहे । धन्यवाद
चित्रा पाठक
ज्योति रजत झा जी के विचार-
सब बहनों का मत मैने देखा पर मेरे मन मे एक बात आती है जब जब इस तरह की घटना घटित होती है कि हमसे कितनी बड़ी भूल हो गई है हम अपनी सभ्यता और सस्कृति को संभाल नही पाये क्या हमारे बेटे यैसे हो गये है हमको बेटियों और बेटे दोनों को कहाँ जा रहे हैं कब आयेगे यह पता होना चाहिये क्योंकि अपने बच्चों की संगत कैसी है यह हमको पता होना चाहिए बच्चा सच बोले सही और गलत का पता हो और नारी का सम्म्मान करे मुझे लगता है कि आत्म सुरक्छा और आत्म शक्ति दोनों जरूरी है जो मनो बल से परिपूर्ण होगा वह गलत करेगा ही नही लडकिया शाम के बाद अगर जाती है तो ग्रुप मे जाये पहनावा भी और बात करना यह मायने रखता है जिसमे हम माताको की जिम्मेदारी बढ़ जाती है सही मार्गदशन देना हमको पड़ता है बच्चो पर विश्वास करे पर आँखे खोल कर मे यह अपने व्यतिगत अनुभव से कह रही हु कन्या महा विद्यालय में लड़कियां को मैने देखा है सब ने हर प्रकार से अपना पक्ष रखा है मेरी बातो का किसी को तकलीफ हुई होगी तो मेफ करे। हम सब सफल कोशीश करेगे यह सकंल्प ले बडो को प्रणाम और छोटो को मेरा स्नेह भरा आशिष 🙏🙏🙌🙌
आज की परिचर्चा की समीक्षा मे नही कर रही हूं पूज्यनिया दामिनी दीदी और बेबी दीदी(स्नेह लता झा दीदी) ने बहुत सुंदर और सब को प्रोत्साहित करते हुये कहा है दोनों को सादर प्रणाम आभार हम सब का मनोबल बढ़ाने के लिये । सभी बडो को 🙏🙏छोटो को🙌🙌
नीता झा-
आज के मंथन में बहुत सी बातें सामने आईं कुछ उलझन भी थी। मैं अर्चना झा जी और स्मिता झा जी से निवेदन करूंगी इस विषय पर सबका मार्गदर्शन करें आदरणीया स्नेहलता मासी और आदरणीया दामिनी मासी से सादर निवेदन है आपलोग सभी को अपना आशीर्वाद देने की कृपा करें आपके साथ ज्योति जिज्जी भी सहयोग करेंगी ये मेरा निवेदन है🙏🙏🙏🙏🙏
स्मिता झा के विचार-
सभी आदरणियों के उत्तम विचार पढ़ने मिला वह सभी अनुकरणीय हैं।
मेरे विचार से
1. हमारा संविधान लोक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को साकार करता है इस कारण राज्य लोक कल्याणकारी नीतियां बनाते हैं और गुड गवर्नेंस का कार्य करते हैं।
2. राज्य के नियंत्रण में पुलिस लोक सुरक्षा का दायित्व का निर्वहन करती है हमारी पुलिस आजकल फ्रेंडली पुलिस होती जा रही है इसलिए हर जगह पुलिस नियंत्रण कक्ष का फोन नंबर 24 घंटे सहायता पहुंचाने के लिए तैयार रहता है और नंबर उपलब्ध रहता है।
• 100 नंबर डायल करने पर तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम से आप जुड़ सकते हैं।
• 1091 महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष नंबर डायल कर सकते हैं ।
• अब तो एक ही नंबर सब के लिए 112 डायल करने पर तुरंत किसी भी समस्या के लिए सहायता ले सकते हैं ।
• आप कहीं अकेले स्कूटी बाइक या कार से जा रहे हैं तो गाड़ी में प्रॉब्लम होने पर फोन करके सहायता ले सकते हैं सुनसान जगह पर गाड़ी बिगड़ गई है तो सबसे पहले अपने घर के लोगों को फोन करिए साथ ही साथ पुलिस को भी फोन करिए अपने फोन से पास के पुलिस स्टेशन या पुलिस चौकी का नंबर सर्च कर सकते हैं।
• यदि सुनसान जगह पर आपको प्रॉब्लम होती है तो घबराएं नहीं कोई फैमिली सहित बाइक या कार से जा रहे हैं तो उनसे सहायता लेने में संकोच मत करिए।
• किसी अनजान व्यक्ति के साथ बाइक या कार में बैठकर मत जाइए ऐसा करके आप एक नई समस्या को आमंत्रण दे रही हैं।
• जहां तक हो सके धैर्य से काम लेते हुए समस्या का निराकरण करने की कोशिश करना चाहिए।
• कोरोना महामारी के कारण ट्रेन ,बस बंद होने के वजह से आवागमन के साधन की कमी होने से अपनी स्कूटी या कार से अपने शहर से 50 /60 किलोमीटर दूर अपने कार्यस्थल तक जाना पड़ रहा है ऐसे समय में अपने कार्यस्थल तक के रास्ते में पड़ने वाले थाना का नंबर अपने मोबाइल में सेव रखें।
• निर्भया कांड के बाद हमारे देश का कानून भी कठोर हुआ है जल्दी निर्णय हो इसकी जानकारी अगले भाग मे दूंगी और अपराधी के दंड की सजा भी बढ़ा दी गई है जैसे 20 वर्ष या मृत्यु पर्यंत।
• किंतु हमें यह कोशिश करनी है कि यह समस्या आए ही ना लड़का हो या लड़की सभी को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए बच्चे वही सीखते हैं जो वह अपने आसपास, परिवार और मां-बाप के बीच देखते और समझते हैं।
• हर माता-पिता को अपने बच्चों के दोस्तों की जानकारी और उनके विचार जानना चाहिए हमारे बच्चे किस प्रकार के बच्चों से दोस्ती कर रहे हैं यह नितांत आवश्यक है।
• आजकल मोबाइल के जमाने में हर माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल की सुविधा दे रहे हैं किंतु उसका सही उपयोग कैसे होना चाहिए यह भी बताना बहुत आवश्यक है
• जैसा की आप सभी ने यह बताया वह बहुत सही है कि अंधेरा होने के उपरांत कुंवारी लड़की हो या कोई शादीशुदा महिला हो कहीं भी जाएं बता कर जाएं
• यदि आपकी कॉलोनी, आपका घर सुनसान इलाके की ओर है तो यह न सोचे कि मैं तो बड़ी हो गयी हूँ या मेरी उमर हो गयी बल्कि सुनसान रास्ते तक अपने परिवार से किसी को बुला ले।
• यह कुछ एहतियात हैं जो हम सबको लेना चाहिये और अपने आस पास जैसे अपने घर काम करने वालों को उनकी लड़कियो को जरुर बताएं ।
अर्चना झा के विचार-
आप सभी सम्माननीय वरिष्ठ जनो व समस्त विदुषी महिलाओं को मेरा सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मैं अर्चना झा, पुलिस के दृष्टिकोण से वर्तमान परिवेश में जिस प्रकार के घटना हाथरस में हुई है, उन परिस्थिति में हम कैसे अपनी रक्षा कर सकते हैं या पुलिस की कैसे मदद ले सकते हैं , इस बारे में अब से चर्चा करूंगी।
कल आप सभी ने बहुत सारगर्भित और संवेदनात्मक तथा सुरक्षात्मक उपाय शेयरकिए , जो निश्चित रूप से अनुकरणीय है ।
मेरे विचार भी लगभग उसी से मिलते हैं , फिर भी पृथक से मैं कुछ चीजें बताना चाहूंगी।
हाथरस में जो घटना हुई है वह घटना कहीं भी किसी भी साथ, किसी भी समय हो सकती , क्योंकि यह घटना विकृत मानसिकता के अपराधियों द्वारा की जाती है , और ऐसे बहुत से मानसिक रोगी इस समाज में आज है , जिनको हम सामान्यतः नहीं पहचान सकते ।
अतः हमारी सतर्कता ही हमारी सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय है।
आज बच्चियों के साथ-साथ बच्चे भी अर्थात लड़के , लड़कियां किसी भी उम्र के (3 साल से लेकर बड़े उम्र तक के) लोगों के साथ सेक्सुअल हरासमेंट जैसी घटनाएं होती है । इसीलिए हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को बचपन से ही सतर्क करें ,
जैसा कि आप लोगों ने भी बताया था गुड टच बैड टच को समझना बहुत जरूरी है। हम को बच्चों को घर पर ही अच्छे से सिखाना होगा कि गुड टच क्या है bad टच क्या है ? ताकि बच्चे को पता चले कि क्या सही स्पर्श और क्या गलत ।
इसके कई वीडियोस भी यूट्यूब में है जिससे कि बहुत सरलता से बच्चों को यह सिखा सकते हैं ।
साथ ही अगर कोई bad टच करे तो बच्चों को क्या करना है :- सबसे पहले उसका प्रतिरोध करना है , नहीं या नो करके चिल्लाना है , और वहां से भाग जाना है ।
भाग करके , जिस पर बच्चा विश्वास करता हो , जो नियरेस्ट उनके गार्जियन हो , जैसे स्कूल में टीचर घर में मा पिता grand parants उनके पास आकर तत्काल सही-सही सारी बातें बतानी है , क्योंकि यह bad टच , किसी सहपाठी , किसी रिश्तेदार , ऑटो , चालक बस चालक ..... किसी के भी द्वारा किया जा सकता ।
बच्चे के बताने के बाद हमारी भूमिका चालू होती है तो उस बात को आप को दबाना नहीं है चाहे वह आपके रिश्तेदार ही क्यों ना हो । आपको इसका विरोध करना है और अभी इसकी पुलिस कंप्लेन अवश्य करनी चाहिए ताकि भविष्य में आप अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें ।
बच्चा आपसे सब कुछ शेयर करें इसके लिए बच्चे को वैसा माहौल भी दिया जाना जरूरी है , कि वह खुलकर अपनी बात आपसे कह सकें ।
जैसे बच्चियां स्कूल ट्यूशन जाती हैं , आते जाते कई जगह उनको छेड़खानी का सामना करना पड़ता है , या हूटिंग का सामना करना पड़ता है । लेकिन घर में बताने से यह डर होता है , कि कहीं बाहर जाना बंद न हो जाए , ट्यूशन जाना बंद ना हो जाए या फिर हो सकता है , हमें ही घर में दूसरे दृष्टिकोण से देखा जाए , इस भय से बच्चे नहीं बताती। तो यह झिझक भी हमें दूर करना है और बच्चों को वह माहौल देना है कि वह अपनी समस्या इस संबंध में समस्या खुलकर आपसे बात कर सके और बता सके । माता के साथ पिता भाइयों को भी बता सके उनको भी अपने बच्चों को यह विश्वास दिलाना पड़ेगा कि उनके साथ हैं ।
साथ ही अगर कोई bad टच करे तो बच्चों को क्या करना है :- सबसे पहले उसका प्रतिरोध करना है , नहीं या नो करके चिल्लाना है , और वहां से भाग जाना है ।
भाग करके , जिस पर बच्चा विश्वास करता हो , जो नियरेस्ट उनके गार्जियन हो , जैसे स्कूल में टीचर घर में मा पिता grand parants उनके पास आकर तत्काल सही-सही सारी बातें बतानी है , क्योंकि यह bad टच , किसी सहपाठी , किसी रिश्तेदार , ऑटो , चालक बस चालक ..... किसी के भी द्वारा किया जा सकता ।
बच्चे के बताने के बाद हमारी भूमिका चालू होती है तो उस बात को आप को दबाना नहीं है चाहे वह आपके रिश्तेदार ही क्यों ना हो । आपको इसका विरोध करना है और अभी इसकी पुलिस कंप्लेन अवश्य करनी चाहिए ताकि भविष्य में आप अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें ।
बच्चा आपसे सब कुछ शेयर करें इसके लिए बच्चे को वैसा माहौल भी दिया जाना जरूरी है , कि वह खुलकर अपनी बात आपसे कह सकें ।
जैसे बच्चियां स्कूल ट्यूशन जाती हैं , आते जाते कई जगह उनको छेड़खानी का सामना करना पड़ता है , या हूटिंग का सामना करना पड़ता है । लेकिन घर में बताने से यह डर होता है , कि कहीं बाहर जाना बंद न हो जाए , ट्यूशन जाना बंद ना हो जाए या फिर हो सकता है , हमें ही घर में दूसरे दृष्टिकोण से देखा जाए , इस भय से बच्चे नहीं बताती। तो यह झिझक भी हमें दूर करना है और बच्चों को वह माहौल देना है कि वह अपनी समस्या इस संबंध में समस्या खुलकर आपसे बात कर सके और बता सके । माता के साथ पिता भाइयों को भी बता सके उनको भी अपने बच्चों को यह विश्वास दिलाना पड़ेगा कि उनके साथ हैं ।
यदि हमें सूचना मिलती है बच्चे के माध्यम से या अन्य किसी माध्यम से कि बच्चे के साथ में किसी ने बैठक एब्यूजिंग या किसी अन्य तरीके का गलत कार्य किया है तत्काल हमें इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए पुलिस को सूचना देने के बहुत से माध्यम हो सकते हैं:-
Dial 112
सबसे सरल माध्यम है डायल 112 पिछले 3 वर्षों से छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में 112 पुलिस की गाड़ियां चल रही हैं ।
इस 112 नंबर में हम एंबुलेंस फायर ब्रिगेड व पुलिस , तीनों में जिस की भी मदद की आवश्यकता हो , कॉल करके मदद ले सकते हैं ।
यह एक पेट्रोलिंग vehicle होती है जो कि हर थाना क्षेत्र में भ्रमण करती रहती है और 112 में फोन आने पर जो सेंट्रल कंट्रोल रूम है , वहां से हम को निर्देश प्राप्त होता है और जिस लोकेशन से फोन आता है , वह वहां पर पहुंचकर तत्काल मदद प्रदान करते हैं।
Women helpline 1091:-
1091 भी वूमेन हेल्पलाइन नंबर है जिसमें हम फोन कर सकते हैं यह भी टोल फ्री नंबर है ।
181:-
यह महिला बाल विकास विभाग का हेल्पलाइन नंबर है जोकि पुलिस के साथ कोडिनेट करके महिलाओं को मदद प्रदान करता है
थाना व कंट्रोल रूम का no:-
इसके अलावा हमारे पास हमारे जिले के कंट्रोल रूम तथा हम जिस थाना क्षेत्र में रहते हैं उसके थाना प्रभारी का नंबर होना चाहिए ताकि हम तत्काल उन्हें फोन करके घटना की जानकारी दे सकें आवश्यकता पड़ने पर घर में पुलिस आकर स्वयं पूछताछ इत्यादि करती है,।
App:-
यह नंबर्स आपको आसानी से 1-2 ऐप डाउनलोड करने से मिल सकते हैं
जैसे
1) सीजी कॉप :- इसको ओपन करने पर एफ आई आर स्टेटस , गुमशुदा स्टेटस , दूरभाष निर्देशिका , जिसमें पुलिस के सभी नंबर है , जिला वार और बहुत सी जानकारियां हेल्पलाइन नंबर इत्यादि , सभी हैं । जिस पर आप अपने पुराने किसी कंप्लेंट या केस पर क्या कार्रवाई हुई , यह भी देख सकते हैं । तत्काल पुलिस को या बाकी किसी और नंबर पर कॉल करके जो सुविधाएं चाहिए है वह भी प्राप्त कर सकते हैं।
:- ऐसे ही डायल 112 का भी एक ऐप है जिसमें उक्त सभी जानकारियां हैं । साथ ही साथ एसओएस बटन भी है , इसमें बटन दबाते ही ,डायल 112 कंट्रोल रूम में लोकेशन सहित आपका नंबर चला जाता है । जिससे वह स्वयं आपकी मदद के लिए पहुंच जाते हैं , अतः कभी हम किसी मुसीबत में हो अचानक मदद की जरूरत हो तो हमेशा एसओएस SOS बटन को दबा सकते हैं । अपने मोबाइल का जीपीएस इसके लिए आपको ऑन रखना होगा , ताकि 112 की टीम आपके पास तत्काल आपका लोकेशन ट्रेस कर पहुंच सके
उक्त दोनों ऐप प्ले स्टोर या एप स्टोर में फ्री उपलब्ध है।
महिला सेल:-
प्रत्येक जिले में एक महिला सेल होता है , जैसे बिलासपुर जिले में रक्षा टीम के नाम से महिला सुरक्षा के लिए एक अलग से टीम घूमती है ।
रायपुर जिले में सिविल लाइन थाने परिसर में महिला सेल है ,
यह महिला सेल , रक्षा टीम इत्यादि विभिन्न नामों से अलग-अलग जिलों में होती हैं । जो कि इसी प्रकार के अपराधों में अपराधियों को पकड़ने का काम करती हैं । इनसे कंप्लेंट करने पर यह अपराधी को पकड़ने की त्वरित कार्यवाही करती हैं , साथ ही साथ छेड़छाड़ जैसे मामलों में जहां कई बार हम चाहते हैं कि , पीड़िता का नाम सामने ना आए तो उसको भी छुपा कर रखते हैं और कार्यवाही करते हैं।
महिला थाना:-
सभी जिलों में एक महिला पुलिस थाना भी होता है , जिसकी इंचार्ज महिला थाना प्रभारी होती है , तो एक महिला के सामने एक महिला की समस्या अच्छी तरह रखी जा सकती है । इसे उद्देश्य से यह थाना बनाया गया है यहां भी हम अपनी समस्याएं रख सकते हैं।
महिला डेस्क :-
अमूमन सभी थानों में एक महिला डेस्क भी होता है , जहां पर एक महिला विवेचक/ आरक्षक या प्रधान आरक्षक महिला बैठती है , जो कि महिलाओं की समस्या को सुन सके । अभी संभव है कि कोरोना काल में बहुत से स्टाफ कोरोनावायरस होने के कारण छुट्टी पर है , अतः अभी और थाने में महिला डेस्क ना हो , किंतु सामान्य परिस्थितियों में आवश्यक रूप से महिला डेस्क होता है।
बिलासपुर जिले में महिला डेस्क को संवेदना केंद्र के नाम से चलाया जा रहा है जहां महिलाओं के लिए सर्व सुविधा युक्त कमरा है , जहां महिला पुलिस अधिकारी द्वारा उनकी समस्या सुनी जाती और आवश्यकता पड़ने पर काउंसलिंग भी की जाती है।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय :-
पुलिस से कंप्लेंट करने के लिए हम फोन मैसेज आदि के द्वारा तो कंप्लेंट कर ही सकते हैं , किंतु एफ आई आर कराने के लिए थाने जाने की आवश्यकता पड़ती है बिना उसके f.i.r. नहीं होती है ,
यदि थाना प्रभारी या कोई अन्य आपकी कंप्लेंट पर कार्यवाही नहीं कर रहा है, तो प्रत्येक जिले में पुलिस अधीक्षक का कार्यालय होता है , जो कि सब की समस्याएं सुनते हैं , तथा हम उनसे सीधे भी मिलकर अपनी समस्या रख सकते हैं।
अंत में :-
अभी जो कुछ नंबर मैंने आपसे शेयर किए जैसे 112, 1091, 181 तथा अपने नियरेस्ट पुलिस स्टेशन व जिले के कंट्रोल रूम का नंबर यह सभी अपने मोबाइल पर आवश्यक रूप से सेव करके रखें । और apps डाउनलोड करके रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप इनका उपयोग कर सकें ।
इन सबके साथ साथ यह सबसे ज्यादा जरूरी है , इन नंबरों का उपयोग हम केवल स्वयं पर कोई समस्या आने पर करते हैं , किंतु आते जाते हम भी कई बार देखते हैं कि कई बदमाश लड़के कहीं खड़े हैं या किसी अन्य के साथ अपराध होते हुए देखते हैं , परंतु उसकी कंप्लेंट नहीं करते ,
तो एक जागरूक नागरिक होने के कारण हमारा यह कर्तव्य है , कि हम दूसरों के साथ हो रहे अपराध को रोकने में भी उनकी मदद करें , तभी तो जब हम मुसीबत में होंगे तो कोई और मदद के लिए आएगा ...
क्योंकि समाज में पुलिस की संख्या बहुत ही कम है , और उनके कर्तव्य और expectations बहुत ज़्यादा... जो कि हर समय हर जगह उपस्थित नहीं रह सकती, अतः हम सभी को ही एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना पड़ेगा , तभी हम एक दूसरे की सुरक्षा कर पाएंगे, समाज की सुरक्षा कर पाएँगे ।
आज हमने महिला सुरक्षा संबंधी हेल्पलाइन नंबर तथा पुलिस से संपर्क करने के साधनों के बारे में चर्चा की इस संबंध में आप सभी को कोई प्रश्न हो तो पूछ सकते हैं।
प्रति रविवार हम इसी प्रकार के अन्य विषयों जैसे आत्मरक्षा , साइबर क्राइम एटीएम फ्रॉड और भी चीजें जिनसे हमें जागरूक रहना चाहिए के संबंध में चर्चा करेंगे
मेरे मैसेज थोड़े ज्यादा लंबे हैं इसलिए आज यहीं पर समाप्त करती हूं ,
मुझे आप सभी वरिष्ठजनो व प्रबुद्धजनो के बीच यह मंच प्रदान करने व अपने विचार रखने का अवसर देने के लिए
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
अर्चना झा
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