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नवरात्री का दूसरा दिन माँ ब्रम्हचारिणी - सागरिका महिला सभा




माँ ब्रम्हचारिणी अर्थात भगवान शिव की पत्नी पार्वती माता को कहते हैं । जब पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती जी ने भगवान शंकर को पाने कठोरतम तप किया तो उनके तपस्वी रूपको मा ब्रम्हचारिणी का नाम दिया गया 
माँ ब्रम्हचारिणी को दूध, दही, शक्कर इत्यादि से बने भोग पसन्द आते हैं। माता रानी को पीले वस्त्र पसन्द हैं साथ ही सम्भव हो तो पीले वस्त्र पहन कर माँ की पूजा करनी चाहिए माँ ब्रम्हचारिणी तप और आध्यात्मिक भावना की देवी हैं अतः इनके तपस्वी, सौम्य छवि की पूजा मन को शांति और आध्यात्मिक शक्तिदायक होती है। 
दूसरा माँ ब्रम्हचारणी का रहता है उस दिन माँ को पीली चुनरी चढ़ती है और लम्बी उम्र की कामना के लिये दूध से बनी मिठाई चढ़ाते है; शक्कर मिश्री चढाते है।
*तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ                                   1लाल सिंह सवार बनकर   
         रंगो की फुहार बनकर  
                 पुष्पो की बहार बनकर 
                     सुहागनका श्रृंगार बनकर   
                     तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ                
                       .खुशियों अपार बनकर    
                            बच्चों का दुलार बनकर    
                                समाज में संस्कार बनकर ।तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ                     
                                  
 .रसोई मे प्रसाद  मेला
व्यापार मे लाभ बनकर        
   घर आशीर्वाद बनकर     
         मुंह मांगी मुराद बनकर  
               तुम्हारा सवागत है मां
         
         
 तुम जाओ संसार में उजाला बनकर।                           अमृत रस का प्याला   
   परिजातकी माला बनकर 
         भूखों का निवाला बनकर  
             तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ   
             
              
 .शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर 
     चंद्र घंटा, कुष्मांडा बनकर सकंदमाता, 
     कात्यायनी बनकर कालरात्रि
     , महगौरी बनकर  
       माता सिद्धिदात्री                  
       तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ।  
                             
तुम्हारे आने से नव
 निधियां सवयं ही चली आयेगी   
   तुम्हारी दास बनकर         
  तुम्हारा सवागत है मां तुम आओ   
          श्रीमती चित्रा पाठक
सीताफल मिल्क शेक


सामग्री 
 सीता फल २,
शुगर फ्री पावडर या शक्कर , स्वादनुसार 
8, 10 काजू पीसे हुए 
8, 10 बादाम पिसे हुए
'1/2 लिटर दुध , 
 थोड़े कटे बादाम और काजू 
 
विधी 

सबसे पहले सिताफल के बीज निकाल कर अलग कर लें फिर मिक्सी में डाल कर ग्रांईड कर लें 
उसके बाद दुध शक्कर डाल फिर से अच्छी तरह  ग्रांईड करें इसी समय पिसे हुए काजू बादाम भी डाल दें ताकि सब अच्छी तरह मिल जाएं। 
निकाल कर यदि  ठंडा खाना है , तो कुछ देर फ्रीज में रख दें  या ऐसे भी पी सकते हैं  जब सर्व करना हो तो , कटे हुए बारीक काजू बादाम से गार्निश करें ၊
🌹🙏🏻 निशा ठाकुर मोहला 🙏🏻🌹

उपवास के साबूदान के दही बड़े 

सामग्री 

100 ग्राम साबूदाना

दो आलू

आधा चम्मच कालीमिर्च पावडर

सेंधा नमक स्वादानुसार

दो हरी मिर्च

अदरक का आधा इंच का टुकड़ा

एक बड़ा चम्मच मूंगफली के दाने

सिका हुआ जीरा पावडर दो छोटे चम्मच

लालमिर्च पावडर आधा चम्मच

एक कटोरी तेल या घी

आधा किलो दही

साबूदाना के दही बड़े बनाने की विधि — 

सबसे पहले साबूदाना को पांच घंटे के लिए पानी में भिगो के रख देंगे|

आलू को उबाल लेंगे|

मूंगफली के दानो को सेक कर छिलके उतारकर दरदरा पिस लेंगे|

हरी मिर्च को बारीक़ काट लेंगे,अदरक को कद्दूकस कर लेंगे|

अब हम उबले हुए आलू का छिलका उतारकर एक बड़े कटोरे में आलू को हाथो से मैश कर लेंगे,भिगोये हुए साबूदाना भी मैश किये हुए आलू में डाल देंगे,अदरक,बारीक़ कटी हरी मिर्च,नमक,लालमिर्च पावडर,दरदरा पिसा हुआ मूंगफली दाना भी डाल देंगे और हाथो से मैश करके सभी सामग्री को आटा की तरह लगा लेंगे|

मैश किये हुए मिश्रण की छोटी -छोटी गोल टिकिया बना लेंगे,सारे मिश्रण की टिकिया बना का थाली में रख देंगे|

कड़ाई में तेल या घी गरम करेंगे साबूदाना के बड़ो को तलने के लिए,जब तेल गरम हो जाये तो कड़ाई में जितने भी बड़े की टिकिया आये डाल देंगे,आंच को धीमा करके सुनहरा होने तक तलेंगे|

जब एक तरफ से सुनहरा हो जाये तो पलटे से पलटकर दूसरी तरफ से सुनहरा होने तक तलेंगे,जब दोनों तरफ से सुनहरा हो जाये तो वडे को टिश्यू पेपर पर निकालकर रख देंगे ताकि सारा तेल निकल जाये|

अब हम एक कटोरी दही लेंगे दही को अच्छे से फेटकर,दही में स्वादानुसार सेंधा नमक,कालीमिर्च पावडर,सीके हुए जीरे का पावडर डालकर वडे के साथ सर्व करेंगे|आप चाहो तो हरे धनिये से भी ग्रानिस कर सकते हो|

तो तैयार हैं आपका फलाहारी साबूदाना  दही बड़े ।
प्रियंका ठाकुर
पूजा की थाली सजावट 


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, शृंगार का समान वस्त्र कपूर , धूप, दीप आरती बैठने के लिए आसन गौरी गणेश कलश अमा का पत्ता लगा हुआ नैवेध फल नैवेध :- मीठा पूड़ी का भोग लगता है। उपवास : - संतान साते के दिन दिन भर उपवास रहते है। और पूजा करने के बाद मीठा पुड़ी ( पुआ ) खा कर व्रत तोड़ते है। इसके अलावा कुछ भी नही लेते जूस , चाय नीबू पानी पी सकते है। क्योंकि आज कल शुगर , बी पी की शिकायत रहती है। तो आप ले सकते है। अन्न नहीं लेते है। पूजा विधि शाम के समय गोधुली बेला में शिव पार्वती एवं उनकी परिवार की पूजा की जाती है। अच्छे से तैयार होकर सोलह शृंगार करके यह व्रत की जाती है। सर्व प्रथम गौरी गणेश कलश की पूजा उसके बाद गौर साठ की पूजा क्योंकि हम मैथिल ब्राम्हण है। तो हमारे यहा पर हर त्यौहार पर गौर साठ की पूजा की जाती है। उसी के बाद ही अन्य पूजा यह नियम महिलाओं के लिए ही है। गौर साठ पूजा के बाद शंकर पार्वती की पूजा जल से स्नान दूबी या फूल लेकर करें , फिर चंदन , रोरी कुमकुम लगाए पुष्प चढ़ाए , माला पहनाए संतान साते में सात गठान की मौली धागा से चूड़ा बनाए या जो सामर्थ है। वह सोने की कंगन या चांदी का कंगन बनाए एवं दूबी सात गाठ करके चढ़ाए कंगन की पूजा करें भोग मीठा पुड़ी लगाए जितना संतान रहता है। उनके नाम से सात पुआ गौरी शंकर एवं सात पुआ संतान के नाम से एक भाग ब्राम्हण को दान करें एवं परिवार को बांटे एक भाग जो सात पुआ है। उसे स्वय ग्रहण करें कंगन पहन कर ही प्रसाद को ग्रहण करें आरती : - पहले गणेश जी का करें फिर शंकर जी का दक्षिणा सामर्थ अनुसार संकल्प करें आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏.. श्री गणेशाय नमः ,,श्री गणेशाय नमः सधौरी की विधि यह विधि नौवा महीने में किया जाता है। पंडित जी से शुभ मुर्हुत पूछकर किया जाता है। सबसे पहले सिर में बेसन डालने का विधि होता है। पांच या नौ सुहागन के द्वारा सिर पर बेसन डाला जाता है। और चूकिया से जल सिर के ऊपर डाला जाता है। उसके लिए नव चूकिया चाहिए होता है। बेसन मुहूर्त के हिसाब से ही डाला जाता है। इसमें विलम्ब नहीं करना चाहिए नहाने से पहले आंचल में हलदी + सुपारी + चांवल + सिक्का डालना चाहिए चावल का घोल से हाथ देते हुए उसमें सिन्दूर , पुषप दुबी डालें प्रत्येक हाथा में वघू या कन्या के द्वारा जहा पर बेसन डाला जायेगा वहां पर फूल गौड़ा चौक डाले चौकी या पाटा रखें फिर बेसन डालें और जल भी सिर के ऊपर डालें कम से कम पांच या सात बार सभी सुहागनियों के द्वारा उसके उपरान्त स्नान अच्छी तरह करने दो गिला कपड़ा पहने रहें किसी छोटी बच्ची या बच्चा जो सुन्दर हो चंचल हो उसके हाथ से शंख में कच्चा दूध और पुष्प डाल कर भेजे बालक और बालिका को अच्छी तरह से देख र्ले उनसे शंख और दूध लेकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें इधर उधर किसी भी को ना देखें सूर्य नारायण को प्रणाम करें पूजा रूम में प्रवेश करें बाल मुंकुद को प्रणाम करें कपड़ा नया वस्त्र धारण करें शृंगार करें आलता लगाए पति पत्नी दोनों गंठ बंधन करके पूजा की जगह पर बैठ जायें पूजा जैसे हम करतेप्रकार करे आरती करें भोग लगाए तन्त् पश्चात् जो परात में आम का पत्ता के ऊपर दिया रखें दिया में चावल के घोल से . + बनाये सिन्दूर लगाए हल्दी सुपाड़ी सिक्का चुड़ी दो रखें प्रत्येक दिये में सिन्दूर की पुड़िया रखें गुझिया रखें उसे भोग लगा कर पूजा के बाद प्रत्येक सुहागिनों को आंचल से करके उनके आचल में दें । फिर पूजा स्थल पर कुश बढ़ाओं चौक डाले पाटा रखें उसके ऊपर गाय + बैल + कहुआ को गोत्र के अनुसार रखें बैले हो तो घोती आढ़ऐ गाय हो तो साड़ी पूजा के बाद कांसे के थाली में बनी हुई समाग्री को पांच कौर शहद डाल कर सास या मां के द्वारा पांच कौर खिलाए उसके पहले ओली में पांच प्रकार का खाद्य समाग्री डाले जैसे गुझिया अनारस फल मेवा डालें और छोटे बच्चे के हाथ से निकलवाए हास्य होता है। थोड़ी देर के लिए गुझिया निकला तो लड़का प प्ची निकला तो लड़की फिर सभी सुहागिनी यों को भोजन करवाए आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏ज्युतिया ,,यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है। शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर *दूसरे दिन*सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा शाम के समय पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून से ब्रश कर वही स्नानकर वही पूजा करते है। सभी महिला एक साथ मिलकर करती है। उन्ही में से एक महिला कथा सुनाती है। वहां पर जीउतिया उनका सोना या चांदी का बना लहसुन आकृति का रहता है। हर साल जीउतिया सोनार के यहा जा कर बढ़ाते है। उसी जीउतिया को हाथ में रख कथा कहती है। और हर महिला के बच्चों का नाम लेकर आर्शीवाद देती है। ये उनका अपना रिति है। परन्तु हमारे छत्तीसगढ़ में और हम अपने घर पर जिस तरह पूजा पाठ करते हुए देखा है। उसे ही हम आप सबके बीच प्रस्तुत किया है। त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी आपका अपना आशा ठाकुर अम्लेश्वर पाटन रोड छत्तीसगढ़ रायपुर 🙏🙏श्री गणेशाय नमः सधौरी की तैयारी गौरी गणेश + कलश चंदन रोरी कुमकुम घूप दीप कपूर अगरबत्ती नारियल भोग गौर साठ का डिब्बा रेहन चावल का पीसा हुआ हाथा देने के लिए एवं थाली कांसे की थाली मेवा काजू किशमिश बादाम छुहारा आदि ड्राई फूड मौसम अनुसार फल 60,आम का पत्ता मिट्टी का दिया 60 , चुड़ी सिन्दूर खड़ी हल्दी , खड़ी सुपारी 60 हल्दी 60 सुपारी जनेऊ बेसन शंख पाटा , पान का बिड़ा शहद नया वस्त्र पहने के लिए गोत्र के अनुसा मिट्टी का बैल , गाय , कछुआ जैसा हो गोत्र उसके अनुसार बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

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