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सागरिका की पवित्र सरिता माँ गंगा ज्योतिष विधा संचालिका - ज्योतिषाचार्य श्रीमति कल्पना झा,एवम सखियां.....



विधा संचालिका श्रीमती कल्पना झा
सखियां - श्रीमती सलीला ठाकुर, 



 *द्वितीया युक्त तृतीया हरितालिका व्रत में क्यों अमान्य*
 *सादर वन्दन परमगुरु शिव- शिवा और उनकी रचित सृष्टि के हर कण को नमन*🙏🙏🌷🌷
 ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के संचरण तथा उस परम तत्व के स्पंदन ऊर्जा से रचित सृष्टि को हम कण मात्र ही जान सकें हैं।
किन्तु!! *ध्यान समाधि कैवल्य प्राप्ति की अवस्था उस गूढरहस्मयी ऊर्जा से सहज रूप से ब्रह्माण्डीय सृष्टि के रहस्य आंतरिक दृश्य को ब्रह्मरंध्र से प्रवाहित करके प्रकट करने लगती है* ।
यही *बाल पन में कृष्ण ने माता यशोदा तथा रण भूमि में अर्जुन को अनुभव कराया था*
इसको प्राप्त करने *जीव ,जीवात्मा स्वरूप में भवसागर में विचरण करते करते उस तत्व परमात्मा को पाने की लालसा में विभिन्न योनियों में भटकता रहता है।*

*किन्तु जब उसके पुण्य पुरुषार्थ जागृत होते है तब मानव योनि प्राप्त होती है!!*
उसमें भी श्रेष्ठ गुणधर्म ,संस्कार युक्त परिवेश,माता,पिता विद्या,कर्म पुरुषार्थ का लक्ष्य प्राप्त होना दुर्लभ और ब्रह्माण्डीय अनुभव है।
 हमारी ऋषिप्रणित संस्कृति का प्रादुर्भाव नही हुआ यह तो आप्त ज्ञान है इसको उन महान विभूतियों ने साधना तप से प्राप्त किया और आम जन को व्रत,पर्व, त्यौहार,अनुष्ठान,स्वरूप में क्रियान्वित करने का विधान,कर्मकांड ,यज्ञादि की रहस्यमयी ,विलक्षण,अनुठी विरासत प्रदानकी।
यह लोककल्याणकारी प्राकृतिक जीवन शैली का मार्गदर्शन,ज्योतिष,अध्यात्म,आयुर्वेद,योगजज्ञान की मूल अवधारणा है।
*किन्तु !!अफसोस!!*
काल के घात, विभिन्न दूषित स्वार्थ जनित प्रवृत्तियों, स्वअभिमान, दुधारू गाय की तरह शास्त्रों को सिर्फ लाभार्जन के लिए प्रयोग से आज यह विद्या मानव को जन कल्याण की अपेक्षा मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर रहा।
भाव को न समझ हम भौतिकवादी ,वस्तु, पूजन सामग्री को बस भगवान पर लाद नही रहे क्या??
भाव से एक पुष्प भी भोलेनाथ को समर्पित करो तो अनंत इष्टपूर्ति स्वरूप पुष्प आपकी झोली में होंगे!!!
*विवाद हर पर्व पर क्यों?*
क्योंकि हमारा बहुत सा धर्म ज्ञान, साहित्य या तो आतताइयों से लुटा ,खंडित या तोड़ मरोड़ कर छिन्न- भिन्न किया गया है।
*जो प्राप्त है वो अपर्याप्त भी नही है उसको भी समझने वाले कितने है*❓
क्योंकि मैकाले की शिक्षा पद्दति को इसलिए ही तो प्रचलित किया कि विपरीत समानांतर हमारी संस्कृति का अस्तित्व न रहे और हम गुलाम मानसिकता से इस प्रकार पंगु हो जाए कैसे हाथी के पाँव की जंजीर ।
*किन्तु सत्य तो सत्य है न!!*
हाँ !!क्योंकि प्रकृति और पुरुष ही इस जगत के रचनाकार और हम उसके अंश और उस संस्कृति के संवाहक।
*इसलिए ही आज भारत वर्ष शान से अपना भाल उन्नत करते, नम्रता ,प्रेम पूर्वक सभी का मार्गदर्शक ,विश्वगुरु की ओर बढ़ते कदमो के साथ ,शांति काल की ओर मानवता को ले जाने के कठिन पुरुषार्थ को अंतरात्मा, जीवनदायिनी गंगा स्वरूपअपनी संस्कृति की ऊर्जा से ही कर पा रहा है।*
:::::::🪷:::::🕉️:::::🪷::::

अब इस भूमिका के बाद संस्कृति के एक पर्व जिसमे प्रकृति (नारी,पृथ्वी शक्ति, पार्वती या अखंड हिमालय की शक्ति)  
पुरुष (शिव,सूर्य,परम तत्व जन्म का कारण जीव बीज) को पाने के लिए कठोर तप करती है ।
इसलिए मानव प्रजाति की आधी शक्ति नारी कुलोन्नति की , वर प्राप्ति की कामना से इस हरि हर याने संकट हरने वाली सौभाग्य दायिनी तीज करती है।
 जिसमें प्रकृति उस परम पुरुष की अभिलाषा से ऊर्जा के मिलन की प्राप्ति के लिए शरीर के भरण पोषण तत्व जल,भोजन को त्यागकर स्वाँस प्र स्वाँस के समागम से परम अनुभूति प्राप्त करने साधना तप करती है।
क्योंकि हमारे हर पर्व त्यौहार उस ब्रह्माण्डीय ऊर्जा ,ग्रह,नक्षत्र के अनुसार ही होते हैं।
  *आज का मुख्य विषय* 
*द्वितीया युक्त तृतीया तिथि* *हरितालिका तीज व्रत क्यों नही* *करना* ?*
 इसको द्वितीया, तृतीया के स्वरूप से समझिए----
*द्वितीया* - यह दूसरी चान्द्र तिथि है। इसे पालि में 'दुतीया', प्राकृत भाषा ( अर्ध- मागधी ) में 'बीया' या 'दुइया', अपभ्रंश में 'बीजा', हिन्दी में 'बीज, दूज, दौज' आदि कहते है। यह भद्रासंज्ञक तिथि है। जब शुक्ल पक्ष में सूर्य से चन्द्र का अन्तर 12° से 24° तक तथा कृष्ण पक्ष में 192° से 204 अंश तक होता है, तब द्वितीया तिथि होती है। इसके स्वामी ब्रह्मा है। इसका विशेष नाम 'सुमंगला' है। *भाद्रपद में यह शून्य- संज्ञक होती है।* *सोमवार तथा शुक्रवार को यह मृत्युदा होती है*।
 *हरितालिका तीज भाद्रपद मास की द्वितीया युक्त तृतीया तिथि 5 सितंबर 2024 को है जो शून्य संज्ञक हुई न!*
*अतः 6 सितंबर गणेश चतुर्थी युक्त हरितालिका तीज ग्रहणीय है।*
*करणीय कृत्य*- द्वितीया में राजनीतिसम्बन्धी कार्य, चुनाव का पर्चा दाखिल करना, प्रशासनिक कार्य, वास्तु, यात्रा तथा प्रतिष्ठादि का आरम्भ शुभ होता है। द्वितीया के स्वामी श्री ब्रह्माजी महाराज हैं।
ब्रह्म जन्म कारक है किंतु शिव हरि हर , परम पुरुष है।
इसलिए तीज को द्वितीया युक्त न करने शास्त्र कहते हैं।

*अकरणीय कृत्य*- इस तिथि में नीबू नहीं खाना चाहिये। बड़ी भटकटैया या छोटी भी निषेध है।
 इस वनस्पति का उपयोग औषधि में होता है ।

*शिववास*
- *शुक्ल पक्ष की द्वितीया में शिव जी गौरी के समीप होते हैं, अतः शुक्ल द्वितीया शिवपूजन, रुद्राभिषेक, पार्थिवपूजन आदि में शुभ है, परन्तु कृष्ण द्वितीया में शिवजी सभा में अपने गणों, भूत-प्रेतों के मध्य विराजते हैं; अतः उसमें शिवपूजनादि नहीं करना चाहिये* ।

*ज्योतिष* कारण
 किन्तु भाद्रपद में सूर्य स्वगृहीय सिंह राशि मे बलवान और चन्द्र कन्या बुध की राशि में।
 कन्या गौरी स्वरूप कोमल सूर्य याने पुरुष शिव स्वरूप की अभिलाषी ।
 चन्द्र बुध की राशि मे यह बुद्धि तर्क से संचालित अतः सखियां कौन होंगी तर्क बुद्धि ,अल्हड़पन।
यह उनको ( गौरी पार्वती) को गुप्त रूप से वन में तप साधना के लिए ले गया।अर्थात योगज ज्ञान
 के अनुसार अंतर्मन का शिव तत्व सहस्त्रार चक्र से योगमय करने की अद्भुत समर्पण की अभिलाषा।
शिव तत्व को बहिर्मुख से अंतर्मुखी करने की उपासना।

बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ्य आ जाती है । उस दिन यह सिद्धिदा हो जाती है, जिसमें किये गये समस्त शुभ कार्य सफल होते हैं। यह तिथि चन्द्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं भगवान् भास्कर पान कर स्वयं को ऊर्जावान् रखते हैं और शुक्ल पक्ष की द्वितीया को सूर्यदेव अमृत को पुनः चन्द्रमा को लौटा देते हैं। गर्गसंहिता के अनुसार द्वितीया के कृत्य इस प्रकार हैं- 
*भद्रेत्युक्ता द्वितीया तु शिल्पिव्यायामिनां हिता । आरम्भे भेषजानां च प्रवासे च प्रवासिनाम् ।। आवाहांश्च विवाहांश्च वास्तुक्षेत्रगृहाणि च । पुष्टिकर्मकर श्रेष्ठा देवता च बृहस्पतिः ॥*

*तृतीया*
 - जब सूर्य एवं चन्द्र का अन्तर 24° से 36° तक रहता है, तब शुक्त पक्ष की तृतीया तथा 204° से 216° तक अन्तरांश होने पर कृष्ण पक्ष की तृतीया का मान होता है। इसे 'ततिया, तइया, तैजा, तीजा, तीज, त्रीज, त्रीजा' आदि भी कहते हैं। इसका विशेष नाम ' *सबला* ' है। यह बलवान तिथि है; अत: इसे ' *जया* 'नाम से भी अभिहित किया जाता है । इसकी स्वामिनी गौरी है। इस तिथि में 'संगीत-विद्या- शिल्पकर्म-सीमन्त-चौलान्न-गृहप्रवेशम्' ये कार्य तथा जो कार्य द्वितीया में विहित है। उनका करना शुभ होता है । यह तिथि बुधवार को मृत्युदा, परन्तु मंगलवार को सिद्धिदा हो जाती है।

इस तिथि में नमक तथा परवल का शाक नहीं खाना चाहिये। जया तिथि होने से इस तिथि में फौजदारी तथा दीवानी के मुकदमे दायर करना शुभ होता है। मुकदमों का प्रतिवादपत्र ( जबाबदावा) दाखिल करने के लिये यह तिथि शुभ होती है।

द्वितीया युक्त तृतीया क्रीडा में होने से यह दोनों पक्षों की तृतीया यें शिवपूजनार्थ निषिद्ध है। शुक्ल पक्षीय तृतीया में भूतभावन भगवान् शंकर का वास सभा में विराजते है अतः माँ गौरी ,प्रकृति उनको पाने साधना ,कठोर तप करती है। कृष्ण पक्ष बुधवार को तृतीया होने पर दग्ध योग का भी निर्माण हो जाता है, जो कि शुभ कृत्यों में वर्जित है। यह चन्द्रमा की तीसरी कला है, जिसके अमृत को कृष्ण पक्ष में विश्वेदेव (साक्षात् परमात्मा ) पान करते हैं। 'तृतीयाऽऽआरोग्यदात्री च' अर्थात् तृतीया आरोग्य देने वाली होती है।
शुभमस्तु
कल्पना झा
अध्यक्ष
प्राच्य विद्या शोधमण्डल

क्रमशः🪷 *शुभवन्दन*🪷
 *द्वितीया युक्त तृतीया हरितालिका व्रत में क्यों अमान्य*
 *सादर वन्दन परमगुरु शिव- शिवा और उनकी रचित सृष्टि के हर कण को नमन*🙏🙏🌷🌷
 ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के संचरण तथा उस परम तत्व के स्पंदन ऊर्जा से रचित सृष्टि को हम कण मात्र ही जान सकें हैं।
किन्तु!! *ध्यान समाधि कैवल्य प्राप्ति की अवस्था उस गूढरहस्मयी ऊर्जा से सहज रूप से ब्रह्माण्डीय सृष्टि के रहस्य आंतरिक दृश्य को ब्रह्मरंध्र से प्रवाहित करके प्रकट करने लगती है* ।
यही *बाल पन में कृष्ण ने माता यशोदा तथा रण भूमि में अर्जुन को अनुभव कराया था*
इसको प्राप्त करने *जीव ,जीवात्मा स्वरूप में भवसागर में विचरण करते करते उस तत्व परमात्मा को पाने की लालसा में विभिन्न योनियों में भटकता रहता है।*

*किन्तु जब उसके पुण्य पुरुषार्थ जागृत होते है तब मानव योनि प्राप्त होती है!!*
उसमें भी श्रेष्ठ गुणधर्म ,संस्कार युक्त परिवेश,माता,पिता विद्या,कर्म पुरुषार्थ का लक्ष्य प्राप्त होना दुर्लभ और ब्रह्माण्डीय अनुभव है।
 हमारी ऋषिप्रणित संस्कृति का प्रादुर्भाव नही हुआ यह तो आप्त ज्ञान है इसको उन महान विभूतियों ने साधना तप से प्राप्त किया और आम जन को व्रत,पर्व, त्यौहार,अनुष्ठान,स्वरूप में क्रियान्वित करने का विधान,कर्मकांड ,यज्ञादि की रहस्यमयी ,विलक्षण,अनुठी विरासत प्रदानकी।
यह लोककल्याणकारी प्राकृतिक जीवन शैली का मार्गदर्शन,ज्योतिष,अध्यात्म,आयुर्वेद,योगजज्ञान की मूल अवधारणा है।
*किन्तु !!अफसोस!!*
काल के घात, विभिन्न दूषित स्वार्थ जनित प्रवृत्तियों, स्वअभिमान, दुधारू गाय की तरह शास्त्रों को सिर्फ लाभार्जन के लिए प्रयोग से आज यह विद्या मानव को जन कल्याण की अपेक्षा मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर रहा।
भाव को न समझ हम भौतिकवादी ,वस्तु, पूजन सामग्री को बस भगवान पर लाद नही रहे क्या??
भाव से एक पुष्प भी भोलेनाथ को समर्पित करो तो अनंत इष्टपूर्ति स्वरूप पुष्प आपकी झोली में होंगे!!!
*विवाद हर पर्व पर क्यों?*
क्योंकि हमारा बहुत सा धर्म ज्ञान, साहित्य या तो आतताइयों से लुटा ,खंडित या तोड़ मरोड़ कर छिन्न- भिन्न किया गया है।
*जो प्राप्त है वो अपर्याप्त भी नही है उसको भी समझने वाले कितने है*❓
क्योंकि मैकाले की शिक्षा पद्दति को इसलिए ही तो प्रचलित किया कि विपरीत समानांतर हमारी संस्कृति का अस्तित्व न रहे और हम गुलाम मानसिकता से इस प्रकार पंगु हो जाए कैसे हाथी के पाँव की जंजीर ।
*किन्तु सत्य तो सत्य है न!!*
हाँ !!क्योंकि प्रकृति और पुरुष ही इस जगत के रचनाकार और हम उसके अंश और उस संस्कृति के संवाहक।
*इसलिए ही आज भारत वर्ष शान से अपना भाल उन्नत करते, नम्रता ,प्रेम पूर्वक सभी का मार्गदर्शक ,विश्वगुरु की ओर बढ़ते कदमो के साथ ,शांति काल की ओर मानवता को ले जाने के कठिन पुरुषार्थ को अंतरात्मा, जीवनदायिनी गंगा स्वरूपअपनी संस्कृति की ऊर्जा से ही कर पा रहा है।*
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अब इस भूमिका के बाद संस्कृति के एक पर्व जिसमे प्रकृति (नारी,पृथ्वी शक्ति, पार्वती या अखंड हिमालय की शक्ति)  
पुरुष (शिव,सूर्य,परम तत्व जन्म का कारण जीव बीज) को पाने के लिए कठोर तप करती है ।
इसलिए मानव प्रजाति की आधी शक्ति नारी कुलोन्नति की , वर प्राप्ति की कामना से इस हरि हर याने संकट हरने वाली सौभाग्य दायिनी तीज करती है।
 जिसमें प्रकृति उस परम पुरुष की अभिलाषा से ऊर्जा के मिलन की प्राप्ति के लिए शरीर के भरण पोषण तत्व जल,भोजन को त्यागकर स्वाँस प्र स्वाँस के समागम से परम अनुभूति प्राप्त करने साधना तप करती है।
क्योंकि हमारे हर पर्व त्यौहार उस ब्रह्माण्डीय ऊर्जा ,ग्रह,नक्षत्र के अनुसार ही होते हैं।
  *आज का मुख्य विषय* 
*द्वितीया युक्त तृतीया तिथि* *हरितालिका तीज व्रत क्यों नही* *करना* ?*
 इसको द्वितीया, तृतीया के स्वरूप से समझिए----
*द्वितीया* - यह दूसरी चान्द्र तिथि है। इसे पालि में 'दुतीया', प्राकृत भाषा ( अर्ध- मागधी ) में 'बीया' या 'दुइया', अपभ्रंश में 'बीजा', हिन्दी में 'बीज, दूज, दौज' आदि कहते है। यह भद्रासंज्ञक तिथि है। जब शुक्ल पक्ष में सूर्य से चन्द्र का अन्तर 12° से 24° तक तथा कृष्ण पक्ष में 192° से 204 अंश तक होता है, तब द्वितीया तिथि होती है। इसके स्वामी ब्रह्मा है। इसका विशेष नाम 'सुमंगला' है। *भाद्रपद में यह शून्य- संज्ञक होती है।* *सोमवार तथा शुक्रवार को यह मृत्युदा होती है*।
 *हरितालिका तीज भाद्रपद मास की द्वितीया युक्त तृतीया तिथि 5 सितंबर 2024 को है जो शून्य संज्ञक हुई न!*
*अतः 6 सितंबर गणेश चतुर्थी युक्त हरितालिका तीज ग्रहणीय है।*
*करणीय कृत्य*- द्वितीया में राजनीतिसम्बन्धी कार्य, चुनाव का पर्चा दाखिल करना, प्रशासनिक कार्य, वास्तु, यात्रा तथा प्रतिष्ठादि का आरम्भ शुभ होता है। द्वितीया के स्वामी श्री ब्रह्माजी महाराज हैं।
ब्रह्म जन्म कारक है किंतु शिव हरि हर , परम पुरुष है।
इसलिए तीज को द्वितीया युक्त न करने शास्त्र कहते हैं।

*अकरणीय कृत्य*- इस तिथि में नीबू नहीं खाना चाहिये। बड़ी भटकटैया या छोटी भी निषेध है।
 इस वनस्पति का उपयोग औषधि में होता है ।

*शिववास*
- *शुक्ल पक्ष की द्वितीया में शिव जी गौरी के समीप होते हैं, अतः शुक्ल द्वितीया शिवपूजन, रुद्राभिषेक, पार्थिवपूजन आदि में शुभ है, परन्तु कृष्ण द्वितीया में शिवजी सभा में अपने गणों, भूत-प्रेतों के मध्य विराजते हैं; अतः उसमें शिवपूजनादि नहीं करना चाहिये* ।

*ज्योतिष* कारण
 किन्तु भाद्रपद में सूर्य स्वगृहीय सिंह राशि मे बलवान और चन्द्र कन्या बुध की राशि में।
 कन्या गौरी स्वरूप कोमल सूर्य याने पुरुष शिव स्वरूप की अभिलाषी ।
 चन्द्र बुध की राशि मे यह बुद्धि तर्क से संचालित अतः सखियां कौन होंगी तर्क बुद्धि ,अल्हड़पन।
यह उनको ( गौरी पार्वती) को गुप्त रूप से वन में तप साधना के लिए ले गया।अर्थात योगज ज्ञान
 के अनुसार अंतर्मन का शिव तत्व सहस्त्रार चक्र से योगमय करने की अद्भुत समर्पण की अभिलाषा।
शिव तत्व को बहिर्मुख से अंतर्मुखी करने की उपासना।

बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ्य आ जाती है । उस दिन यह सिद्धिदा हो जाती है, जिसमें किये गये समस्त शुभ कार्य सफल होते हैं। यह तिथि चन्द्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं भगवान् भास्कर पान कर स्वयं को ऊर्जावान् रखते हैं और शुक्ल पक्ष की द्वितीया को सूर्यदेव अमृत को पुनः चन्द्रमा को लौटा देते हैं। गर्गसंहिता के अनुसार द्वितीया के कृत्य इस प्रकार हैं- 
*भद्रेत्युक्ता द्वितीया तु शिल्पिव्यायामिनां हिता । आरम्भे भेषजानां च प्रवासे च प्रवासिनाम् ।। आवाहांश्च विवाहांश्च वास्तुक्षेत्रगृहाणि च । पुष्टिकर्मकर श्रेष्ठा देवता च बृहस्पतिः ॥*

*तृतीया*
 - जब सूर्य एवं चन्द्र का अन्तर 24° से 36° तक रहता है, तब शुक्त पक्ष की तृतीया तथा 204° से 216° तक अन्तरांश होने पर कृष्ण पक्ष की तृतीया का मान होता है। इसे 'ततिया, तइया, तैजा, तीजा, तीज, त्रीज, त्रीजा' आदि भी कहते हैं। इसका विशेष नाम ' *सबला* ' है। यह बलवान तिथि है; अत: इसे ' *जया* 'नाम से भी अभिहित किया जाता है । इसकी स्वामिनी गौरी है। इस तिथि में 'संगीत-विद्या- शिल्पकर्म-सीमन्त-चौलान्न-गृहप्रवेशम्' ये कार्य तथा जो कार्य द्वितीया में विहित है। उनका करना शुभ होता है । यह तिथि बुधवार को मृत्युदा, परन्तु मंगलवार को सिद्धिदा हो जाती है।

इस तिथि में नमक तथा परवल का शाक नहीं खाना चाहिये। जया तिथि होने से इस तिथि में फौजदारी तथा दीवानी के मुकदमे दायर करना शुभ होता है। मुकदमों का प्रतिवादपत्र ( जबाबदावा) दाखिल करने के लिये यह तिथि शुभ होती है।

द्वितीया युक्त तृतीया क्रीडा में होने से यह दोनों पक्षों की तृतीया यें शिवपूजनार्थ निषिद्ध है। शुक्ल पक्षीय तृतीया में भूतभावन भगवान् शंकर का वास सभा में विराजते है अतः माँ गौरी ,प्रकृति उनको पाने साधना ,कठोर तप करती है। कृष्ण पक्ष बुधवार को तृतीया होने पर दग्ध योग का भी निर्माण हो जाता है, जो कि शुभ कृत्यों में वर्जित है। यह चन्द्रमा की तीसरी कला है, जिसके अमृत को कृष्ण पक्ष में विश्वेदेव (साक्षात् परमात्मा ) पान करते हैं। 'तृतीयाऽऽआरोग्यदात्री च' अर्थात् तृतीया आरोग्य देने वाली होती है।
शुभमस्तु
कल्पना झा
अध्यक्ष
प्राच्य विद्या शोधमण्डल

क्रमशःश्वर 
🙏🙏
💐शुभवन्दन 💐
ॐ वक्र तुण्डाये हुम्🕉️
🕉️ॐ ह्रौं जूं सः🕉️
महाशिवरात्रि का ज्योतिष- आध्यात्मिक -सांस्कृतिक रहस्योद्घाटन ,,,,,,🕉️
महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ   महा न ऋषियों को वंदन साधुवाद ,, जिनकी अतीन्द्रिय मेधा शक्ति   ने उस अलौकिक शक्ति  की ऊर्जा प्राप्त करने के संस्कार ,, को पर्व,त्यौहार का स्वरूप प्रदान किया।

हम भारतीय संस्कृति के संवाहक उस अलौकिक ज्ञान को सहज ही पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित कर रहे हैं।
आज बात करेंगे साधना पर्व शिवरात्री का क्या है खगोलीय ,ज्योतिष, आध्यात्मिक  महत्व,❓🙏
साथ ही हजारों वर्ष में या यूं कहें तो आज जो रात्रि का जो ग्रह योग बन रहा है ,,वह अदभुत है ,,,। 
-🕉️------- ज्योतिष प्रारब्ध और पुरुषार्थ की तर्कसंगत अनुभव सिद्ध व्याख्या है  ---------🕉️
ज्योतिष  का सिद्धांत पक्ष  दर्शन शास्त्र पर आधारित है --यह बताता है की सृष्टि में अनेक योनियां है,,,,सभी मे चेतना है ,---अंतर केवल विकास क्रम में है:-
-------मुख्य योनियां----
1खनिज
2 उद्भिद( वनस्पति  )
3कीट
4पशु 
5मनुष्य
6 मनुष्येतर योनियाँ
(पिशाच,यक्ष,किन्नर ,गंधर्व,देव आदि)
  मनुष्य में ही चेतना का चरम विकास हुआ है ,,बाकी मूल प्रवृत्ति से काम करते हैं।
मनुष्य ही स्वतंत्र इच्छा ,, विवेक सम्पन्न है और कर्म करने स्वतंत्र है।

इस कारण ही मनुष्य योनि कर्म योनि है  बाकी के साथ देव योनि भी भोग योनि है ।
""'''-----कर्म----"""
कर्म 3 प्रकार के है ,,
1 संचित ,,जो जमा हो रहा है 
2 प्रारब्ध कर्म ,जो फलित             
    होना शुरू हो गया
3 क्रियमाण कर्म ,,जो     
        वर्तमान में किया जा रहा है।
 क्रियमाण प्रारब्ध पर औऱ प्रारब्ध संचित कर्म पर ।
यही माया का इंद्रजाल है ,,
उसे कर्म करना ही होता है।
उसे केवल एक ही स्वाधीनता है याने एटीएम साक्षात्कार ।
यह सिर्फ मायापति के समर्पण से ही हो सकता है ।     
 मानव मन से संचालित जीवात्मा है जो आत्मज्ञान  या आत्म बोध या  आत्मा में समाहित होना चाहता है ।
 पशु मानव।  सभी की मूलभूत आवश्यकता  (   भोजन ,पानी प्राण वायु , एक  सुरक्षित आवास)
 ,)एक है।
 ,,,अध्यात्म,,
अध्यात्म याने  शव से शिव होना स्व को जानना ,,यह कैसे होगा❓
मानव शरीर में 7 चक्र है 5 चक्र तक जीवात्मा है जो द्विविधा में है ,,
 किंतु जब  आकाश तत्व याने विशुद्धि  चक्र ,वाणी ,बुद्धि ,का विकास   से 6ठवाँ,,  चक्र  आज्ञा ,, गुरु तत्व  या ज्ञान समाहित हो जाये ,, याने  आज्ञा चक्र जागृत हो या इष्ट गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त हो  तो इष्ट प्राप्ति  आत्म तत्व या पिनियल ग्लैंड में  ऊर्जा प्रवाहित होकर  मानव ,,स्वयं के भाग्य निर्माता  होगा ,,, ,, यहीं से आत्मा को परमात्मा का अनुभव होगा । 
 महादेव शिव ही योग ,तांत्रिक साधना के परमगुरु है ,,
अर्थात
🕉️ शिवोहम शिवोहम सत्य स्वरूपं  🕉️🌹 
,शिवोहम 
शिव ,,,शिव  से ऊर्जा निकल जाए तो शव है ,,  अर्थात शिव शिवा , मन ,आत्मा का मिलन ही शिव है ।
इसका पर्व है महा मिलन की रात्रि ,  शिवरात्रि शिव  पार्वती विवाह की रात्रि   है महा शिवरात्रि🙏🙏
💐💐💐💐💐💐
इसका  प्राकृतिक ,खगोलीय 
ज्योतिष ग्रह स्थिति ,,, से इसका विवेचन ,विश्लेषण ,शोध से अद्धभुत  गूढरहस्य का भेदन होता है !!!!

,,,वास्तव  में  भारतीय संस्कृति  महान ऋषियों की ऋणी है ,,जिन्होंने इस प्रकृति के  रहस्यों , ,ऊर्जा  को  त्यौहार पर्व के रूप जन कल्याणकारी स्वरूप प्रदान किया ।
महाशिवरात्रि  फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है । सूर्य ,आत्मा,,,चन्द्र-मन   पृथ्वी  - शरीर ,अर्थात जो ब्रह्मांड में हैं वहीं पिंड में है 
अर्थात ब्रह्म और जीव  के बीच आत्मा  याने प्राण ऊर्जा अर्थात सूर्य ,,सूर्य ही हमारा प्राण दाता  है।
मन या चंद्र हमारा संचालक है , यह मन या चंद्र ही प्रकृति ,,मानव  शरीरपृथ्वी का संचालक है ,,
 ज्योतिष♈♉♊♋♌♍♎♏♐♑♒♓
  12 ,राशि ,27,नक्षत्र  से सूर्य चन्द्र के भ्रमण ,गोचर का आकलन सूर्य एक वर्ष में  तथा चंद्र लगभग 28 दिन में इस भचक्र का  चक्कर लगाते है ।12 राशि मे भ्रमण करता है ,,  सूर्य  इस माह में कुम्भ राशि मे होता है जो काल पुरुष  का एकादश ,,लाभ इष्टपूर्ति भाव है ,,वर्ष में इस दिन ही सूर्य  चन्द्र  कुम्भ  शनि की राशि मे बैठकर साधना भाव पर पूर्ण शुभदृष्टि  *(याने सिंह  राशि पर सूर्य की स्वदृष्टि    ) यह समय जब बसंत ऋतु में प्रकृति में नव प्रस्फुरण ,,होता है ( पंचमी को  शिव  महादेव की  सगाई यह जन श्रुति है   किन्तु वास्तव में प्रकृति के सौंदर्य , उत्साह उल्लास ,आनंद  ,का दिन ) 
  इस समय  जो भी साधना  ,प्रार्थना  पूजन किया जाय वह  इष्टपूर्ति कारक होगा क्योंकि सूर्य चंद इस दिन ही  एक साथ होते है  अर्थात प्रकृति  और पुरुष  तभी चहुँ ओर आनंद उत्सव है ,🙏🙏
💐💐🌹🌹 शिव ,मंगलम शिवा मंगलम ,,शुभ मंगलम  ( मन आत्मा   का संयोग ही योग है साधना है तप है ,) 
आइए ,आज की रात ,सेवा संकीर्तन ,साधना करें ।
आज की ग्रह स्थिति  हजारों वर्षों बाद बनी है ,,
सूर्य चन्द्र शुक्र ,भाव11 ,,में ,,शनि गुरु ,बुध मकर राशि में ,मंगल राहु वृष राशि में, यह संयोग भारतीय अध्यात्म ,,कर्म ,लग्न,, ,अर्थात शुभ दिशा में    कर्मशील भारत की शक्ति  कर्मठ श्रम शक्ति , पूंजी  ,ज्ञान विज्ञान के समायोजन से  मार्गदर्शक की  धरोहर को संरक्षित  संवर्धित प्रसारित करेगा,,🙏🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️🕉️
ॐ नमः शिवाय
 नित्योहम
शुद्धोह्म
बुद्धोह्म 
मुक्तोह्म 

शुभ शिवरात्रि 
प्राच्यविद्या शोधमण्डल राजनांदगांव
🙏🙏🙏🙏🙏


सखियां-
श्रीमती सलिला ठाकुर
प्राच्यविद्या शोधमण्डल 2002 से भारत की दिशा ,दशा का  सटीक गणना आकलन  कर रहा है ,,2012,,से हर समसामयिक घटनाओं का ज्योतिष के आईने से विवेचन को लिपिबद्ध करके प्रसारित भी ।
2016 से वार्षिक स्मारिका ,"""मिहिरावली"" में संकलन प्रसारण भी किया जा रहा है ।
मंडल द्वारा शनि के कर्क ,मकर राशि मे गोचर की गणना विवेचन किया गया है ,,,शोध से यह तथ्य प्रमाणित होता है कि शनि का गोचर जब कर्क या मकर में होता है वह अभूतपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तनों, घटनाओं का काल होता है।
यह तथ्य  4 मार्च 2020 को प्रसारित  किया गया था ,,तब कोरोना ने दस्तक दी थी किन्तु इतना विकराल स्वरूप होगा यह काल के गर्त में था ।
आज एक वर्ष से हम सभी ने इस क्रांतिकारी अभूतपूर्व समय का अनुभव किया है।
अभी तो मंगल राहु की युति भारत के लग्न में बनी है ,,यह योग भारत को कूट व्यूहरचना से शत्रुओं को उनके ही जाल में घेरने  के संकेत की आशंकाओं को जन्म देती है ।
किन्तु  ,शनि ,गुरु का भारत के भाग्य स्थान में गोचर ,, इस ईश्वरीय योजना को बहुत ही सार्थक ,सहज ,उदार ,न्यायप्रिय ढंग से यह कार्य  की प्रबल संभावना है । दृढ़संकल्पी नेतृत्वकर्ता ,, हमारी आध्यात्मिक चेतना,,  संस्कृति के पोषक जन सहयोग  से इस दुरह मार्ग से  मानवता का कल्याण का काल है ।
2022 तक शनि मकर में रहेंगे ,,हम आप इस काल के साक्षी होंगें।
🙏🙏
शुभवन्दन
 ""ईश्वर प्रणिधान "  
---सब दर्दों की एक दवा है, क्यों ना आजमाय ---
     मनुष्य के  अनुभव में आने वाले  हजारों हजार दुःख, दर्द को हमारे प्राचीन तत्व ज्ञानी ऋषियों ने 3 वर्गों में बांटा है :--आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक पीड़ा। इन सब से मुक्त रहने का एक मात्र उपाय भी दिया हैं--"ईश्वर प्रणिधान"।
   यहाँ ईश्वर से आशय है: निर्गुण,निराकार, निर्विकार, अनादि, अनंत, एकमेवाद्वितीयम् परम सत्ता, चाहे आप उसे किसी भी नाम से पुकारो, किसी भी रूप में देखो --" उसमें " प्रणिधान।
   महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग की आधार भूमि स्वरूप यम, नियम
में 5 नियम का अंतिम नियम है-- ईश्वर प्रणिधान।
    वैश्विक धार्मिक संगठन के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्तिजी  द्वारा ईश्वर प्रणिधान का दिया गया अर्थ:  सुख में,दुःख में, सम्पद विपद में ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखना और जगत के समस्त कार्यों में स्वयं को यंत्र और ईश्वर को यंत्री मान कर चलना ही 'ईश्वर प्रणिधान ' है।
    इस ईश्वर प्रणिधान को निरंतर अभ्यास से अपने आदत में फिर स्वभाव में उतारते जाने से सब प्रकार की पीड़ा के अनुभव से जीव मुक्त होता जाएगा ।
      शुभमस्त
श्रीमती सलिला ठाकुर
ज्योतिषीय सलाह-- 

1.किसी की इस्तेमाल की गई वस्तु न लें।
2.उपयोग किये गए इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं तो भूलकर भी न लें।
3.दूसरे के बिस्तर पर न लेटें न सोएं।सबके घर निमंत्रण में भोजन न करें।यदि वह व्यक्ति तामसी,अपराधी,चोर,और चरित्रहीन है,तो उसके यहां कदापि भोजन ग्रहण न करें।अन्यथा आप भी भागीदार हो जाएंगे।इसमे कोई संशयः नही है।
4.केशर,हल्दी,रुमाल,अपने भाग्येश ग्रह के रंग की वस्तुएं दूसरों को न दें।
5.कभी किसी के हाँथ से नमक, कोयला,काली मिर्च,चमड़ा, और लोहा कभी न ले,अन्यथा आप उसके सारे संकट अपने पर ले लेंगे।
5.घर का कबाड़ कभी बेंचे नही,मुफ्त में दे दें,अन्यथा दरिद्रता आपके घर से कभी नही जाएगी।लोग अक्सर यह गलती करते हैं।
6.तामसिक,राजसिक,अपराधी,व्यक्ति का साथ कभी न करें।अन्यथा उसके अदृश्य प्रभाव से बच नही सकते।
7.कई महानुभाव मुझसे पूंछे हैं,की वो कुछ ऐसे दुखों से पीड़ित हैं,जिसका उनसे कोई संबंध नही है।बात बिल्कुल सही है,लेकिन क्या कभी सोचा कि मैंने किस किस का साथ किया,किस किस का खाया,क्या क्या देखा,किन किन स्थानों में गया?बस इसका ध्यान रखिये अनजानी पीड़ाओं से मुक्त हो जाएंगे। *शरीर मे सोना अवश्य पहने* यह नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
8.पत्नी संग भी पूर्ण स्वच्छता,सात्विक भाव से किया जाय,भोग भाव से नही,बल्कि त्याग भाव से करें।पत्नी के अंतःकरण की नकारात्मकता,बाहरी मलिनता,से आप निश्चित ही प्रभावित होंगे।और पत्नी आपसे।अतः यह पूर्ण ध्यान रखें। 
 इसका जबरदस्त प्रभाव होता है।लोग कहते पाए जाते हैं कि बहु आने के बाद बर्बाद हो गए,कोई कहतें हैं,इसका आना शुभ हुआ।दहेज नही,लड़की के अंतःकरण का दहेज न लो,नही तो बर्बादी नही रुकेगी।दूसरे का धन तुम्हारे घर मे क्या प्रभाव डालेगा?कभी चिंतन किया क्या।वोअपना कबाड़ तुम्हे दे रहा है,और तुम उस कबाड़ को ले रहे हो।कहते हैं,बेटी के ब्याह के बाद उस व्यक्ति को बहुत मानसिक शांति,समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।बिल्कुल सही है,क्यों कि बेटी का बाप, राहु,केतु,शनि,और अपने अन्य अनिष्टकारी ग्रहों का दान कर देता है,इसलिए उसकी बृद्धि तो होगी ही।बेटी के बाप की पूरी विपत्ति,पूरे संकट,दूल्हे के पिता जी स्वीकार कर लेते हैं।ये विज्ञान है,ये विज्ञान सम्मत है ।बस समझने का प्रयास करिये बस।
9.रात को दूध,दही और मूली का भूलकर दान न करें।
 देवाधिदेव श्री महादेव जी हम सभी का कल्याण करें।
शुभमस्तु
*हवन की सरल विधिः*

*पहले अपनी नियमित पूजा कर लें फिर हवन की तैयारी करें.*
*हवनकुंड वेदी को साफ करें. कुण्ड का लेपन गोबर जल आदि से करें.*
*फिर आम पलाश,पीपल,चंदन आदि जो उपलब्ध हो की लकड़ी हवन के लिए लगा लें.*
*नीचे में कपूर रखकर जला दें.*
*अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो चारों ओर समिधाएं लगाएं.*
*हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.*
*इन मंत्रों से शुद्ध देसी गाय के घी की आहुति दें-*
*ॐ भू:स्वाहा इदम अग्नये न मम*
*ॐ भुवः स्व: स्वाहा इदम वायवे न मम*
*ॐ स्व: स्वाहा इदम सूर्याय न मम*
*ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम्।*
*ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम्।*
*ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम।*
*ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम।*

*उसके बाद हवन सामग्री से हवन शुरू कर सकते हैं.*
*इन मंत्रों से हवन शुरू करें-*

*ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा*
*ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा*
*ऊं भौमाय नमः स्वाहा*
*ऊँ बुधाय नमः स्वाहा*
*ऊँ गुरवे नमः स्वाहा*
*ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा*
*ऊँ शनये नमः स्वाहा*
*ऊँ राहवे नमः स्वाहा*
*ऊँ केतवे नमः स्वाहा*

*इसके बाद गायत्री मंत्र से आहुति देनी चाहिए. गायत्री मंत्र इस प्रकार से हैः-*

*ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।*  *11आहुति*

*फिर आप इन मंत्रों से हवन कर सकते हैं-*

*ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,*
*ऊं गौरये नम: स्वाहा,*
*ऊं वरुणाय नम: स्वाहा,*
*ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा,*
*ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा,*
*ऊं हनुमते नम: स्वाहा,*
*ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,*
*ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा,*
*ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा,*
*ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा,*
*ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा,*
*ऊं शिवाय नम: स्वाहा*
*ऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी*
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा,*
*ॐ Hrom जूम स: सिद्द गुरुवे नमः* 3 आहुति

*इसके बाद कुंजिका स्तोत्र के प्रत्येक मन्त्र से आहुति*

*दुर्गा  सप्त श्लोकी के प्रत्येक मन्त्र से आहुति*

*दुर्गा 32 नाम के प्रत्येक मन्त्र से आहुति*

*देवी स्तुति या देवी सर्वभूतेषु,,,, के प्रत्येक श्लोक से आहुति*

*महामृत्युंजय मन्त्र से 11 आहुति अधिक भी कर सकते है*

*कुंजिका के मन्त्र*--
*ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे |*
*ॐ ग्लौं हुं क्लीं जुं सः*
*ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल*
*ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा*      *से 11 आहुति या अधिक*

*फिर अंत मे*
*ॐ भू: स्वाहा*
*ॐ भुवः स्वाहा*
*ॐ भुर्भुवः स्व: स्वाहा*

*फिर पूर्णाहुति कुंजिका के मन्त्र से घी के साथ पूरी सुपारी रखकर आहुति दें*

*हवन के पूर्व सँजीवनि का आव्हान कर यज्ञ कुंड में प्रवाहित करें*

*यज्ञ फल देवी को अर्पित कर प्रार्थना करें*
*सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः,,,,,,,*

*आप चाहें तो बीच मे लक्ष्मी मन्त्र से भी आहुति दे सकते है
🕉🙏🙏🙏🙏🙏🕉
शुभवन्दन ,,
  """ गृह -नक्षत्र, काल के नियोक्ता"""
पूर्वाग्रह को छोड़कर  सम भाव  से  ही इस काल को समझा जा सकता है।
 अभी तो आगे आगे देखिये क्या क्या होता है।बहुत कुछ परिवर्तन  एवम् नया सृजन होना है ।
  कुंडली तो  ब्रह्माण्डीय ऊर्जा  के परिसंचरण का मानचित्र है
उसको आप स्वीकार करो या न करो।आपके मन मस्तिस्क ,प्राणऊर्जा  में 
 स्पंदन  नकारात्मक,- सकारात्मक ऊर्जा को--गृह ,नक्षत्र एवम् राशि पुंज निवेदक स्वरूप में पुरुषार्थ  कारक तथा  प्रारब्ध भोग के माध्यम बनते है ।
 बिना मार्ग में चले मार्ग की विसंगति का दोषारोपण ,,वही करते है जो उतरदायित्व स्वयं न लेकर बस  स्वहित की सोचते है ।
    हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है प्राकृतिक ,,सामाजिक ,राजनैतिक, आर्थिक, आदि आदि क्षेत्रों के विकास व् समायोजन के लिए बस  नियति ही  नियोक्ता है ,,मोदी नियतिके माध्यम है ।पात्र - सुपात्र, समय तय करेगा ।
ये हम सभी का सौभाग्य है जो इस परिवर्तन काल के साक्षी है। संक्रमण काल है। ,,किन्तु --परंतु,,  द्विविधा,, से होकर प्रतिप्रसव का इंतजार करें,,,,  स्व को जाने स्वहित को नहीं ।
तभी जय जय जय जय हो  कहने के पात्र होंगें ।
   भारत के स्वर्णिम काल का निर्धारण क्या 2020 2022में शनि ,गुरु ,राहु,केतु ,मंगल का 
गोचर करेगा ??
इस प्रकार की गृह स्थिति शताब्दी बाद बन रही है ।
  महाकाल द्वारा रचित काल को ग्रहों की जुबानी अभिव्यक्त करके संभावित 
घटनाओं  की सम्भावना को भूसे के ढेर में सुई तलाशने  जैसे दुरह कार्य  के संपादन में मंडल शोधरत है। जिसका प्रकाशन मंडल की स्मारिका के आगामी अंक में एवम्  लेखों में होगा।
 आइये हम सब आने वाले कल की धुंधली तस्वीर को सुनहरे  रंगों  से स्वर्णिम ,चमकीली, नयनाभिराम बनाने पुरुषार्थरत हो।
 शुभमस्तु,, 
  कल्पना झा 
  अध्यक्ष प्राच्य विद्या शोधमण्डल


[25/01, 7:10 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: शुभवन्दन
आज पुनः ज्योतिष शास्त्र की प्रामाणिकता,, शास्वत सत्यता से साक्षात्कार हुआ । 
,,,राम मंदिर निर्माण,, के कालजयी  भागीरथी ,दैवी  महायज्ञ ,हेतु 
प्राच्यविद्या शोधमण्डल द्वारा आहुति ( कूपन) एक ईंट का योगदान प्रदान किया गया ।
विशेष महत्व इस तथ्य का है की मंडल द्वारा इस कालजयी निर्माण एवम युगस्थापन  की गणना विवेचनापूर्व में हीआकलन कर प्रसारित  की गयी थी ।
आप कहेंगे इसमें विशेष क्या,,❓❓ 
यहाँ  इसका उल्लेख इस लिए की ग्रह कैसे समय घटना का उल्लेख करते है ,,यह बताना मुख्य आश्चर्यजनक तथ्य है,,,
जब यह राममंदिर के लिए सहयोग राशि प्रदान की जा रही थी तब,,,
 लग्न कर्क,, चन्द्र लग्न नक्षत्र उत्तराभाद्रपद  शनि ,,जो रामचन्द्र जी का जन्म लग्न राशि है ।
तथा जब जब भी इस विषय पर गोष्ठी या गणना की गयी 
चन्द्र मिथुन और राहु लाभस्थान  का स्वामी बना ।
,आज भी चन्द्र मिथुन राशि में है ।
पुनः विश्वगुरु भारत का वंदन ,अभिनंदन,,शुभवन्दन।
जय जय श्री राम🙏🙏
[25/01, 7:10 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: [23/9/2019, 15:45] +91 94255 17092: श्री राम मंदिर कब बनेगा यह बताइये आपकी ज्योतिषगणना से
[14/10/2019, 08:05] Kalpana Jha: शुभवन्दन 
प्राच्य विद्या परिवार  को 16 कला युक्त  मन कारक पूर्ण  चन्द्र   युक्त  शरद  पूर्णिमा  की   अशेष शुभकामनाओं के साथ ही 12 अक्टूबर 2019 शनिवार  की  सफल  ,,कार्यशाला गोष्ठी की हार्दिक  बधाई ।  इस शोधकार्यशाला में पूर्व में किये गए भारत के"" स्वर्णिम काल के आगाज ""  की ग्रहीय गणना ,, विवेचन , विश्लेषण से प्राप्त परिणाम की पुष्टि हुई ।
 16 ,फरवरी 2019 को पुलबामा के रणबांकुरों  को मंडल द्वारा श्रधांजलि सभा के समापन के बाद  डॉ श्रीवास्तव के प्रश्न -"क्या मोदी जी  बहुमत से सरकार बनाएंगे""?
  प्रश्न कुंडली में मोदीजी की जीत के साथ ही ""रामजन्म  भूमि "" पर भी  सार्थक  प्रगति की संभावनाओं के संकेत प्राप्त हुए थे।
12 अक्टूबर  19 संध्या 6,,,,51,, PMको   प्रश्न कुंडली ,,, श्री राम ,,,,,रावण की प्रचलित कुंडलियों से  16 ,,02,,,2019 को प्रश्न कुंडली से प्राप्त परिणामों की  प्रमाणिकता सत्य सटीक रही ।
मार्च ,अप्रैल 2019 में गुरु, शनि, केतु की युति भारत के अष्टम( रहस्य ,,प्राचीन धरोहर, पुरातत्व,  पैत्रिक विरासत)  भाव में कुछ अंतराल के लिए  गोचर हुए थे।
उस समय 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश श्री गगोई जी की अध्यक्षता  में 3 सदस्यीय कमेटी गठित की गई तथा तीव्र गति से न्यायालयीन प्रक्रिया की कसौटी ,,परीक्षा के बाद बहुप्रतीक्षित  फैसला 18 नवम्बर को आने वाला है ।  5 नवम्बर से पुनः गुरु, शनि ,केतु की युति जनवरी 2020 तक धनु राशि में बन रही है । इस समय  यह कार्य आमसहमति  जनसहयोग से मूर्त रूप की ओर बढ़ेगा ,,।पुनः गुरु ,शनि  युति भारत के भाग्य एवम् नेतृत्व कर्त्ता के पराक्रम भाव में बनने से भारत की आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में , राममंदिर  का निर्माण मील का पत्थर साबित होगा ।
 भारत से मानवता एवम् वसुधैव कुटुम्बकम्  की अवधारणा का  स्थापन होगा ,,। 
उपर्युक्त सम्पूर्ण गणना, आकलन, विवेचन का  शोधपत्र ,,आगामी स्मारिका"" मिहिरावली""
  में प्रकाशित होगा ।
पुनः आप का अभिनंदन 
मंडल अध्यक्ष
[06/01, 2:27 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: प्राच्य विद्या शोध मंडल क्या है❓❓
जानिए अपने मंडल  के कुछ तथ्यों को और इस ज्ञान यज्ञ में अपनी आहुति  देकर   संस्कारधानी  के   गौरव के लिए पुरजोर कोशिश में एक कदम अवश्य बढ़ाइये,,,,,,
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

शुभवन्दन,,
सुधी जनों का अभिनंदन
प्रणाम सर् ,आप का बहुत धन्यवाद,,  ज्योतिष शास्त्र के वास्तविक स्वरूप का आपके द्वारा अद्धभुत विवेचन किया गया
 ।आज   प्राच्य विद्या,ज्योतिष शास्त्र , जिस भ्रम, मायाजाल , आडम्बर , कलेवर,भयादोहन ,अज्ञानता,छल ,कपट के चुंगल में  छटपटा रही है,, उसके मूल स्वरूप में स्थापन के लिए ,प्राच्य विद्या शोधमण्डल विगत लगभग 40 वर्षों से संघर्ष रत है।
आदरणीय सर की 65 वर्षों की  गहन शोध ,तपस्या एवम कठोर पुरुषार्थ का  मूर्त स्वरूप ही  '' प्राच्य विद्या शोधमण्डल,, """है।

प्राच्य विद्या शोधमण्डल द्वारा शून्य से शुरू किया गया सफर आज  अपने सीमित संसाधनों ,उबड़ -खाबड़  राह से गिरते-पड़ते,,विभिन्न पर्वताकार - अवरोधों  ,विषैले-कंटकों,   ,कुत्सित प्रचार-प्रसार , की खाई ,अवहेलना-आलोचना ,के भंवर जाल ,   से जूझ कर
संचार क्राँति के 
 विशाल   आकाश में  उड़ने के लिए   पंख  फड़फड़ा रहा है।
ज्योतिष विधा को  अज्ञानता से परे मूल स्वरूप   ,,प्राकृतिक जीवन शैली,, जीवन दर्शन ,मानवता के सर्वमुखी कल्याणार्थ ,, स्थापन हेतु  मंडल  प्रयासरत है।
 प्राच्यविधा के लिए मंडल संरक्षण,संवर्धन ,प्रसारण , हेतु  शोध ,लेखन,प्रकाशन, संगोष्ठी ,शोधकार्यशाला के साथ ही शैक्षणिक  प्रशिक्षण   कार्यक्रम का संचालन किया जाता रहा  है,,।
मंडल के  10प्रशिक्षण  सत्र पूर्ण  हो चुकें है।
 11वें सत्र का डिजिटल प्रशिक्षण सुचारू रूप से ,इस आपदा काल ,,,लॉक डाउन,, में संचालित है।
मंडल के शैक्षणिक कार्यक्रम को    2016  में ,, वराहमिहिर ज्योतिष विद्या पीठ ,,के स्वरूप में नए प्रकल्प  की स्थापना की गयी।
"'ज्ञान सागर ग्रंथालय"" मंडल का अनमोल ,अकूत ,दुर्लभ पुस्तकों का खजाना है,, जो तिनका -तिनका  स्वपुरुषार्थ से संचय किया गया है। इसमें विभिन्न विषयों की शोध सामग्री के साथ  विलुप्त पुस्तकें भी उपलब्ध है।
9 फरवरी 2020 से मंडल  ,, """वराह टेक 2020""व्हाट्सऐप ग्रुप से प्रशिक्षण सामग्री ,ज्योतिष शोध पत्रों का प्रसारण कर रहा है। 
महामारी ,वैश्विक आपदा काल , लॉक डाउन,,में 
14 अप्रैल 2020 ,, से ऑन लाइन क्लास प्रारम्भ है,,।
अभी तक पामिस्ट्री ,हस्त सामुद्रिक रहस्य पर प्रशिक्षण दिया जा रहा था ।
 कल 29  जून 2020 से ज्योतिष शास्त्र का भी प्रशिक्षण आरम्भ किया गया है।
आप इस अनमोल ,अवसर का अवश्य लाभ प्राप्त करेंगे??
 क्या,,ज्योतिष शास्त्र की प्रामाणिकता के लिए मंडल की कुंडली ,,संस्था के पंजीयन क्रमांक,,14,अप्रेल 2020,,,,29 जून  2020 की ग्रह स्थिति  का आकलन करके आपको भी ज्योतिष के रहस्य भेदन  का रसास्वादन  कराया जाय❓❓
आप सभी का  अभिनंदन ,धन्यवाद ,
🙏🙏
 वर्तमान में KP पद्दति पर सप्ताह में 4 दिन प्रशिक्षण आरंभ है ।।
शीघ्र ही  प्रारंभिक प्रशिक्षण  सत्र का शुभारंभ होगा,,,🙏🙏
श्रीमती कल्पना झा 
अध्यक्ष 
प्राच्य विद्या शोधमण्डल
राजनांदगांव36 गढ़
[12/01, 3:43 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: सादर वंदन 
श्रद्धासुमन 
युवा राष्ट्र नायक  स्वामी जी को
आदरांजलि
मातृभूमि  के अंतर्मन की  चिर स्मृति में रहकर
हमेशा प्रेरणा औऱमार्गदर्शन देने वाले 
हम सभी के आदर्श ,,स्वामी विवेकानंद जी को शत शत नमन🙏🙏🌹🥀🌹🌷

विशेष,,,,

स्वामी जी का जन्म  धनु लग्न 
में हुआ था ,,,संयोगवश आज चंद्र धनु राशि में ही है।

 गुरु की राशि धनु  के  कारकत्व  या स्वरूप  से उपदेशक ,ज्ञान ,लक्ष्य प्रति समर्पण, उत्साह ऊर्जावान,, होते है ।
यह द्वि स्वभाव राशि यदि शुभप्रभाव में हो तो व्यक्ति योगी होगा नहीं तो भोगी।
मंडल द्वारा  प्रतिवर्ष स्वामी जी  का जयंती महोत्सव आयोजित किया जाता है ।
पूर्व में आयोजित जयंती  पर गोष्ठी के कुछ अंश,,,
जब संचार तंत्र के  सीमित  संसाधन थे ,,मंडल प्रतिमाह बैठक आयोजित करता था ।
सदस्यों को पोस्ट कार्ड से आमंत्रित किया जाता था ,,देखिये स्वामी जी  की जयंती पर आमंत्रण कार्ड🌺🌹🙏🙏🙏🌹🌺
[12/01, 3:43 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: शुभवन्दन

प्राच्य विद्या शोधमण्डल   की ओर से युगपुरुष चिरयुवा राष्ट्रंनायक स्वामी विवेकानंद जी  की157वीं जयंती  पर श्रद्धासुमन ,, ,,नमन🙏🙏💐💐🌹🌹
  मंडल द्वाराआदरांजली  अर्पित करते हुए,,उनके जन्मकालीन ग्रहीय  एवम् कर्मशील राष्ट्र नायक के हस्तरेखा के  रेंखांकित - चित्रांकित मानचित्र  से उनके मनमोहक व्यक्तित्व, उच्चाध्यात्मिक चरित्र,  समाजोन्मुखी कृतित्व, भावपूर्ण दृष्टि   को ग्रहीय भाषा से विवेचित करने हेतु 
दिनांक 13जनवरी2020 दिन 
सोमवार ,,,, संध्या 6 बजे ,,""वराहमिहिर ज्योतिष विद्या पीठ ""द्वारा गोष्ठी ,,कार्य शाला का आयोजन किया जा रहा है।
" प्रबुद्व, जागृत, युवा भारत के स्वप्नद्रष्टा "अमृतस्य पुत्र" , विश्ववन्द्य स्वामीजी के सम्मान में मंडल द्वारा इस वर्ष भी आयोजित  समारोह में समवेत हो कर स्वयं का सम्मान बढ़ाने के लिए आपके मंडल का आपको हार्दिक निमंत्रण।
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"हो सकता है मैं जल्द
 ही अपने शरीर से बाहर हो जाऊँ, उसे एक परिधान की तरह उतार कर। लेकिन मेरा काम नहीं रुकेगा। मैं लोगो को ईश्वर से जोड़ता रहूँगा।"

"कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन..." को वास्तविक जीवन में उतार, सनातन संस्कृति के उच्चतम मूल्यों को सार्थक और स्थापित कर जगत-व्यापी बनाने वाले विश्व के सबसे प्रांजल, सबसे दिव्य, सबसे तेजस्वी कर्म-गुरु, सर्वमान्य शांतिदूत और धर्म-प्रतिनिधि, स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर उन्हें आकाश भर प्रणाम। उनके एक-एक शब्द में प्राण है अतः आवश्यक है हम सब उन्हें पढ़ें, आत्मसात करें और स्वधर्म सीखें। नमन। 🙏❤️🇮🇳
 मंडल अध्यक्ष
[14/01, 1:20 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: भारत के लग्न में राहु स्थित है ,, स्वतंत्र भारत का जन्म ही षड्यंत्र के तहत हुआ है ,,वर्तमान में भी राहु लग्न में गोचर है ,,अतः विघटनकारी शक्तियां बाह्य तत्व भारत की एकता अखंडता को खंडित करने सक्रिय है ,किन्तु भाग्य ,अध्यात्म भाव में 5 ग्रहीय योग संक्रांति में बन रहा है ,,यह शत्रुओं को मात देगा ,, हो सकता है भारत  की भौगोलिक स्थिति का विस्तार हो ,,बहुत कुछ क्रांतिकारी घटनाएं होंगी।
ग्रह कलह ,,अशांति भी हो सकती है।
[15/01, 3:27 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: शुभ वंदन 
उत्तरायण  भास्कर का अभिनन्दन 
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ०🙏🙏💐💐🙏🙏
लोकमान्य तिलकजी ने  अपने" Arctic Home In Veda"S"  नामक ग्रन्थ में वेदों का प्रमाण ले कर  प्रतिपादित किया है कि कभी आर्यजन उत्तर ध्रुव प्रदेश में भी रहते थे।
 उन्होंने वेदों की ऋचाएं ले कर वहां के अद्भुत  मेरु-प्रभा  के दृश्य का भी वर्णन किया है  उत्तर ध्रुवीय प्रदेश में 22 दिसंबर(  सायन मकर संक्रांति ) से शुरू हो कर 23 जून ( सायन कर्क संक्रांति)तक 6 मास के लिए दिन रहता है, शेष 6 मात्र तक रात्रि।
   यही देवताओं का 6 मास का दिन और 6 मास की रात्रि है।

सूर्य ,जीवन ऊर्जा  का स्रोत,आत्मकारक ,,जब कर्क राशि में प्रवेश करते है तब उत्तरी ध्रुव में क्रमशः  कम प्रकाशित होते  होते धनु राशि में क्षीण रूप से पृथ्वी के उत्तरी भाग में  प्रकाशीय ऊर्जा बिखेर पाते है ,,क्योंकि पृथ्वी 23-१/२ डिग्री (23 अंश 30 कला)अपने अक्ष पर झुकी है।
  दक्षिणी  गोलार्ध में मकर राशि  या मकर रेखा  प्रवेश के साथ ही सूर्य पुनः उत्तरी गोलार्ध की ओर प्रस्थान करते है ,,,
मानव सभ्यता का  विकाश 90 % उत्तर गोलार्ध में ही हुआ है ,,आज भी विश्व की बहुसंख्यक आबादी उत्तरी महाद्वीपों  बसती है ।
अतः सूर्य ऊर्जा की महत्ता ,,जीवन ऊर्जा के स्वागत,अभिनन्दन,का महा ऋतू पर्व ,मकर संक्राति ,,विभिन्न नामों के साथ ही भिन्न -भिन्न प्रकार से प्रायः भरतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाता है ।पुनश्च ,,हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ,,इति शुभम् करोति भास्कर:🙏🙏
[15/01, 3:44 p.m.] Kalpna Jha Sagrika: [14/01, 19:03] 
 शुभ वंदन
*कृपया जान लीजिये कि संक्रान्ति अब 15 जनवरी को क्यों हो रही है?*

वर्ष 2008 से 2080 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी। 
विगत 72 वर्षों से (1935 से) प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती रही है।

2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी। 

ज्ञातव्य रहे, कि *सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश* (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से, मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है।

सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है।

*यही कारण है, कि अंग्रेजी तारीखों के मान से, मकर-संक्रांति का पर्व, 72 वषों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है।*
विशेष:- यह धारणा पूर्णतः भ्रामक है, कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को आता है।
आँखें खोल देने वाला लेख है।
   राशि चक्र दो हैं:
 1/ सायन राशिचक्र और 2/निरयन राशिचक्र।
   सायन में सूर्य का मकर राशि में संक्रमण हमेशा  21/22 दिसंबर को होता है और निरयन में प्रति 72 वर्ष  (लगभग ) में एक एक दिन आगे बढ़ते बढ़ते 1935 से 14 जेनुअरी को पड़ने लगा तथा सन 2008 से  15 जेनुअरी को सूर्योदय पर  मकर में निरयन सूर्य संक्रमण होने लगा है।
    आगे ,जैसा बताया है, लगभग 2080/2081 से  अगले 72/73 वर्ष तक 16 जनवरी को मकर संक्रांति होगी।
     इस अति अल्पज्ञात तथ्य  को पुनः प्रकाशित किया गया है।।।
    धन्यवाद।
 श्रीमती कल्पना झा

[8/4/2020, 11:20] Kalpana Jha: शुभवन्दन 
"""ॐ दुर्गे देवी शरणागतम् त्राहिमाम्।।''
 ॐ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृत संजीवनी विद्ये।
मृत मुत्थापयोत्थापय क्रीम् ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।
 आज श्री पंचमी  स्कंद   स्वरूप भगवती की आराधना ,,साधना तप रत भारत की ऊर्जा ,, रोगप्रतिरोधक  ,क्षमता की वृद्धि करें।
 गुरु ,शुक्र का राशि परिवर्तन  ,भारत वर्ष को संजीवनी प्रदान करेंगे ,,,
 अर्थात कहा जा रहा है की कोरोना उन लोगों के लिए ज्यादा घातक है जिनकी जीवनी शक्ति ,
रोगप्रतिरोधक क्षमता कम है ।
 शुक्र स्वगृहीय वृष राशि में आज से जो  स्वतंत्र भारत की लग्न राशि है,, अर्थात भारत  का सम्पूर्ण अस्तित्व व्यक्तित्व  ।, सुर 
गुरु  बृहस्पति एवम् असुर गुरु ,शुक्राचार्य  ,,,गुरु ज्ञान और शुक्र जीवन भोग विलास ऐश्वर्य है ।
 गुरु मोक्ष , जीव कारक  ,,सुरक्षा  अध्यात्म ,, ज्ञान दायी है। 
 संजीवनी  शक्ति का वरदान  शुक्र को प्राप्त है ,, ब्रह्माण्ड में  शुक्राचार्य ही संजीवनी शक्ति के एक मात्र ज्ञाता ( दैवज्ञ    ) है।

असुर गुरु  शुक्र स्वगृहीय होकर भारत के लग्न में गोचर होकर  शुभफलदायी होंगे,,,

 
 माँ स्कंदमातेति जीवनदायिनी 
  शरणागतम् नमन ,वंदन ,,

जय दुर्गे देवी
 चैतन्या भव ।
जाग्रता भव ।
प्रसन्ना भव 
वरदा भव 
 हम होंगे कामयाब ,,
 स्वस्थ ,सुरक्षित रहें ।
[8/4/2020, 11:21] Kalpana Jha: लीजिये भारत इस महामारी की दवा का स्रोत बन रहा है ,,नमन भारत वर्ष

शुभवन्दन ,,,,,
पुनः स्मरण ,,अवलोकनार्थ ,,,
15 अगस्त 2019 को आयोजित गोष्ठी ,,, शोधकार्यशाला ,,में की गई संयुक्त गणना से  प्राप्त आकलन ,विश्लेषण ,निष्कर्षण पश्चात् ,,, जो परिणाम प्राप्त हुए थे ,,,
उससे ज्योतिषशास्त्र की  सटीकता ,प्रमाणिकता ,वैज्ञानिकता ,की पुष्टि नहीं हो रही है क्या❓❓❓

  आज साप्ताहिक शोध कार्यशाला एवम्  गोष्ठी  का विषय ,,  """"क्या भारत की आजादी  के पीछे एक षड्यंत्र कारी  करारनामा था❓
 जाने ग्रहों की जुबानी !!!!""
  इस विषय पर विगत 73 साल की भारत की दशा ,अंतर ,,प्रत्यंतर ,,   एवम् दीर्घ कालिक  ग्रहों गुरु, शनि ,राहु, केतु  के गोचर में घटित  घटनाओं का सूक्ष्म गणना ,विश्लेषण, विवेचन , अवलोकन  पश्चात् , यह संकेत मिल रहे है कि आने वाला  समय  क्रन्तिकारी- अभूतपूर्व घटनाओं का इतिहास रचेगा ,, जब शनि, मकर  राशि  जो  भारत  के नवम  -भाग्य/ अध्यात्म भाव  एवम् पाकिस्तान   के दशम  कर्म/ स्थान तथा चीन के लग्न याने स्वयं ,,व्यक्ति ,,यहाँ देश 
 की  प्रतिनिधि है ,,, वहाँ पर , शनि ,,गुरु ,का गोचर  होगा ,,साथ ही उच्चतम राहु ,केतु की दृष्टि के प्रभाव में आएंगे।
    यह काल  मानवता के कल्याणार्थ   अपनी स्पस्ट छाप छोड़ जायेगा ।आने  वाला समय कसौटी में कसकर मानव को कर्मठ ,उदार ऐश्वर्य वान भी बनाएगा ।वह भी जब मानव प्रकृति के अनुकूल जीवन जियेगा नहीं तो प्रकृति स्वयं संतुलन बना लेगी ,,।
  भारत का पराक्रम बढेगा   ,,उद्यम  का विकास होगा  ,क्योंकि तृतीय भाव  पराक्रम, साहस, उद्यम, लेखन ,शोध दस्तावेज ,प्रकाशन, मिडिया ,अंतरिक्ष में शोध आदि का होता है।
स्वतंत्र  भारत   की कुंडली  या स्थूलस्वरूप ,,के प्रसव का कारण  का  मन  के कारक  चंद्र , की दशा    2014  से 2024 ता 10 वर्ष चलेगी ।
इस काल में  भारत का भाग्येश शनि  वो उन सभी लोगों के साथ न्याय करेगा जो लोकोपयोगी  पुरुषार्थरत होगा।
 यह  काल  अपनी आंतरिक चेतना को  जागृत करने का होगा ।     मानव महामानव की चेतना के लिए कठिन पुरुषार्थ करेगा। 
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 यह बहुत ही क्रांतिकारी समय हम सब मिलकर हल करेंगे ,,जैसे बिना बड़ी हिंसा ,अराजकता के 370 धारा विदार्इ हुई ,परिणाम एक बहुत बढ़ी  रूकावट बाधा से मुक्ति ,, इसी प्रकार रामजन्म भूमि का मुद्दा ,, आरक्षण  की डुगडुगी का  भी यथोचित समाधान यह प्रसव काल करेगा,,,, जो 2020 से 2022 तक स्पस्ट तस्वीर मानवता के समक्ष रखेगी ,,
 
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  सर्वहारा वर्ग के लिए  / पीड़ित मानवता के लिए देश कार्य करेगा।
इस काल में
शनि की अंतर चलेगी तो शनि के कारकत्व के अनुसार दलित ,पीड़ित ,दिव्यांग , शोषित ,दीन -हीन सेवक ,   लक्ष्य के  प्रति समर्पित  जनों सोच समझ कर विश्लेषित करके कार्य करने वालों दर्शन, विज्ञान, चमड़ा उद्योग,   पुरातत्व म्यूजियम, गूढ़ विधा  , ज्योतिष, मन्त्र- तंत्र  ,जासूसी ,लोहा,कोयला  ,, ऊनी वस्त्रो,  आदि   क्षेत्रों में  विशेष योगदान ,उत्थान होगा।
  नास्त्रे दमश   ,,अनुसार 
 पूर्व से अध्यात्म का प्रकाश फैलेगा,  ,,,
 वह चरितार्थ हो रहा है। यथा विश्व योग दिवस ,,
 योग  के क्षेत्र में हमारे ऋषियो की  शोध  ,मेधा शक्ति को विश्व में महिमा मंडित किया गया , जो स्वास्थ्य के उत्थान के लिए है। अब कर्मशीलता ,कर्मठ समर्पित  होकर  राष्ट्र सर्वोपरि है की अवधारणा की स्वस्फूर्त अनुभूति जन  में व्याप्त होगी।
 इस पर मंड़ल गहन ,विस्तृत शोधपत्र ,माननीय प्रधानमंत्री महोदय को  संप्रेषित करेगा ।
   
  शुभ मस्तु 
 मंडल अध्यक्ष  ,श्रीमती कल्पना झा

​              
शुभवन्दन
""गुरु महोत्सव का गूढार्थ"""

"🕉पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णाद पूर्णमुद्चयते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।"
      ---यजुर्वेद
       यही शाश्वत सत्य है सब पूर्ण है, पूर्ण होना ही मानव का लक्ष्य है। इसका ज्ञान गुरु तत्व के द्वारा ही होता है।
 
"""""गुरु  महोत्सव  के गूढ़  रहस्य का भेदन ---
""- भारतीय संस्कृति का आधार ज्योतिष  और अध्यात्म  के समन्वय से ही किया जा सकता  है। 

- भारतीय संस्कृति का आधार ही ब्रह्मांडीय ऊर्जा का पूर्णता पिंड याने मानव के कल्याणार्थ उपयोग  का मार्ग है।
इस  मार्ग की यात्रा  गुरु तत्व के बिना नहीं हो सकती।
 गुरु तत्व  का जागरण साधना ,तप,आदर,विश्वाश ,समर्पण ,आस्था से गुरु के द्वारा ही किया जा सकता है।

""''यः गुरु सः शिवः, सः गुरु प्रोक्ता"""
शिव ही गुरु है, गुरु ही शिव है,।
 जब यह अनुभव होता है तब ही ज्ञान जागृत होता है।

आप गुरुमहोत्सव क्यों मनाते है??? 
 आइये इस प्रश्न का   समाधान  खोजते है----

""''' भारतीय /सनातन संस्कृति का  आधार ही ज्योतिष और अध्यात्म है।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आध्यात्मिक,अलौकिक /भौतिक, लौकिक  गूढरहस्य वेद चक्षु(अक्ष आँख) ज्योतिष  के  दूर संवेदी शास्त्र से स्पस्ट होता है।
 परम तत्व  ,ईश्वर ने महान ऋषि मंडल  को  गहन साधना  की अवस्था मे इस राहस्यभेदन  के ज्ञान का सूत्र दिया ,।
ऋषियों ने आप्त ज्ञान को मानवता के कल्याणार्थ  प्रस्तुत किया ,,इस ज्ञान  को  प्राप्त करने के लिए मानव को  
मार्गदर्शन हेतु  ब्रह्मांडीय  ऊर्जा के पूर्ण सदुपयोग के लिए विभिन पर्वोत्सव ,अनुष्ठान ,त्योहारों की वैज्ञानिक संरचना भी प्रस्तुत की।
 यह  वैज्ञानिक ,आध्यात्मिक ,योग तांत्रिक ज्ञान पर आधारित संस्कृति महान ऋषि जननी    ,प्रकृति की बहुआयामी  भौगोलिक सांस्कृतिक अधिष्ठात्री  मातृ भूमि भारत वर्ष में  प्रचलित हुई।
----

 इसको हम ज्योतिष शास्त्र की सहायता से स्पस्ट करते है
----
 "" मानव ,,""आत्मा ,(सूर्य) मन,(चन्द्र)से संचालित ऊर्जा पिंड है,, 
""मन की अनुभूति ही काल है"
 प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ  कृति मानव इस काल का अनुभव करके  इस रहस्य को जान सकता है।
 जीवन  का निर्माण ही प्रकृति और परम चैतन्य  के समायोजन से ही होता है।
अर्थात शून्य , से ही सब उत्पन हुआ है।। 
 "'एकोहम बहुस्यामि"" के भाव जब परमात्मा  विराट रूप के मन मे उत्पन्न हुआ तब संसार की संरचना हुई। अर्थात ब्रह्मा द्वारा संसार रचा गया ,,।
  परमात्मा के अणु अंश आत्मा  की जीवन यात्रा  का आगम मार्ग राहु (प्रारब्ध) एवम निर्गम (केतु) है।
सूर्य , चन्द्र के परिभ्रमण में जब दोनों के मार्ग  एक दूसरे को काटते है ,,(  क्योंकि पृथ्वी   23,,1/2 अंश झुकी है) उसमे उत्तर ऊपरी भाग/पात राहु ,एवम दक्षिणी कटान बिंदु केतु है।

 आत्मा  जब  मन को धारण करती है तभी मानव का सृजन होता है ,,।
ब्रह्मांड में  ग्रह ,नक्षत्रों  की ऊर्जा का  प्रभाव  स्थूल से  सूक्ष्म की ओर आरोही क्रम में होता है,,।
  सूर्य और  चन्द्र की  गतिशीलता से काल का निर्धारण होता है,,इस क्षण -क्षण परवर्तित काल का भोग ही जीवन है।
इसका व्यवहारिक ज्ञान  ज्योतिष शास्त्र (कुंडल )से  किस प्रकार  प्रकट होता है--आइये जानते है,,,,
9  ग्रह ,12 राशि ,27,नक्षत्र ,, कुंडली के 12 भावों के चक्र , के रहस्य को ।
   ग्रह नक्षत्रों का  जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव ,परिणाम, की विस्तृत व्याख्या ही भारतीय जीवन दर्शन का प्रकाश  स्तंभ है।।
 9 ग्रह 
 1सूर्य  ---आत्मा,, पिता 
  2,चन्द्र --- मन ,,मां,
   3 मंगल - साहसपराक्रम विवेक       
   4 बुध,,बुद्धि वाणी
5गुरु ,ज्ञान अध्यात्म पूण्य 
6 शुक्र ,,ऐश्वर्य ,संजीवनी शक्ति सौन्दर्य काम
7  शनि एकाग्रता ,दर्शन अंतर्चेतना 
8राहु, पुरुषार्थ, अंधकार ,काल ,मृत्यु लोक  
 9 केतु प्रारब्ध ,अध्यात्म ,आयुर्वेद ,योग, तांत्रिक  ज्ञान
 ,,,12 राशि ,मेष 2 वृष 3 मिथुन 4 कर्क5सिंह 6 कन्या 7 तुला 8 वृश्चिक 9 धनु 10 मकर 11 कुम्भ 12 मीन
,,,,,27 नक्षत्र ,,,
1,अश्विनी,2,भरणी,3,कृतिका4 रोहिणी,5 मृगशिरा 6 आद्रा 7 पुनर्वसु 8 पुष्य , 9आश्लेषा,,10मघा 11पूर्वाफाल्गुनी 12उत्तरा फाल्गुनी 13हस्त 14चित्रा 15स्वाति 16विशाखा 17अनुराधा 18ज्येष्ठा 19 मूल 20 पूर्वाषाढा 21उत्तराषाढ़ा 22श्रवण 23धनिष्ठा 24शतभिषा 25 पूर्वा भाद्र पद 26 उत्तराभाद्रपद ,27 रेवती 
 
12 भाव
1तनु 2 वाणी3 पराक्रम 4 सुख 5 साधना 6 रिपु, रोग 7 काम विवाह 8 संकट मृत्यु 9धर्म  पूण्य  10 कर्म 11 इष्ट पूर्ति 12 मोक्ष  व्यय ।
,,,,,
सूर्य मेष  राशि से मीन राशि तक  प्रत्येक  राशि मे  1माह रहते हुए 12 माह में  360,° के परिभ्रमण ,भचक्र को पूरा करता है । 
चन्द्र   सवा 2 दिन एक राशि ,  एक नक्षत्र 1 दिन में   रहकर  लगभग माह भर में 360° के भचक्र  में भ्रमण करता है।
जब चन्द्र सूर्य के साथ आ जाता है तब  अमावश्या होती है तथा जब 180° याने एकदम सामने होता है तब पूर्णिमा होती है।
माह का निर्धारण सूर्य से ,,
तिथि का चन्द्र सूर्य से 
दिन  पृथ्वी की दैनिक घूर्णन  गति से होता है। 
इस प्रकार इस काल चक्र  में भावानुभूति  का  अनुभव ही मानव  ,प्रकृति का जीवन है।
मनुष्य में  ही इस काल चक्र से मुक्त होने  की क्षमता है।
इसके लिए ही सनातन संस्कृति में पर्वों का विधान है।
उपर्युक्त ग्रहों की रहस्यमय संवैधानिक  नियमबद्ध गति से मानव किस प्रकार ताल मेल बनाकर आनंदित हो ,,यही भारतीय संस्कृति है । काल पुरुष में 
मेष जो सूर्य की उच्चतम राशि है वहाँ से सूर्य (आत्मा)  (नव संवत्सर चैत्र नवरात्र)  ,,से चन्द्र( मन) प्रतिदिन 12 अंश की एक तिथि का भोग करते हुए  हर भाव  की अनुभूति करता है ।
 सूर्य ( आत्मा ) से  चन्द्र ((मन)  जितना दूर होगा उतना ही बलशाली होगा ।
अर्थात पूर्णिमा को पूर्ण बली  होकर लौकिक जगत का ज्यादा से ज्यादा अनुभव होगा । 
काल पुरुष की  मेष प्रथम 
 याने तनु /व्यक्तित्व भाव द्वितीय ,कुटुम्ब ,तृतीय पराक्रम ,विवेक ,साहस ,,चतुर्थ, सुख ,चल संपत्ति ,पंचम संतान ,साधना  षष्टम ,रिपु ,रोग , सप्तम काम विवाह ,आदि लौकिक भावों के अनुभव के बाद अष्टम ,अंधकार रहस्य ,संकट भाव से  जब मन चलायमान होता है उसके बाद ही उसके पूण्य कर्म  अध्यात्म ,धर्म ,गुरु भाव 9  है। , दशम भाव   से व्यक्ति के कर्म ,का निर्धारण होता है।
भाव 11 इष्ट पूर्ति याने जैसा कर्म वैसा फल ,,फिर अंतिम पड़ाव  12 भाव याने काल पुरुष की मीन राशि   मोक्ष ,व्यय भाव है।।
अब इतना विस्तार से ज्योतिष सिद्धान्तों की समीक्षा के बाद हम गुरु पूर्णिमा को समझेंगे ।
चन्द्र जब  9 मूल त्रिकोण भाव याने धनु राशि मे होता है तब आषाढ़ पूर्णिमा होती है, ।
सूर्य (आत्मा) मिथुन राशि (  द्वेत ) में सामने चन्द्र  भाग्य भाव मे
इस भाव  मे पूर्वा उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र में है,
ब्रह्मांड में यही गुरूमण्डल स्थापित है ,, वहीं मानव पिंड में आज्ञा चक्र में गुरु तत्व या गुरु ग्रह का स्थान है ।
 साधना  के द्वारा चेतना को  मन की शक्ति औऱ  प्राण ऊर्जा  को एक केंद्र  आज्ञा चक्र  (इड़ा ,पिंगला ,सुषुम्ना नाड़ी यहीं से सारे शरीर का  विभिन्न 72 हजार सूक्ष्म नाड़ी से  संचालनहोता है ) में स्थित किया जाता है यह अलौकिक कार्य गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है ,तभी जीवन का आनंद है ,,।
अर्थात जीवन ऊर्जा के सर्वश्रेष्ठ उपयोग  करके आंनद मय होने की साधना का क्षण  पर्व ही गुरु महोत्सव है।
इस वर्ष यह पर्व और भी ज्यादा महत्व पूर्ण है क्योंकि वक्री गुरु ,(ज्ञान)केतु(अध्यात्म) शनि ,(अंतर्चेतना)राहु,(काल) मंगल  (पराक्रम साहस विवेक)  शुक्र के नक्षत्र में पूर्णिमा( जो संजीवनी शक्ति का कारक है सभी का चन्द्र याने मन पर पूर्ण अलौकिक शुभ फल प्रदाता) है पूरे नवग्रह  उच्च फलदायक है ,अतः इस काल की साधना मानव की चेतना  विकास की सर्वश्रेष्ठ  स्थिति बन रही है,, जो  अवश्य ही इस आपदा काल से मुक्ति मार्ग होगी ।। 
ॐ गुरुवे नमः
*ध्यान मूलं गुरु मूर्तिं, पूजा मूलं गुरु पदम ।*
*मंत्र मूलम गुरु वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु कृपा ।*

*सब  धरती  कागद  करूँ, लेखनि  सब  बनराए ।*
*सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाए॥*
गुरु

💐💐शुभवन्दन ,,💐💐"""शरदपूर्णिमा ,कोजागरी ,,आश्विन पूर्णिमा को चन्द्र की सोलह कलाओं का  ज्योतिष एवम खगोलीय  रहस्य"""""
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
चारु चन्द्र की चंचल किरणें ,,अद्धभुत ,,दृश्य ,,8,,22,PM ,31,,10,,2020,
पूर्णिमा तिथि  8 ,,22  PM तक दिन शनिवार ,,
शरदपूर्णिमा ,,।
क्यों होता  है  आश्विन पूर्णमाशी को  ही चन्द्रमा  सोलह कला युक्त❓❓
  विलक्षण ,,इसका विवेचन ज्योतिष शास्त्र से ही हो सकता है ।
आध्यात्मिक यात्रा  याने शरीर के द्वारा मन प्राण का योग  है।
जैसा अन्न वैसा मन ,मन ही जीवन का आधार ,,।
इसके लिए शरीर को स्वस्थ रखने योग ( मन ,आत्मा , शरीर  के आयाम   ), आयुर्वेद(   ऋतु अनुसार भोजन     )एवम ग्रहीय ऊर्जा( ज्योतिष    ) का सर्वश्रेष्ठ उचित  समन्वय   शरद पूर्णिमा को होता है ।
    """"ज्योतिष """

जीवन का आधार सूर्य ,चन्द्र और पृथ्वी ,,  बाकी ग्रहों का  प्रभाव तो बाद में होता है किंतु इन तीन ग्रहों का महत्व सर्वश्रेष्ठ है ,,।
मानव जन्म का आधार  सूर्य (  आत्मा   )    चंद्र    (  मन  ) पृथ्वी      (  प्रकृति ,मानव देह  ) ही है ।
इनके परिभ्रमण ,से ही ऋतु ,दिन रात ,माह वर्ष ,का निर्धारण होता है।
काल चक्र मापन  का आधार सूर्य चन्द्र ही है ।
काल अर्थात मन की अनुभूति का मापन ।
सूर्य  चन्द्र की विभिन्न स्थितियों में ऊर्जा ,तरंग  ,रश्मि प्रभा भी अलग अलग स्वरूप में प्रभवित करती है।
 यत ब्रह्माण्डे तत पिण्डे
अतः ब्रह्मांडीय ऊर्जा  के संचरण का मानव कल्याणार्थ उचित सदुपयोग के हमारे महान  वंदनीय ऋषियों ने उत्सवों ,पर्वो की सनातनी परम्परा  प्रवाहित की।
 """""अध्यात्म"""""
 की यात्रा ,,त्रिआयामी या  जीवन त्रयी  से  सुगम होती है ।
 मुख्य रूप से  आयुर्वेद ,,योग और ज्योतिष ।
शरीर  से ही आत्मा मन के द्वारा अनुभव करने भवसागर में विचरती है।
 जीव ,जीवात्मा परमात्मा यही है मानव जीवन का सार 
,"",सब सुख भोग परमपद पायो'"
""""राशि -नक्षत्र"" का महत्व 
शरद पूर्णिमा मेष ( मंगल ) राशि  आश्विन  (  केतु)नक्षत्र  (    यह मानव शरीर मे सिर और  सहस्त्रार चक्र  का प्रतिनिधि  तथा वैश्विक कुंडली मे स्वयं  )में चन्द्र के गमन तथा सूर्य के तुला ( शुक्र ) राशि  स्वाति(,राहु) के नक्षत्र(   यह ,,सप्तम  काम भाव  जननेन्द्रिय ,, मूलाधार  चक्र  )  में गोचर में प्रायः होती है ।
अर्थात जब आत्मा या सूर्य का रुझान  इन्द्रिय सुख  की ओर  हो तो वह निम्न गामी होगी , आत्मबल मनोबल वृद्धि  सूर्य चन्द्र के प्रबल होने पर ऊर्ध्वरेता होगा।
शरद पूर्णिमा में ,,,
 सूर्य तुला  मे अपनी नीचस्थ राशि मे तथा चन्द्र मेष से वृष में अपनी उच्चस्थ राशि की ओर बढ़ते क्रम में तथा
 सूर्य इस अवधि में  दक्षिणायन होते है ,,,अर्थात नकारात्मक ,आसुरी शक्तियां सूर्य या आत्मा के बलहीन होने से प्रभावशाली होकर  मानव  प्रकृति के लिए  घातक होती है ।
"""""योग-प्राणायाम """" ,,,,
जब आत्मबल क्षीण हो तो मन को साधकर मनोबल बढ़ाकर ही  जीवनउर्जा  बढ़ायी जा सकती है ।
 निरोगी काया के लिए माया  से मुक्ति आत्म मनोबल से ही प्राप्त हो सकती है ।
  """""आयुर्वेद""",
आश्विन नक्षत्र देवता अश्विन कुमार  आयुर्वेद के जनक है इस नक्षत्र तथा पूर्णिमा को वनस्पतियों में चन्द्र की रश्मियों से जीवनदायिनी ऊर्जा का स्तर  चरम में होता है । ।
 चन्द्र तरल ,जल दुग्ध  मन ,भावना,  संवेदना आदि का कारक है ।
अतः दुग्ध मिश्रित मेवा युक्त भोज्य पदार्थ को चन्द्र किरणों से अवलंबित करके सेवन करने से ,शीत ऋतु के प्रकोप से शरीर को रोगप्रतिरोधक बल प्राप्त होता है ।।
 16 कला युक्त  चन्द्र  की छटा क्यों  होती है आश्विन  पूर्णिमा   के दिन❓
""""पृथ्वी की गति स्थित"""
कारण ,, पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 -1/२° अंश झुकी है इस कारण से  ऋतुएं ,होती है ,,इस काल मे दिन  की अवधि  ऊर्जा कम तथा रात्रि बड़ी और चन्द्र की  ज्योत्स्ना अधिक समय तक रहती है ।
साथ ही सूर्य  का पथ छोटा और चन्द्र का बड़ा ,,क्योंकि  सूर्य दक्षिणायन होता है ।
इस कारण इसी पूर्णिमा को चन्द्र  वृहत स्वरूप में होता है ,।
15 तिथि के बाद पूर्णिमा होती है ,,इस दिन चन्द्र अपने  पूर्ण स्वरूप में होकर 16 कला युक्त दृश्य होता है ।
  """ऋतु""" षड ऋतु  ऋतुओं का राजा 
शरद ऋतु ,ठंड के आगमन एवम वर्षा काल के विदाई का क्षण शरीर को पुष्ट करने योग ,आयुर्वेद और ज्योतिष  के  के त्रिआयामी  जीवन त्रयी के रहस्यों को किस प्रकार हमारे पूर्वजों ऋषियों ने शास्वत सनातनी धरोहर हमें दी है ।
धन्य है भारत भूमि  जहाँ  हर उत्सव पर्व ,अनुष्ठान विज्ञान एवम योगज ज्ञान का विलक्षण जीवन दर्शन है जिसको हम सहज ही पा कर   ब्रह्मांडीय ऊर्जा से स्वयं को जोड़कर स्वस्थ , ऐश्वर्य एवम आनंदमय हो सकते है ।
यह हमारा सौभाग्य ही है की इतने झंझावतों के बाद भी भारतीय संस्कृति  प्रवाहित हो रही है अब तो इस वैश्विक आपदा में और भी तीव्र स्वरूप में अपनी महत्ता के साथ विशाल रूप से मानवता को  प्रकाशित करने का ऊर्जा  स्रोत  भी ।
,,,श्रीकृष्ण और उनकी रासलीला का रहस्य ,,,
 (इस विषय मे पूर्व में प्रकाशित लेख में आप और भी विस्तृत रोचक  जानकारी  आपको प्राप्त होगी )
इति शुभमस्तु
श्रीमती कल्पना झा
आज  3,,20,से,3,33,PM दोपहर को 
बहुत ही शुभ ग्रह स्थिति है साधना की ,,सप्तश्लोक की दुर्गा का पाठ तथा श्रीयंत्र की पूजा ,,आध्यात्मिक उन्नति ,मानसिक शांति के लिए ,बहुत ही लाभदायी हो ,,
भगवती सदा सहाय करें।
🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏
शुभवन्दन
   "🌹"घट स्थापन ""🌹
💐आश्विन  नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं💐
  17 अक्टूबर को अधिकमास  के पश्चात देवी साधना का पर्व आरंभ हो रहा है।
 तदनुसार,,,,
17 अक्टूबर 2020 ,शनिवार ,,प्रतिपदा तिथि ,,रात्रि में ,,01 ,03 AM से शुरू,,सूर्योदय ,6,,02,am को,,,,चित्रा नक्षत्र 11,,52,,AM तक ,,,चंद्र राशि तुला ,, सूर्य भी तुला प्रवेश । सुख, समृद्धि,शांति,के लिए 9 दिन ,नव रस, नव ग्रह , ऊर्जा ,,प्रकृति , देवी के 9 रुपों साधना ,तप ,के लिए अनुष्ठान का शक्ति पर्व है।
इसके लिए कलश ,घट , अखण्ड ज्योत स्थापन के लिए स्थिर लग्न उचित होगा।
1वृष ,,7,17,से,9,17,PM
2,सिंह,,,1,45,AM से 3,55,AM  रात्रि,
3 ,वृश्चिक , ,08,,18,AM,से,10,33,AM,तक 
4कुम्भ   2,,28,PM से ,4,,03,PM लग्न स्थिर है ।।
सुबह के समय वृश्चिक लग्न 
में चन्द्र व्यय भाव मे होगा ।

 इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ समय ,,
कुम्भ लग्न  होगा ,।

इसमें भी कुम्भ स्थिर नवांश 
सबसे अच्छा मुहूर्त 3  ,,20 PM से 3,, 32 pm तक है
 
कुम्भ लग्न ! कुम्भ याने घट!
 स्वाती राहु का नक्षत्र: राहु देवी का कारक ग्रह ,वह भी संप्रति वृष में ,स्वामी शुक्र स्वयं देवी का प्रतिनिधि !!! 
  
    इस वर्ष तो यह अद्भुत सुयोग बन रहा है
इस समय चन्द्र  भी भाग्य ,धर्म भाव मे होगा ,,राहु सुख भाव,गुरु लाभस्थ 
साधना ,तप ,पंचम ,नवम , का अद्भुत संयोग है ।
अतः 3,,20,से,3,,3 3  PM 
को घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय होगा।
🙏🙏
श्रीमती कल्पना झा 
अध्यक्ष प्राच्य विद्या शोधमण्डल राजनांदगांव
ज्योतिष शास्त्र  जीवन  जीने की कला है ,,,
 परमतत्व  को जानने की लालसा उसी प्रकार है जैसे कस्तूरी मृग ,,।
एनर्जी ऊर्जा और चेतना याने शिवा शक्ति और शिव आधार ,यही है जीवन का सार ।
"""किन्तु ये है जो माया का इंद्रजाल अर्थात  मृत्य लोक के आगम ,निगम  मार्ग अर्थात राहु ,केतु यही है सब जी का जंजाल ।"""
यहाँ सब भूल-भुलैया है ।
सूर्य आत्मा ,,,,,चंद्र मन,,,,,, पृथ्वी ,,प्रकृति या मानव  ,,
आत्मा मन के संयोग से  अद्वेत से द्वेत  होती है  तो  शरीर धारण करके प्रारब्ध पुरुषार्थ के बीच सुख-दुःख का  अनुभव ,, करती है।
आम जन  के लिए ग्रह नक्षत्र  की उचित  समायोजित ऊर्जा का  उपयोग किस प्रकार लाभदायी हो यह गणना विवेचन का शास्त्र है ज्योतिष,,,
यह शास्त्र भी अन्य क्षेत्रों की तरह इस कलि की माया के भँवर में हिचकोले खा रहा है।
मानव जन्म का उद्देश्य ही कर्मबन्धन से मुक्ति प्राप्त करना है ।ज्योतिष शास्त्र इसका पायदान या माध्यम हो सकता है ,,बनिस्बत सत्य ,निष्ठा ,अपरिग्रह ,से इसका उपयोग हो ।
4 युग  सतयुग ,त्रेता ,द्वापर , कलयुग ,,
समय या काल का अनुभव ही जीवन है ।
हर युग में चेतना ऊर्जा के  संचरण  से  ही  उर्ध्वगामी,, या निम्नगामी होती है ।
 चेतना का मूल स्वरूप ऊर्ध्वरेता होना है ।
जीवन संघर्ष ,,युद्ध का ही नाम है ,,जन्म से लेकर मृत्यु तक हर पल बस  सुरक्षात्मक द्वंद ही है।
 
हम देखते है की
4 युग1
  1सत्यग में मानव  का युद्ध ,द्वंद अन्य लोक के जीवों से था ,, अर्थात मानवता जीवित थी ।
2 त्रेता में 2 क्षेत्र विचारधारा ,,देश ,,जातीय   युद्ध द्वंद था ।
3 द्वापरयुग में घर में ही युद्ध 
पारिवारिक जनों  में घोर संताप ।
4 यह है कलयुग इसमें स्वयं से ही युद्ध द्वंद है ,स्वयं को ही लड़ना है ,सुधरना है ,मुक्ति पाना है ।
प्रकृति  ने वार्निंग दे दी है ,,जो इस काल को समझ गया वो ही सतयुग का अनुभव कर पायेगा ।
अर्थात मन की अनुभूति ही काल है।
 यह समय मानवता के समुचित विकास के लिए घोर द्वंद का है   ।
आत्म ,मनोबल को बढ़ा कर 
मन  ,बुद्धि प्राण  की शक्तिके समुचित विकास से पूर्ण आस्था ,विश्वास से स्वयं  को स्वयं के 
सुर ,असुर संग्राम में विजयी होने का काल है घोर कलयुग ।किन्तु ईश्वर की साक्षात अनुभूति भी बहुत ही सहज सरल है ,मात्र समर्पण ।
कष्ट ,प्रसवकाल है वेदना से ही संवेदना प्रकट होगी ।।
बस ,,,कृष्णार्पण मस्तु🙏🙏
🙏🙏🙏
--- :ज्योतिष पर पत्रकार              वार्ता :---
( ' प' से पत्रकार,'क' से कल्पना जी  समझेंगे)
प:-"प्राच्य विद्या शोध मंडल" से आप का आशय क्या है?
क:- आशय है--पूर्वी संसार याने भारतवर्ष में लोककल्याण के लिए अतिप्राचीन काल में ऋषियों द्वारा प्रकट ज्योतिष,हस्तसामुद्रिक,वास्तु,आयुर्वेद,योग तंत्र का ग्रह नक्षत्रों के माध्यम से अध्ययन, प्रचार प्रसार और उन पर शोध करने के लिए अग्रसर संगठन।
प:-जब यह विद्या ऋषियों द्वारा प्रकट हुई तो फिर इसमें शोध करने की जरूरत क्यों?
सर:- दो कारणों से:
 1/सदियों पहले बने इसके सिद्धांत, नियम मूलतः तो सनातन है। गत15 सौ वर्षो से उनका उपयोग जैसे का तैसा ही होता रहा है।
    लेकिन आज समाज की राजनीतिक, आर्थिक,सामजिक, शैक्षिक व्यवस्था आमूलचूल बदल चुकी है।
     पूरी तरह बदले हुए इस परिवेश की नयी चुनौतियों, समस्याओं, प्रश्नों से निपटने में ये नियम सिद्धांत पूर्ववत वैसे के वैसे काम में नहीं आ सकते।
    उन सिद्धांतों, नियमों  को आज किसी भी तरह अद्यतन ( up date )करना परम आवश्यक हो गया है।
  आधुनिक संसाधनों, उपकरणों, संगणकों आदि का  उपयोग कर निरीक्षण, परीक्षण और शोध करने की आज महती आवश्यकता है।
2/प्राचीन ग्रंथ सूत्रों में हैं,जिनका गूढ़ रहस्य गुरु ही समझाते थे।
   आज गुरुकुल प्रथा समाप्त हो गयी है। फलतः सूत्रों का गूढ़ अर्थ खो गया है।
   बिना संगठित शोध कार्य के उनका अर्थ ""नहीं"'खुल सकता है।
प:-कैसे करना होगा?
के:- जैसे गत 5 सौ सालों से योरप के निष्ठावान वैज्ञानिक प्रयोगशाला में जी जान लगा कर करते आये हैं।
  हमारा यह मंडल अपने अतिसीमित संसाधनों से गत 36 सालों इसी दिशा में प्रयत्नशील है।
  (मंडल का शेष परिचय आगे कुछ कड़ियों के बाद देंगे )

💐शुभवन्दन💐
नए प्रयोग के लिए 
पूर्व सूचना के अनुसार  प्राच्यविद्या शोधमण्डल  का एक अनूठा कार्यक्रम प्रारम्भ करते हुए हर्सोल्लास से आपका स्वागत ,अभिनंदन 🙏🙏
डिजिटल क्रान्ति  ,ऑन लाइन ,,सोसल डिस्टेंस ,,,
यह वर्तमान काल की आवश्यक प्रक्रिया है।
हम भी समयानुसार अपने कार्यक्रम  को मूर्तस्वरूप में प्रस्तुत कर रहें हैं,,,🙏
हमारे मंडल की परंपरानुसार  ज्ञान दीप प्रज्वलन एवम सरस्वती वंदना से  कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाता है ,,,  लीजिए गुरुकुल की परिपाटी  का संवाहक हमारा मंडल आपको ज्ञान यज्ञ में अपनी आहुति के लिए सोसल  मीडिया के मंच पर आमंत्रित करता है ,,।
आपका स्वागत है🙏🙏

--- :ज्योतिष पर पत्रकार              वार्ता :---
( ' प' से पत्रकार,'क' से कल्पना जी  समझेंगे)
प:-"प्राच्य विद्या शोध मंडल" से आप का आशय क्या है?
क:- आशय है--पूर्वी संसार याने भारतवर्ष में लोककल्याण के लिए अतिप्राचीन काल में ऋषियों द्वारा प्रकट ज्योतिष,हस्तसामुद्रिक,वास्तु,आयुर्वेद,योग तंत्र का ग्रह नक्षत्रों के माध्यम से अध्ययन, प्रचार प्रसार और उन पर शोध करने के लिए अग्रसर संगठन।
प:-जब यह विद्या ऋषियों द्वारा प्रकट हुई तो फिर इसमें शोध करने की जरूरत क्यों?
सर:- दो कारणों से:
 1/सदियों पहले बने इसके सिद्धांत, नियम मूलतः तो सनातन है। गत15 सौ वर्षो से उनका उपयोग जैसे का तैसा ही होता रहा है।
    लेकिन आज समाज की राजनीतिक, आर्थिक,सामजिक, शैक्षिक व्यवस्था आमूलचूल बदल चुकी है।
     पूरी तरह बदले हुए इस परिवेश की नयी चुनौतियों, समस्याओं, प्रश्नों से निपटने में ये नियम सिद्धांत पूर्ववत वैसे के वैसे काम में नहीं आ सकते।
    उन सिद्धांतों, नियमों  को आज किसी भी तरह अद्यतन ( up date )करना परम आवश्यक हो गया है।
  आधुनिक संसाधनों, उपकरणों, संगणकों आदि का  उपयोग कर निरीक्षण, परीक्षण और शोध करने की आज महती आवश्यकता है।
2/प्राचीन ग्रंथ सूत्रों में हैं,जिनका गूढ़ रहस्य गुरु ही समझाते थे।
   आज गुरुकुल प्रथा समाप्त हो गयी है। फलतः सूत्रों का गूढ़ अर्थ खो गया है।
   बिना संगठित शोध कार्य के उनका अर्थ ""नहीं"'खुल सकता है।
प:-कैसे करना होगा?
के:- जैसे गत 5 सौ सालों से योरप के निष्ठावान वैज्ञानिक प्रयोगशाला में जी जान लगा कर करते आये हैं।
  हमारा यह मंडल अपने अतिसीमित संसाधनों से गत 36 सालों इसी दिशा में प्रयत्नशील है।
  (मंडल का शेष परिचय आगे कुछ कड़ियों के बाद देंगे )

शुभवन्दन
एक महत्वपूर्ण एवं अत्यंत प्रभावशाली विचार -
अगर आप कोई भी मन्त्र जाप कर रहे हो या कोई भी आध्यात्मिक साधना कर रहे हो तो अपने समीप थोड़ा पीने वाला जल अवश्य रखे और मन्त्र जाप होने के बाद उस जल का सेवन करे।  जो मन्त्र आपने पढ़े है या जो साधना आपने की है उनके पॉजिटिव एनर्जी को जल सोख लेता है।  और उस जल को ग्रहण करने से आप उस शक्ति को अपने अंदर समाहित कर लेते हो।  
हम सबने सुना होगा की ऋषि मुनि जब भी तपस्या या साधना करते थे तो उनके पास जल का कमंडल हमेशा रहता था और वो उसी जल को किसी व्यक्ति को वरदान देने या शापित करने हेतु उपयोग करते थे।  उनकी सारी तपोशक्ति उस जल में संरक्षित थी।  और वो उसी जल को ग्रहण भी करते थे।  
ये बात विज्ञानं में भी साबित है की जल में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी है जो अपने औरा में होने वाले विब्रेशन्स को आकर्षित करती है।  अगर सामान्य भाषा में बोले तो जल आपकी बात सुनता है अगर आप अच्छा बोलोगे तो अच्छा सुनेगा बुरा बोलोगे तो बुरा सुनेगा।  
इसलिए अगर आप कोई मन्त्र करके उसके जल को किसी अन्य व्यक्ति को ग्रहण करने को दे  तो उसका प्रभाव उस पर भी पड़ता है।  इसी प्रकार अभिमंत्रित जल काम करता है।  
आपने ये भी देखा होगा की ज्यादातर मंदिर और कुंड नदियों के तट पर बनाये गए है हमारे धर्म में इस बात का ज्ञान बहुत पहले से ही था।  जब मंदिरो में मंत्रो , श्लोको का उच्चारण होता है , पूजा होती है तो उसकी ऊर्जा और शक्ति उन नदियों के जल में समाहित होती है और उसी जल को हम सब ग्रहण करके धन्य होते है।  
अपनी साधना को और प्रभावशाली बनाइये और दूसरो को भी लाभ दिलवाइये।  

>नमः शिवाय !!!
श्रीमती 
कल्पना झा



💐" शुभवन्दन""💐
🙏🙏🌹🙏🙏
""हस्त सामुद्रिक रहस्य "" 
मानव,, मन, प्राण ,बुद्धि के समिश्रण से संचालित जीवंत ऊर्जा का  संघनन है।
इसका संचालन ,,,,,,,,,प्राण वायु की ऊर्जा ,मस्तिष्क की तरंगों को मन के विभिन स्तरों    आयामों के द्वारा हथेली ,कर हस्त में अंकित किया जाता  है।
प्रकृति की जटिलतम जीवंत अद्भुत  कृति का गुढ़ रहस्य ,या समझने की कुंजी ईश्वर ने साथ देकर  निर्माण किया है। वह हमारा हाथ ,हथेली जो व्यक्तित्व का दर्पण है।
किन्तु हम कस्तूरी मृग की भाँति बाह्य संसार मे स्वयं को खोजते हैं क्यों ?  मूलतः मन   जिज्ञासु  ,अस्थिर हर पल क्रियाशील है,, चेतन,अचेतन,अवचेतन स्वरूप में,,
 ज्ञात तो प्रकट है किंतु अधिकतम अदृश्य । इसी दृश्य अदृश्य के बीच , मन जीवन की संरचना ,,कर्म करता हुआ प्रारब्ध ,पुरुषार्थ, की व्यथा कथा लिखता ,सुनता,   सुनाता,गुनता   भटकता फिरता  है।कुछ जो हम लेकर आये है और लेकर जाएंगे यह क्रम निरंतर प्रवाहमान है।
  मन ,मस्तिष्क का यह  संकेत हमारे  अंगों से प्रकट होता है ,, अंग के रहस्य को प्रकट करने सामुद्रिक शास्त्र की उत्पत्ति हुई ,,किन्तु चेहरे ,से भी ज्यादा या यूँ कहे की मनुष्य के व्यक्तित्व ,अस्तित्व का लेखा  जोखा,, बहीखाता हथेली है।
इसमें सूक्ष्मतरंग अपना निशान छोड़ जाती है।
इसको जानने समझने ,,डी कोड करने की विधा या कुंजी हस्त सामुद्रिक रहस्य या पामिस्ट्री है।
 इसको गोपनीय रखा गया क्यों?? 
ऋषि सत्ता द्वारा गुरु शिष्य परम्परा से हस्तांतरित होते हुए , आज  तम  से ढँक गयी है, या तामसी भौतिकता के  के द्वारा वरण कर ली गईहै।यह विद्या आज  अपने मूल अस्तित्व से विमुख होने की कगार पर है,,  प्रयोग शोध ,,काल,  सामाजिक राजनीतिक, आर्थिक परिस्थितियों, के मापदंड पर बिना परखे इसका प्रयोग घातक  है।
आज जिस प्रकार ज्ञान  अग्नि परीक्षा से बार बार गुजरने के बाद भी   संशय भ्रम द्वारा उपेक्षा का शिकार है ,,,स्वीकार करने में एकमत  या बहुमत को जुटाने प्रयासरत है।
इस गहन अंधकार में आओ चले  सात्विक ज्ञान  यज्ञ  ,,या ज्ञान दीप प्रज्ज्वलन में  अपनी सहभगिता  तय करें ।
विधा को प्रयोग  ,परीक्षण,प्रशिक्षण,शोध ,साधना ,निरंतर अभ्यास से जो जाना और जो जाना जा सकता  है उसको  प्राप्त करने संयुक्त  रूप  हमारे साथ चलें,,,,


   *दिनाँक : ~* 
 *27/09/2020,  रविवार*
एकादशी, शुक्ल पक्ष
अधिक आश्विन
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
(समाप्ति काल)

तिथि --एकादशी 19:45:51 तक
पक्ष ---------------------------शुक्ल
नक्षत्र ----------श्रवण 20:48:37
योग ----------सुकर्मा 19:19:48
करण ---------वणिज 07:19:06
करण ------विष्टि भद्र 19:45:51
वार --------------------------रविवार
माह ---------------- अधिक आश्विन
चन्द्र राशि   ------------------- मकर
सूर्य राशि ---------------------कन्या
रितु -----------------------------शरद
आयन ------------------दक्षिणायण
संवत्सर --------------------- शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) -------------प्रमादी
विक्रम संवत ----------------2077
विक्रम संवत (कर्तक)------2076 
शाका संवत ----------------1942 

वृन्दावन
सूर्योदय -----------------06:11:12
सूर्यास्त -----------------18:08:28
दिन काल -------------11:57:16
रात्री काल -------------12:03:12
चंद्रोदय ----------------15:50:53
चंद्रास्त -----------------26:47:44

लग्न ----कन्या 10°14' , 160°14'

सूर्य नक्षत्र --------------------हस्त
चन्द्र नक्षत्र -------------------श्रवण
नक्षत्र पाया --------------------ताम्र

*🚩💮🚩  पद, चरण  🚩💮🚩*

खू ----श्रवण 08:03:17

खे ----श्रवण 14:25:09

खो ----श्रवण 20:48:37

गा ----धनिष्ठा 27:13:39

*💮🚩💮  ग्रह गोचर  💮🚩💮*

        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 10°52 '   हस्त   ,     1    पू
चन्द्र = मकर15°23 'श्रवण  '    2   खू
बुध = तुला   05°57 '    चित्रा '   4   री
शुक्र= कर्क 29°55, आश्लेषा  '     4   डो
मंगल=मेष  01°30'      अश्विनी ' 1   चु
गुरु=धनु  23°22 '   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 01°43' उ oषा o   ' 2   भो
राहू=वृषभ 29°55  '  मृगशिरा ,   2   वो
केतु=वृश्चिक 29 ° 55 '    ज्येष्ठा   , 4   यू

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 16:39 - 18:08 अशुभ
यम घंटा ब12:10 - 13:40 अशुभ
गुली काल   15:09 - 16:39  अशुभ
अभिजित 11:46 -12:34 शुभ
दूर मुहूर्त 16:33 - 17:21 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:11 - 07:41 अशुभ
चर 07:41 - 09:11 शुभ
लाभ 09:11 - 10:40 शुभ
अमृत 10:40 - 12:10 शुभ
काल 12:10 - 13:40 अशुभ
शुभ 13:40 - 15:09 शुभ
रोग 15:09 - 16:39 अशुभ
उद्वेग 16:39 - 18:08 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:08 - 19:39 शुभ
अमृत 19:39 - 21:09 शुभ
चर 21:09 - 22:40 शुभ
रोग 22:40 - 24:10* अशुभ
काल 24:10* - 25:40* अशुभ
लाभ 25:40* - 27:11* शुभ
उद्वेग 27:11* - 28:41* अशुभ
शुभ 28:41* - 30:12* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 06:11 - 07:11
शुक्र 07:11 - 08:11
बुध 08:11 - 09:11
चन्द्र 09:11 - 10:10
शनि   10:10 - 11:10
बृहस्पति 11:10 - 12:10
मंगल 12:10 - 13:10
सूर्य 13:10 - 14:09
शुक्र 14:09 - 15:09
बुध 15:09 - 16:09
चन्द्र 16:09 - 17:09
शनि 17:09 - 18:08

🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:08 - 19:09
मंगल 19:09 - 20:09
सूर्य 20:09 - 21:09
शुक्र 21:09 - 22:10
बुध 22:10 - 23:10
चन्द्र 23:10 - 24:10
शनि 24:10* - 25:10
बृहस्पति 25:10* - 26:11
मंगल   26:11* - 27:11
सूर्य 27:11* - 28:11
शुक्र 28:11* - 29:11
बुध 29:11* - 30:12

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान-------------पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

   11 + 1 + 1 = 13  ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*💮    शिव वास एवं फल -:*

 11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6शेष

क्रीड़ायां = शोक,दुःख कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

प्रातः 07:23 से रात्रि 19:46 तक

पाताल लोक =  धनलाभ कारक

*💮🚩    विशेष जानकारी   🚩💮*

  *कमला पुरुषोत्तम एकादशी व्रत  (सर्वेषां)

* राजा राममोहनराय पुण्य तिथि

* विश्व पर्यटन दिवस



*💮🚩💮   शुभ विचार   💮🚩💮*

दारिद्र्यनाशनं दान शीलं दुर्गतिनाशनम् ।
अज्ञाननाशिनी प्रज्ञा भावना भयनाशिनी ।।
।।चा o नी o।।

व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है. अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है.

*🚩💮🚩  सुभाषितानि  🚩💮🚩*

गीता -: अक्षरब्रह्मयोग अo-08

परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः ।,
यः स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति ॥,

उस अव्यक्त से भी अति परे दूसरा अर्थात विलक्षण जो सनातन अव्यक्त भाव है, वह परम दिव्य पुरुष सब भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता॥,20॥,

*💮🚩   दैनिक राशिफल   🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। कोई कारोबारी बड़ा सौदा हो सकता है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में चैन रहेगा। किसी लंबे कारोबारी प्रवास की योजना बन सकती है। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रसन्नता रहेगी।

🐂वृष
विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता हासिल करेगा। अध्ययन आदि में एकाग्रता रहेगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। किसी मनोरंजक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।

👫मिथुन
कोर्ट-कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में अटके काम पूरे हो सकते हैं तथा स्थिति सुधरेगी। आय में वृद्धि होगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। घर में व्यय होगा। किसी दुविधा से निर्णय लेने की क्षमता कम होगी। बुद्धि का प्रयोग करें। प्रमाद न करें।

🦀कर्क
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। बनते काम बिगड़ सकते हैं। दौड़धूप अधिक होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कारोबार में लाभ होगा। आय होगी। धैर्य रखें।

🐅सिंह
प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश शुभ फल देंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🙎‍♀️कन्या
दूर से उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। निवेश में जल्दबाजी न करें। आय बनी रहेगी। उत्साह से काम कर पाएंगे।

⚖️तुला
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ा रुका हुआ कार्य पूर्ण होने के योग हैं। कारोबार अच्छा चलेगा। उत्साह बना रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

🦂वृश्चिक
फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। कारोबार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे।

🏹धनु
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। काम में मन लगेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। कारोबार अच्छा चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जीवन सु्खमय रहेगा।

🐊मकर
कार्यकारी नए काम मिल सकते हैं। योजना फलीभूत होगी। प्रभावशाली लोगों का सहयोग प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🍯कुंभ
अध्यात्म में रुचि रहेगी। किसी संत-महात्मा का आशीर्वाद मिल सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में चैन रहेगा। विवाद से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेकार बातों पर ध्यान न दें। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। प्रमाद न करें।

🐟मीन
क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। नकारात्मकता रहेगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। प्रमाद न करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🙏🌹🌹सरला झा🌹🌹🙏


शुभवन्दन,,,
मैं ज्योतिष शास्त्र ,प्राच्यविद्या की शोधार्थी हूँ ,,, ,,,
 ईश्वर ,नियति से बड़ा कोई नही।
 नि,,,,यति ,,अ """निवार्य"" है ।
 , कोरोना ,, मतलव ये करो न ,,वो न करो न ,,।
प्रकृति बस करवट ले रही है ,,हमको उसके हिसाब से अपने को ढालना है ।।
बिना दंड ,,बिना ,संकट ,बिना दुःख ,,के हम अपने को कैसे जान सकते है।
ज्योतिष शास्त्र तो ऊर्जा ,,काल मापन,  मार्गदर्शक है ।
अभी तो सभी ग्रह शुभ बलशाली है।
इस प्रकार की ग्रह स्थिति  हजारों ,हजार साल बाद बनी है ।
शोध से यह बात पुष्ट होती है की जब ,जब शनि मकर ,,या कर्क राशि में होते है तब तब ऐतिहासिक परिवर्तन हुए है ,,।
किन्तु राहु ,गुरु ,केतु ,मंगल की इस प्रकार की स्थिति वास्तव में अद्भुत ,,निर्णायक ,क्रांतिकारी, परिवर्तन का संकेत है।
 जनवरी 2020  से शनि मकर में है जो 2022 तक रहेंगे ,,,अभी तो 6 माह में चारो ओर हा हा कार है ,,पता नहीं ऊंट किस करवट बैठे ।
मानव चेतना  को उठाने ,प्रकृति की रक्षा ,,मानवता की स्थापना के लिए बहुत बड़ी चुनौती से जूझना होगा।
2018 में 6 ग्रहण ,लगातार 3 ग्रहण तो ,,31 जनवरी ,16 फरवरी ,और मार्च में  हुए थे।
पितृ पक्ष का बढ़ना ,नवरात्रि का घटना ये सब घटनाएं जल्दी ,जल्दी हो रही है।
महाभारत काल में इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं का उल्लेख है ।
2019,,2020 में भी ग्रहण की अधिकतम आवृति हुई है ।
26 दिसम्बर 2019 को 5 ग्रहीय योग साथ ही आगे पीछे भी ग्रह इस प्रकार 8 ग्रहों पर  एक साथ प्रभाव  ग्रहण का हुआ था ।
इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं का मानव पर प्रभाव पड़ता ही है।
ईश्वर सबकी रक्षा करें ।।
 हम सुनते आए है की जब असुरों का अत्याचार बढ़ता है तो देवता ,,,शिव ,,शिवा  शरण में आराधना करते है ।
,,,,,रक्षामे परमेश्वरी ,,,
अवश्य हम सभी  की सद्भावना प्रेम ,विश्वाश ,प्रार्थना ,,संकीर्तन ,सेवा से प्रकृति शांत होगी । 
शुभमस्तु🙏🙏

शुभवन्दन,,,
मैं ज्योतिष शास्त्र ,प्राच्यविद्या की शोधार्थी हूँ ,,, ,,,
 ईश्वर ,नियति से बड़ा कोई नही।
 नि,,,,यति ,,अ """निवार्य"" है ।
 , कोरोना ,, मतलव ये करो न ,,वो न करो न ,,।
प्रकृति बस करवट ले रही है ,,हमको उसके हिसाब से अपने को ढालना है ।।
बिना दंड ,,बिना ,संकट ,बिना दुःख ,,के हम अपने को कैसे जान सकते है।
ज्योतिष शास्त्र तो ऊर्जा ,,काल मापन,  मार्गदर्शक है ।
अभी तो सभी ग्रह शुभ बलशाली है।
इस प्रकार की ग्रह स्थिति  हजारों ,हजार साल बाद बनी है ।
शोध से यह बात पुष्ट होती है की जब ,जब शनि मकर ,,या कर्क राशि में होते है तब तब ऐतिहासिक परिवर्तन हुए है ,,।
किन्तु राहु ,गुरु ,केतु ,मंगल की इस प्रकार की स्थिति वास्तव में अद्भुत ,,निर्णायक ,क्रांतिकारी, परिवर्तन का संकेत है।
 जनवरी 2020  से शनि मकर में है जो 2022 तक रहेंगे ,,,अभी तो 6 माह में चारो ओर हा हा कार है ,,पता नहीं ऊंट किस करवट बैठे ।
मानव चेतना  को उठाने ,प्रकृति की रक्षा ,,मानवता की स्थापना के लिए बहुत बड़ी चुनौती से जूझना होगा।
2018 में 6 ग्रहण ,लगातार 3 ग्रहण तो ,,31 जनवरी ,16 फरवरी ,और मार्च में  हुए थे।
पितृ पक्ष का बढ़ना ,नवरात्रि का घटना ये सब घटनाएं जल्दी ,जल्दी हो रही है।
महाभारत काल में इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं का उल्लेख है ।
2019,,2020 में भी ग्रहण की अधिकतम आवृति हुई है ।
26 दिसम्बर 2019 को 5 ग्रहीय योग साथ ही आगे पीछे भी ग्रह इस प्रकार 8 ग्रहों पर  एक साथ प्रभाव  ग्रहण का हुआ था ।
इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं का मानव पर प्रभाव पड़ता ही है।
ईश्वर सबकी रक्षा करें ।।
 हम सुनते आए है की जब असुरों का अत्याचार बढ़ता है तो देवता ,,,शिव ,,शिवा  शरण में आराधना करते है ।
,,,,,रक्षामे परमेश्वरी ,,,
अवश्य हम सभी  की सद्भावना प्रेम ,विश्वाश ,प्रार्थना ,,संकीर्तन ,सेवा से प्रकृति शांत होगी । 
शुभमस्तु🙏🙏
श्रीमती कल्पना झा 
अध्यक्ष प्राच्यविद्या शोधमण्डल ,,उपकुलपति वराहमिहिर ज्योतिष विद्या पीठ राजनांदगांव ,,36 गढ़

*आज का पञ्चाङ्ग*
================
*शनिवार, २६ सितंबर २०२०*
===============≠=======
सूर्योदय:  - ०६:२५
सूर्यास्त: - ०५:५३
चन्द्रोदय:  - १५:१०
चन्द्रास्त: - ०१:४२
अयन  दक्षिणायने
 (दक्षिणगोलीय)
ऋतु:  शरद
कलियुगाब्द: ५१२२
शक सम्वत:  १९४२ (शर्वरी)
विक्रम सम्वत:  २०७७ (प्रमादी)
मास  - आश्विन
पक्ष  - शुक्ल
तिथि - दशमी १८:५९ तक
नक्षत्र - उत्तराषाढ़ १९:२६ तक
योग - अतिगण्ड १९:४९ तक
करण - तैतिल ०६:४७ तक
गर १८:५९ तक

*॥गोचर ग्रहा:॥* 
============
सूर्य  -  कन्या 
चंद्र   -  मकर 
मंगल - मेष 
(उदित, पूर्व, वक्री)
बुध  -  तुला 
(अस्त, पश्चिम, मार्गी)
गुरु -   धनु 
(उदित, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र  - कर्क (उदित, पूर्व, मार्गी)
शनि  - मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु  -  वृष
केतु  -  वृश्चिक

*शुभाशुभ मुहूर्त विचार*
================
अभिजित मुहूर्त  - ११:४४ से १२:३२ 
अमृत काल  - १२:४७ से १४:२७
विजय मुहूर्त  - १४:०८ से १४:५६
गोधूलि मुहूर्त  - १७:५६ से १८:२०
निशिता मुहूर्तरात्रि  ११:४४ से १२:३२
राहुकाल  - ०९:०८ से १०:३८
राहुवास  - पूर्व
यमगण्ड  - १३:३८ से १५:०८
दुर्मुहूर्त  - ०६:०७ से ०६:५५
होमाहुति  - शनि
दिशाशूल  - पूर्व
नक्षत्र शूल 
अग्निवास  - पाताल १८:५९ से पृथ्वी
चन्द्र वास  - दक्षिण

*चौघड़िया विचार*
==============
॥दिन का चौघड़िया॥ 
१ - काल      २ - शुभ
३ - रोग        ४ - उद्वेग
५ - चर        ६ - लाभ
७ - अमृत     ८ - काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥ 
१ - लाभ       २ - उद्वेग
३ - शुभ        ४ - अमृत
५ - चर         ६ - रोग
७ - काल       ८ - लाभ
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

*शुभ यात्रा दिशा*
============
दक्षिण-पूर्व (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)

*तिथि विशेष*
=========
सर्वार्थसिद्धि योग 
१९:२५ से ३०:३२ तक आदि।

*आज जन्मे शिशुओं का नामकरण* 
========================
आज १९:२६ तक जन्मे शिशुओ का नाम  उत्तराषाढ़ नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ  चरण अनुसार क्रमशः (भो, ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय चरण अनुसार क्रमश (खी, खू) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।

*उदय लग्न मुहूर्त*
============
कन्या - ०५:३६ से ०७:५४ 
तुला - ०७:५४ से १०:१५ 
वृश्चिक - १०:१५ से १२:३४ 
धनु - १२:३४ से १४:३८
मकर - १४:३८ से १६:१९
कुम्भ - १६:१९ से १७:४५
मीन - १७:४५ से १९:०८
मेष - १९:०८ से २०:४२
वृषभ - २०:४२ से २२:३७
मिथुन - २२:३७ से ००:५२
कर्क - ००:५२ से ०३:१३
सिंह - ०३:१३ से ०५:३२

*पंचक रहित मुहूर्त*
===============
अग्नि - संकट ०६:०६ से ०७:५४ 
शुभ - शुभ ०७:५४ से १०:१५
रज - अशुभ १०:१५ से १२:३४ 
शुभ - शुभ १२:३४ से १४:३८ 
चोर - अनिष्ट १४:३८ से १६:१९ 
शुभ - शुभ १६:१९ से १७:४५ 
रोग - अमंगल १७:४५ से १८:१० 
शुभ - शुभ १८:१० से १९:०१
मृत्यु - विपत्ति १९:०१ से १९:०८
रोग - अमंगल १९:०८ से २०:४२ 
शुभ - शुभ २०:४२ से २२:३७ 
मृत्यु - विपत्ति २२:३७ से १२:५२
अग्नि - संकट १२:५२ से ०३:१३
शुभ - शुभ ०३:१३ से ०५:३२
रज - अशुभ ०५:३२ से ०६:०७

*आज का राशिफल*
==============
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपको अधिकांश कार्यो में सफलता दिलाएगा। लेकिन धन संबंधित कार्य देखभाल कर ही करें। कार्य व्यवसाय से आज कम परिश्रम में ही अधिक लाभ अर्जित कर सकेंगे। प्रतिस्पर्धी स्वतः ही अपनी हार मान लेंगे जिससे लाभ के अवसर बढ़ेंगे। सेहत भी अनुकूल रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों में काम कर लेंगे। जो लोग अबतक आपके विपरीत चल रहे थे वो भी आपका सहयोग एवं प्रशंशा करेंगे फिर भी आकस्मिक वाद-विवाद के प्रसंग बनेंगे इससे बच कर रहें। घर मे थोड़ी उग्रता रहने पर भी प्रेम बना रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आप आराम से बिताएंगे कुछ दिनों से चल रही उलझने आज थोड़ी शांत होंगी। धार्मिक कार्यो में रुचि रहने से मानसिक शांति मिलेगी। व्यवसायी वर्ग काम को लेकर कुछ दुविधा में रहेंगे फिर भी आवश्यकता अनुसार धन की आमद हो ही जाएगी। आज आप घरेलू कार्यो में टालमटोल करेंगे जिससे परिजन नाराज हो सकते है। मनोरंजन के साथ ही आराम के क्षण भी मिलेंगे। दाम्पत्य जीवन मे सुधार आएगा। 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन कुछ प्रतिकूल परिस्थितियां बनेगी लेकिन धार्मिक प्रवृत्ति एवं पूर्व संचित पुण्य इससे बाहर निकालने में सहायता करेंगे। दिन के आरंभ में बौद्विक परिश्रम करना पड़ेगा इसका लाभ सम्मान के रूप में अवश्य मिलेगा। आर्थिक रूप से आज का दिन सामान्य रहेगा अधिकांश कार्यो में केवल आश्वासन से ही काम चलाना पड़ेगा। सेहत का भी आज ध्यान रखें पेट खराब होने से अन्य शारीरिक अंगों में शिथिलता आएगी। पारिवारिक वातावरण तालमेल की कमी के कारण बिखर सकता है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपको प्रत्येक क्षेत्र में विजय दिलाएगा। आज जिस भी काम मे निवेश करेंगे उसमे दुगना धन मिलने की संभावना रहेगी लेकिन धन की आमद में थोड़ा विलम्ब हो सकता है। व्यवसाय के अतिरिक्त भी आय होने की संभावना है। नौकरी पेशा जातक आज आराम के मूड में रहेंगे लेकिन घरेलू काम बढ़ने से असहजता होगी। पारिवारिक वातावरण में थोड़ा विरोधाभास रहेगा परन्तु महत्त्वपूर्ण विषयो में सभी एकजुट हो जाएंगे। सेहत में सुधार आएगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन धन-धान्य वृद्धि कारक रहेगा। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति पर खर्च होगा। सुख-सुविधा भी बढ़ेगी। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक दिन भर का कोटा पूरा कर लेंगे इसके बाद भी लाभ होता रहेगा किन्तु कुछ कमी आएगी। घर अथवा व्यावसायिक स्थल को नया रूप देने के लिये तोड़-फोड़ करा सकते है। नये कार्यानुबन्ध हाथ मे लेना आज शुभ रहेगा। नौकरी पेशा जातक भी कार्य क्षेत्र बदलने का मन बनाएंगे। कही से रुका धन मिलने से प्रसन्नता होगी। घर मे मामूली बहस के बाद भी स्थिति सुखदायी रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपकी बौद्धिक क्षमता में विकास होगा भले बुरे को परख कर ही कोई भी कार्य करेंगे फिर भी स्वभाव अनुसार छोटी बातों पर अकड़ दिखाना नही जाएगा जिससे कुछ ना कुछ व्यवधान आ सकता है। व्यवसाय में आपके लिके निर्णय लाभदायक सिद्ध होंगे आर्थिक दृष्टिकोण से भी अन्य दिनों की अपेक्षा आज का दिन बेहतर रहेगा। विरोधी आपके आगे नही टिकेंगे लेकिन पीठ पीछे कुछ ना कुछ तिकड़म अवश्य लगाएंगे। हित शत्रुओ से सावधान रहें। पारिवारिक सदस्यों को समय देना पड़ेगा खर्च भी होगा। 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन विपरीत परिस्थितियों वाला रहेगा दिन के आरंभ में ही परिवार अथवा आस-पड़ोसियों से कलह हो सकती है इसका प्रभाव भी दिन भर देखने को मिलेगा। कार्य व्यवसाय में उदासीनता दिखाने से होने वाले लाभ में कमी आएगी। लेकिन उधारी के व्यवहार भी आज कम होंगे। आज आपके स्वभाव में रूखापन रहने से स्नेहीजनों को तकलीफ होगी। परिवार अथवा अन्य से किये वादे पूरे नही कर सकेंगे जिसकारण सम्मान हानि हो सकती है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक होगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायक रहेगा। घर के बुजुर्गों एवं कार्य व्यवसाय से अकस्मात लाभ होगा। लेकिन आज व्यर्थ के खर्च भी बढ़ेंगे। व्यापारी वर्ग को कुछ दिनों से अटके कार्य आज पूर्ण होने से तसल्ली मिलेगी। लेकिन परिवार में आज आर्थिक कारण अथवा किसी अन्य वजह से खींच-तान होने की संभावना है। धन की अपेक्षा संबंधों को अधिक महत्त्व दे अन्यथा वैर-विरोध का सामना करना पड़ेगा। मध्यान के बाद का समय पूरे दिन की अपेक्षा ज्यादा सुखदायी रहेगा। मौज-शौक पर खर्च होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपकी बनाई योजनाए आरम्भ में विफल होती प्रतीत होंगी लेकिन कुछ समय बाद स्वतः ही सभी काम बनते चले जायेंगे। आर्थिक कारणों से आज किसी की खुशामद भी करनी पड़ सकती है। व्यवसाय से धन लाभ संतोषजनक होगा लेकिन आवश्यक के समय ना होकर अकस्मात ही होगा। घर के बुजुर्ग आज आपकी किसी बुरी आदत से दुखी होंगे कुछ समय के लिए स्थिति को संभालना मुश्किल होगा। संध्या के समय घरेलू खर्च के साथ ही मौज शौक पर खर्च होगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आपकी मानसिकता बिना परिश्रम किया सुख भोगने वाली रहेगी यह कामना कुछ हद तक पूर्ण भी हो जाएगी परन्तु धन संबंधित योजनाओ को गति देने के लिए आज बौद्धिक एवं शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड़ेगा। मध्यान तक किये परिश्रम का फल संध्या तक मिल जाएगा। जोड़-तोड़ कर धन कोष में वृद्धि होगी लेकिन अकस्मात खर्च आने से बचत नही हो पाएगी। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति मजबूरी में करेंगे। बाहर घूमने का आयोजन होगा मनोरंजन पर खर्च बढेगा। 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ में किसी से बंधी आशा टूटने से मन दुखी होगा। आर्थिक कारणों से मध्यान तक का समय संघर्ष वाला रहेगा इसके बाद कही से आकस्मिक धन लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। आज यात्रा पर्यटन की योजना भी बनेगी परन्तु वाहन से चोट अथवा अन्य आकस्मिक दुर्घटना का भय है सावधान रहें। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से लाभ में कमी आएगी। परिजन किसी कार्य से आपके ऊपर आश्रित रहेंगे जिसमे उन्हें निराश ही होना पड़ेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आप लक्ष्य बनाकर कार्य करें अन्यथा मूल उद्देश्य से भटक सकते है दिन लाभदायी है इसका सदउपयोग करें। बेरोजगार लोग थोड़ा अधिक प्रयास करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य संध्या से पहले पूर्ण करने का प्रयास करें इसके बाद हानि हो होगी। दूर प्रदेश से आज नए संबंध जुड़ेंगे परन्तु इनसे आर्थिक लाभ की आशा ना रखें। समाज के वरिष्ठ व्यक्ति का व्यवहार कुछ देर के लिए परेशानी में डालेगा। मित्र परिचितों के साथ पिकनिक पार्टी की योजना बनेगी।
​                  *༺🕉༻​​*
              **|| जय श्री राधे ||**

       

       

   *दिनाँक : ~* 
 *25/09/2020,  शुक्रवार*
नवमी, शुक्ल पक्ष
अधिक आश्विन
""""""""""""""""""'""""""""""""""""""""""""
(समाप्ति काल)

तिथि ---नवमी 18:43:05 तक
पक्ष ---------------------------शुक्ल
नक्षत्र -------पूर्वाषाढा 18:29:58
योग ------------शोभन 20:36:18
करण ----------बालव 06:47:34
करण ---------कौलव 18:43:05
वार -------------------------शुक्रवार
माह ----------------अधिक आश्विन
चन्द्र राशि ------धनु 24:40:40
चन्द्र राशि   --------------------मकर
सूर्य राशि -------------------  कन्या
रितु -----------------------------शरद
आयन -------------दक्षिणायण
संवत्सर ------------------शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ------ प्रमादी
विक्रम संवत ----------------2077
विक्रम संवत (कर्तक) ----2076
शाका संवत ----------------1942 

वृन्दावन
सूर्योदय ----------------06:10:15
सूर्यास्त -----------------18:10:47
दिन काल -------------12:00:31
रात्री काल -------------11:59:56
चंद्रोदय ----------------14:16:33
चंद्रास्त -----------------24:52:14

लग्न ----कन्या 8°16' , 158°16'

सूर्य नक्षत्र --------उत्तराफाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र ----------------पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया ---------------------ताम्र

*🚩💮🚩  पद, चरण  🚩💮🚩*

धा ----पूर्वाषाढा 06:14:54

फा ----पूर्वाषाढा 12:21:22

ढा ----पूर्वाषाढा 18:29:58

भे ----उत्तराषाढा 24:40:40

*💮🚩💮  ग्रह गोचर  💮🚩💮*

        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 08°52 ' उ o फा o ,     4   पी
चन्द्र = धनु 19°23 'पू oषा o  '  2   धा
बुध = तुला   03°57 '    चित्रा '   3   रा
शुक्र= कर्क 26°55,  आश्लेषा  '     3    डे
मंगल=मेष  02°30'      अश्विनी ' 1   चु
गुरु=धनु  23°22 '   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 01°43' उ oषा o   ' 2   भो
राहू=मिथुन 29°55  '  मृगशिरा ,   2   वो
केतु=धनु  29 ° 55 '    ज्येष्ठा   , 4   यू

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 10:40 - 12:11 अशुभ
यम घंटा 15:11 - 16:41 अशुभ
गुली काल 07:40 - 09:10  अशुभ
अभिजित 11:47 -12:35 शुभ
दूर मुहूर्त 08:34 - 09:22 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:35 - 13:23 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
चर 06:10 - 07:40 शुभ
लाभ 07:40 - 09:10 शुभ
अमृत 09:10 - 10:40 शुभ
काल 10:40 - 12:11 अशुभ
शुभ 12:11 - 13:41 शुभ
रोग 13:41 - 15:11 अशुभ
उद्वेग 15:11 - 16:41 अशुभ
चर 16:41 - 18:11 शुभ

🚩चोघडिया, रात
रोग 18:11 - 19:41 अशुभ
काल 19:41 - 21:11 अशुभ
लाभ 21:11 - 22:41 शुभ
उद्वेग 22:41 - 24:11* अशुभ
शुभ 24:11* - 25:41* शुभ
अमृत 25:41* - 27:11* शुभ
चर 27:11* - 28:41* शुभ
रोग 28:41* - 30:11* अशुभ

💮होरा, दिन
शुक्र 06:10 - 07:10
बुध 07:10 - 08:10
चन्द्र 08:10 - 09:10
शनि 09:10 - 10:10
बृहस्पति 10:10 - 11:10
मंगल 11:10 - 12:11
सूर्य 12:11 - 13:11
शुक्र 13:11 - 14:11
बुध 14:11 - 15:11
चन्द्र 15:11 - 16:11
शनि 16:11 - 17:11
बृहस्पति 17:11 - 18:11

🚩होरा, रात
मंगल 18:11 - 19:11
सूर्य 19:11 - 20:11
शुक्र 20:11 - 21:11
बुध 21:11 - 22:11
चन्द्र 22:11 - 23:11
शनि 23:11 - 24:11
बृहस्पति 24:11* - 25:11
मंगल 25:11* - 26:11
सूर्य 26:11* - 27:11
शुक्र 27:11* - 28:11
बुध 28:11* - 29:11
चन्द्र 29:11* - 30:11

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान-------------पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

   9 + 6 + 1 =  16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*💮    शिव वास एवं फल -:*

   9 + 9 + 5 = 23  ÷ 7 = 2 शेष

 गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩    विशेष जानकारी   🚩💮*

  * श्रीहरि जयन्ती

* श्री पं० दीनदयाल उपाध्याय जयन्ती

*💮🚩💮   शुभ विचार   💮🚩💮*

वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते ।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम् ।।
।।चा o नी o।।

दान गरीबी को ख़त्म करता है. अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है. विवेक अज्ञान को नष्ट करता है. जानकारी भय को समाप्त करती है.

*🚩💮🚩  सुभाषितानि  🚩💮🚩*

गीता -: अक्षरब्रह्मयोग अo-08

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे ।,
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके ॥,

संपूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं॥,18॥,

*💮🚩   दैनिक राशिफल   🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। राजकीय बाधा संभव है। नए काम मिल सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। अपेक्षित कार्य समय पर पूरे होने से प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। यात्रा की योजना बनेगी।

🐂वृष
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। कुंआरों को वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। व्यय होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। भाइयों का सहयोग समय पर मिलेगा।

👫मिथुन
झंझटों में न पड़ें। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। आय में कमी हो सकती है। धनहानि की आशंका बनती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों की अपेक्षा बढ़ेगी। न चाहकर भी विवाद हो सकता है।

🦀कर्क
तंत्र-मंत्र में रुझान रहेगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। किसी तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। प्रभावशाली व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य नरम हो सकता है।

🐅सिंह
नए काम मिलने की संभावना है। आय के स्रोत बढ़ेंगे। घर-बाहर सभी तरफ से सहयोग प्राप्त होंगे। रुके कार्य पूर्ण होंगे। भाग्य की अनुकूलता है। भरपूर प्रयास करें। मित्रों का सहयोग लाभ में वृद्धि करेगा। कारोबार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में सफलता मिलेगी।

🙍‍♀️कन्या
डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। व्यावसायिक कार्य के लिए लंबी यात्रा की योजना बनेगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। निवेश शुभ रहेगा। धनलाभ में वृद्धि के योग हैं। कारोबार अच्‍छा चलेगा। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। जल्दबाजी न करें।

⚖️तुला
किसी अपने ही वाले व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नकारात्मकता रहेगी। यात्रा में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। व्ययवृद्धि होगी। दूसरों के कार्य कर पाएंगे। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें।

🦂वृश्चिक
उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रतिद्वंद्विता कम होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत मिलेंगे। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। वाणी पर नियंत्रण रखें। भाग्य की अनुकूलता रहेगी।

🏹धनु
बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। संगीत इत्यादि में रुचि रहेगी। नए विचार मन में आएंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। लेन-देन में सावधानी रखें।

🐊मकर
दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। वाणी में हल्के शब्दों का प्रयोग न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। मेहनत अधिक होगी। नौकरी में अधिकारी की अपेक्षा बढ़ेगी। कोई नकारात्मक सूचना मिल सकती है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।

🍯कुंभ
सभी तरफ से अच्‍छे समाचार प्राप्त होंगे। उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। काम में मन लगेगा। पुराने मित्र व रिश्तेदारों से मेल बढ़ेगा। संपर्क बनाएं। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्‍य खराब हो सकता है। नौकरी में मातहतों का साथ मिलेगा।

🐟मीन
सामाजिक कार्य करने के अवसर प्राप्त होंगे। मान-सम्मान मिलेगा। थोड़े प्रयास से अधिक लाभ होगा। किसी बड़े कार्य के होने की संभावना है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। आलस्य न कर भरपूर प्रयास करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
         सरला झा 🙏
23-सितंबर-2020
वार.....बुधवार
तिथी:-07सप्तमी19:57
माह:-प्रथम आश्विन (अधिक पुरूषोत्तम मास)
पक्ष:-शुक्लपक्ष
नक्षत्र:-ज्येष्ठा18:24
योग:-आयुष्मान23:39
करण:-गर08:39
चन्द्रमा:-वृश्चिक18:24तक/धनु
सुर्योदय:-06:23
सुर्यास्त:-18:29
दिशा शुल.....उत्तर
निवारण उपाय:-तिल का सेवन
ऋतु :-शरद् ऋतु
गुलीक काल:-10:30से 12:00
राहू काल:-12:00से13:30
अभीजित:-नहीं हैं
विक्रम सम्वंत  .........2077
शक सम्वंत ............1942
युगाब्द ..................5122
सम्वंत सर नाम:-प्रमादी
         चोघङिया दिन
लाभ:-06:23से07:54तक
अमृत:-07:54से09:25तक
शुभ:-10:56से12:27तक
चंचल:-15:29से17:00तक
लाभ:-17:00से18:29तक
      चोघङिया रात
शुभ:-20:00से21:29तक
अमृत:-21:29से22:58तक
चंचल:-22:58से00:27तक
लाभ:-03:25से04:54तक
चोघङिया का समय सालासर में सूर्योदय के अनुसार है|
     आज के विशेष योग
वर्ष का 183वाँ दिन, भद्रा रात 19:57 से दि. 24 सितंबर को प्रातः 07:24 तक-पाताललोक-लाभप्रद-आग्नेय, राष्ट्रीय आश्विन मास प्रारंभ, गंडमूल संपूर्ण दिनरात, 
      🏡वास्तु टिप्स🏡
द्वार की लम्बाई (ऊँचाई) उसकी चौड़ाई से दुगनी होनी चाहिए।
  सुप्रभात मित्रों  Rashifal : राशिफल 23 सितंबर : आज हो रहा राहु केतु का परिवर्तन, देखें दिन कैसा बीतेगा आपका
मेष:
Horoscope Today (आज का राशिफल) Aaj Ka Rashifal 23 सितंबर बुधवार को चंद्रमा का संचार शाम में वृश्चिक राशि से धनु में होने जा रहा है। जबकि आज ही दो ग्रहों राहु-केतु का भी परिवर्तन होने जा रहा है। राहु वृष में और केतु वृश्चिक में पहुंच रहे हैं। ऐसे में आज का दिन ज्योतिष की दृष्टि से बहुत ही खास है, देखिए आपके लिए आज का दिन कैसा रहेगा?


मेष राश‍ि के जातकों को दूसरों की मदद करने से सकून मिलता है, तो खुश हो जाइए क्‍योंक‍ि आज आपका द‍िन परोपकार में ही व्यतीत होगा। कार्यक्षेत्र में भी आपके पक्ष में कुछ परिवर्तन हो सकते हैं इससे परेशान होकर साथियों का मूड कुछ खराब हो सकता है। लेक‍िन आप अपने अच्‍छे व्‍यवहार से माहौल को सामान्य बनाने में कामयाब रहेंगे। रात्रि में पर‍िवार के क‍िसी सदस्‍य की तब‍ियत ब‍िगड़ने से थोड़ी-बहुत द‍िक्‍कतें हो सकती हैं। भाग्‍य स्‍कोर : 63 प्रत‍िशत

वृषभ:

वृष राश‍ि वालों के ल‍िए आज का दिन सुखद है। आज पर‍िवारीजनों के साथ हंसी-मजाक में पूरा द‍िन बीतेगा। भाग्यवश दोपहर तक कोई शुभ समाचार भी मिलेगा। यह संतान संबंधी भी हो सकता है और भाई-बहन से भी। लेक‍िन आज स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। सांयकाल के समय क‍िसी पुराने म‍ित्र के आने से मन प्रसन्‍न होगा। कुछ अधूरे कार्य भी पूरे होंगे। रात्रि में किसी मांगलिक कार्य में सम्मिलित होने से आपका सम्मान बढ़ेगा। ससुराल पक्ष से भी सुखद समाचार का योग है। भाग्‍य स्‍कोर: 90 प्रत‍िशत

मिथुन:
आज म‍िथुन राश‍ि के जातकों को पिता के आशीर्वाद तथा उच्चाधिकारियों की कृपा से किसी बहुमूल्य वस्तु अथवा संपत्ति प्राप्ति की अभिलाषा आज पूरी होगी। व्यस्तता अधिक रहेगी, व्यर्थ व्यय से बचें। सांयकाल से लेकर रात तक वाहन चलाने में सावधानी बरतें। प्रिय एवं महान पुरुषों के दर्शन से मनोबल बढ़ेगा। पत्नी पक्ष से भी वांछित सिद्धि हो सकती है। नौकरी में पर‍िवर्तन का मन बना रहे हैं तो आज आपको अच्‍छे अवसर भी म‍िल सकते हैं। साहित्‍य-कला के क्षेत्र में भी कर‍ियर बनाने का सोच सकते हैं। सफलता के योग हैं। भाग्‍य स्‍कोर : 85 प्रत‍िशत

कर्क:

आज राशि स्वामी की उत्तम स्थिति एवं राशि पर बृहस्पति का षष्ठस्थ होकर परिभ्रमण अकस्मात बड़ी मात्रा में धन की प्राप्ति करा कर कोष की स्थिति को सुदृढ़ करेगा। व्यावसायिक योजनाओं को गति मिलेगी। राज्य-मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। ध्‍यान रखें क‍ि आज शीघ्रता और भावुकता में लिया गया निर्णय भव‍िष्‍य में आपके ल‍िए द‍िक्‍कतें खड़ी कर सकता है। सांयकाल से देर रात तक देव दर्शन का लाभ लें। जरूरतमंद लोगों की यथाशक्ति मदद करें। भाग्‍य 96 प्रत‍िशत
सिंह:

स‍िंह राश‍ि वालों का आज का द‍िन सुखद है। राजनीतिक क्षेत्र में आज अशातीत सफलता म‍िलने का योग है। संतान के प्रति दायित्व पूर्ति भी होगी। प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे, रुका हुआ कार्य संपन्‍न होगा। व्‍यवसाय में भी आज आपके ल‍िए लाभ के अवसर आएंगे। हालांक‍ि सेहत संबंधी समस्‍याएं कुछ समस्‍याएं हो सकती हैं। सांयकाल से लेकर रात्रि का समय प्रियजनों के दर्शन हास्य-परिहास में व्यतीत होगा। खान-पान पर न‍ियंत्रण रखें। अन्‍यथा सेहत ब‍िगड़ सकती है। भाग्‍य स्‍कोर : 97 प्रत‍िशत

कन्या:
कन्‍या राश‍ि के जातकों को आज कर्मोद्योग में तत्परता से लाभ होगा। स्वजनों से सुख, पारिवारिक मंगल कार्यों की खुशी होगी। रचनात्मक कार्यों में मन लगेगा। लेक‍िन विपरीत परिस्थिति उत्पन्न होने पर क्रोध पर काबू रखें। अन्‍यथा बात बढ़ भी सकती है। आज घर-गृहस्थी की समस्या सुलझ जाएगी। व्‍यवसाय में आज राजकीय मदद म‍िलने का योग है। सूर्यास्त के समय अचानक लाभ होने के योग हैं। भाग्‍य स्‍कोर : 65 प्रत‍िशत

तुला:
तुला राशि के जातकों के ल‍िए शिक्षा और प्रतियोगिता के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि का योग है। आय के नए स्रोत बनेंगे। कार्यक्षेत्र में आपकी वाणी आपको विशेष सम्मान दिलाएगी। लेक‍िन आज भागदौड़ अधिक रहने के कारण मौसम का विपरीत प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ सकता है, सावधान रहें। आज आपको हर कार्य में जीवनसाथी का सहयोग और सानिध्य पर्याप्त मात्रा में मिलेगा। पत्‍नी के साथ यात्रा, देशाटन की स्थिति सुखद व लाभप्रद रहेगी। भाग्‍य स्‍कोर: 71 प्रत‍िशत

वृश्चिक:

वृश्चिक राश‍ि वालों का आज आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। साथ ही आपके धन, सम्मान और यश-कीर्ति में वृद्धि होगी। रुका हुआ कार्य सिद्ध होगा। आज शाम क‍िसी म‍ित्र से हुई मुलाकात आपके सारे ब‍िगड़े कार्य बना देगी। इससे मन काफी प्रसन्‍न रहेगा। शाम को प्रियजनों से भेंट होगी। लेक‍िन ध्‍यान रखें क‍ि वाणी पर संयम न रखने से विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। सायंकाल प्रियजनों से भेंट एवं रात्रि में सैर-सपाटे और मौज-मस्ती का अवसर प्राप्त होगा। भाग्‍य स्‍कोर: 76 प्रत‍िशत

धनु:
धनु राश‍ि के जातकों के ल‍िए आज गृहोपयोगी वस्तुओं पर धन खर्च का योग है। सांसारिक सुख भोग के साधनों में वृद्धि होगी। अधीनस्थ कर्मचारी या किसी संबंधी के कारण तनाव बढ़ सकता है। रुपए-पैसे के लेन-देन में सावधानी बरतें, धन फंस सकता है। दिन में राज्य संबंध‍ित कार्य से कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। हालांक‍ि इसमें अंत में आपको ही सफतला म‍िलेगी। दोस्‍तों के साथ मुलाकात होने से मन प्रसन्‍न रहेगा। व‍िरोधी चाहकर भी आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। भाग्‍य स्‍कोर : 59 प्रत‍िशत
मकर:

मकर राश‍ि के जातकों को आज व्यावसायिक क्षेत्र में मन के अनुकूल लाभ होने से प्रसन्‍नता का अनुभव होगा। आज आर्थिक स्थिति पहले की अपेक्षा अधिक सुदृढ़ होगी। व्यवसाय परिवर्तन की योजना बन रही है तो आपको लाभ म‍िलेगा। लेक‍िन ध्‍यान रखें क‍ि इस संबंध में क‍िसी वरिष्‍ठ की राय जरूर ले लें। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता और पारिवारिक उत्तरदायित्व पूर्ण होंगे। सांयकाल में धार्मिक स्थानों की यात्रा का प्रसंग प्रबल होकर स्थगित होगा। क‍िचन में काम करते समय सावधानी बरतें, चोट-चपेट की आशंका है। भाग्‍य स्‍कोर : 80 प्रत‍िशत

कुंभ:
आज राशि स्वामी शनि की द्वादश स्थिति के कारण पत्नी को अकस्मात् शारीर‍िक कष्ट होने से भागदौड़ और अधिक खर्चे की स्थिति आ सकती है। लेक‍िन परेशान न हों और धैर्य से काम लें। ईश्‍वर का स्‍मरण करें जल्‍दी ही सब ठीक हो जाएगा। किसी संपत्ति के क्रय-विक्रय के समय उसके सारे वैद्यानिक पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर लें। न‍िवेश करना हो तो भी क‍िसी जानकार की भी राय जरूर ले लें। ताकि आपको क‍िसी प्रकार का कोई नुकसान न हो। ससुराल पक्ष से वाद-व‍िवाद का योग बन रहा है। वाणी पर संयम रखें। भाग्‍य स्‍कोर: 55 प्रत‍िशत

मीन:
आज मीन राश‍ि के जातकों का वैवाहिक जीवन आनंददायक बीतेगा। आज पास-दूर कीँ सकारणीय यात्रा भी हो सकती है। बिजनस में तरक्‍की होने से मन काफी प्रसन्‍न रहेगा। विद्यार्थियों को मानसिक बौद्धिक भार से छुटकारा मिलेगा। सांयकाल कोई महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। पुराने म‍ित्रों से हुई मुलाकात से आज आपका मन शांत रहेगा। आज माता-पिता की सलाह और आशीर्वाद आपके ल‍िए उपयोगी सिद्ध होगी। अधूरे कार्यों को पूरा करने का मौका म‍िलेगा। घर-मकान में न‍िवेश करने से पहले एक बार वर‍िष्‍ठजनों की राय जरूर ले लें। भाग्‍य स्‍कोर : 61 प्रत‍िशत ।
            सरला झा 🙏


🙏🌹शुभवंदन🌹 🙏
 """शिक्षक दिवस और ज्योतिष"""
 शिक्षा,और,विद्या में  क्या मौलिक अंतर है❓❓  
 आइये  विश्लेषण  विवेचन के लिए प्राच्यविद्या  ज्योतिष शास्त्र के महासागर से मोती खोजते है।
गुरूमण्डल को साष्टांग प्रणाम 
लौकिक  गुरु,,शिक्षक को वंदन ,,सुधीजनों का अभिनंदन,,।
इसको ज्योतिष शास्त्र एवम सामुद्रिक हस्त शास्त्र में स्पस्ट समझा जा सकता है--:---
शिक्षा और विद्या ----
1----शिक्षा--, किसी   मानसिक ,बौद्धिक,, सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक, तकनीकी ,प्रक्रियाओं को सीखना -सिखाना ।
सीखने वाला छात्र और सिखाने वाले शिक्षक।
 2,,विद्या -- ब्रह्मांडीय  गूढ़ रहस्य का अनावरण,,आत्म ज्ञान को प्राप्त करना ।
पाने  वाला शिष्य ओर  देने वाला गुरु ।
 शिक्षा:  सिखाना, सीख
     मराठी में अर्थ है- 
                  - - दंड
विद्या: "विद् " धातु से, 
         अर्थ: ,जानना
ज्ञान: " ज्ञ" धातु से
          अर्थ: जानना
  आगे चल कर "विद्या"
   शब्द का स्थान"ज्ञान "
   ने ले लिया,
 आत्मज्ञान (अपने आप
को जानना) 
, विशेष,,,,,,यहाँ एक रोचक तथ्य ज्ञान का रहस्य क्या है❓
भगवान शब्द में ही ज्ञान अर्थ समाहित है ,,,
इस 4 शब्द में सम्पूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है।आइये देखते है ,,,,
भ,,,"''भेति  भासयते लोकान"",,,,
अर्थात सप्तलोकको बचाने के लिए आनंद जुटाने वाले ,जिसके कारण सबके प्राण मन झलमलाते है।
ग,,,"'गच्छति यस्मिन,आगच्छति यस्मात""
अर्थात जिसमें सब समा जाता  है और उत्पन्न  भी हो जाता है।
भ+ग--भग, उत्तर में मतुप प्रत्यय करके प्रथमा के एकवचन में हुआ ,,,,भगवान,,,।
भग छः गुणों का समन्वय है,,
1 ऐश्वर्य
2प्रताप
3यश
4श्री
5ज्ञान
6वैराग्य
,,ज्ञान का अर्थ ,,, ,KNOWLDGE  जो व्यवहारिकता में प्रयोग होता है ,,किसी पुस्तक को पढ़कर हम भूल सकते है ,। क्या आपको अपने  शैक्षणिक जीवन का ज्ञान  स्मरण है❓
नहीं न!  परीक्षा  हुई और भूल गए ,,।
किन्तु ज्ञान का आध्यात्मिक अर्थ है जो  सर्वज्ञ है,सर्वत्र है अनंत है सर्वव्यापत है।
अर्थात जो अस्थायी है वह शिक्षा एवम जो स्थायी है वहीं ज्ञान है।
 विद्या भी आती जाती रहती है ,,वह सब ज्ञान नहीं है ,किन्तु इनमें भी  जो कल्याणजनक है स्थायी है वह विज्ञान है तथा आत्म ज्ञान ही सचमुच का ज्ञान है।
""आत्मज्ञानं  विदुर्ज्ञानं ज्ञानान्यन्यानि यानि तु।
तानि ज्ञानावभासानि सारस्य नैव बोधनात ।।
।।----///------////------///---।।
कुंडली  विज्ञान ,,,,, में  शिक्षा के लिए चतुर्थ भाव से विवेचन किया जाता है ।
यह घर माँ का होता है,,मन का चन्द्र  कारक  है ,,हम मन लगा कर ही सीखते है ।
सर्वप्रथम माँ से ही सीख मिलती है।

 ज्ञान के लिए नवम (गुरु एवं अलौकिक पिता) तथा  पंचम भाव (  संतान  शिष्य  तपस्या ,साधना)  गुरु  शिष्य ,को ज्ञान साधना तप के मार्ग  से ही ज्ञान प्रदान करते है।
सामुद्रिक हस्त रहस्य में शिक्षा मस्तिष्क रेखा और अंगुष्ठ ,कनिष्ठा  आदि के बल से निर्धारित होती है ।
 ज्ञान के लिए सूर्य ,गुरु क्षेत्र एवम रहस्यमय क्रॉस को भी समाहित किया जाता है।
,, यहाँ दोनों विधा में मूलरूप से समरूपता है ,, यथा, वैश्विक कुंडली  मे पंचम भाव का भावेश सूर्य है   नवम का गुरु ,,तथा हस्त में भी सूर्य क्षेत्र  से विद्या,, गुरु से  ज्ञान देखा  जाता है।
प्राचीन ,,  प्राच्यविद्या में विद्या ,ज्ञान से ही यश प्राप्त होता था आत्मबल से सम्मान ।
अतः सूर्य  आत्मा  का  ज्ञान गुरु  ही  दे सकते है।
   उपर्युक्त विवेचन से यह स्पस्ट होता है की ईश्वर ने भी  शिक्षा ,विद्या ज्ञान के अंतर को बाह्य कुंडली एवम आंतरिक हस्त में अंकित किया है।

 " वेद और वैदिक काल"
  --- गुरुदत्त के अनुसार:
 छः वेदांगों में प्रथम अंग "शिक्षा" से तात्पर्य है : --
   " जिससे मनुष्य को मनुष्य बन कर इस संसार में रहने का ढंग बताया जाए।'
    योरोपीय शिक्षा केवल पढ़ने लिखने की क्षमता तक ही सीमित है।
        इसीलिए आज स्कूल कालेज से निकाला छात्र केवल पढ़ने लिखने का अधकचरा अभ्यास किया होता है, उसे संसार में रह कर जीने का सही ढंग मालूम ही नहीं होता।
 आने वाला स्वर्णिम युग अवश्य ही विद्यार्जन  को आत्मसात करेगा ।
महर्षि अरविंद जी ने भी 2050 ईसवी के महामानव  की कल्पना की है ।
राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉ अब्दुल कलाम साहब ने 2020 को विशेष रूप से चिह्नकित किया था।
अवश्य ही यह काल  चिंता ,चिता से चिंतन की ओर ले जाएगा ।
सभी शिक्षकों ,गुरुजनों को नमन ,वंदन ,अभिनंदन 
🙏,🙏🌹🌹🙏🙏
श्रीमती कल्पना झा
अध्यक्ष प्राच्यविद्या शोधमण्डल राजनांदगांव
36गढ़
[28/11/2019, 18:38] Kalpana Jha: [28/11, 18:25] Kalpana Jha: महाराष्ट्र का घमासान क्या स्थायी ,,सुदृढ़ सरकार स्थापित हो पायेगी??
[28/11, 18:29] Kalpana Jha: मुम्बई में 7 ,,,11  pm तक वृष लग्न,,, चंद्र ,,शनि ,,केतु ,,शुक्र अष्टम में  धनु  राशि में ,,, यदि 7,, 11 Pm के बाद शपथ ग्रहण होता है ,, क्या परिणाम होगा?? कार्य भंग योग शनि ,चंद्र युति???
[28/11, 18:29] Harjharno Sir: विचारणीय है।
[28/11, 18:30] Kalpana Jha: चंद्र मूल नक्षत्र ,,में शनि युत बहुत ही कठिनाई
[28/11, 18:33] Harjharno Sir: वृष लग्न होगा, तो इस तिकड़ी सरकार के लिये कंटको से भरा हुआ और बहुत घातक होगा।
    जन हित सर्वोपरि है।
[28/11, 18:35] Kalpana Jha: यहीं बात बहुत ज्यादा संकट झेलना होगा
[28/11, 18:35] Harjharno Sir: ये सारे कुयोग " बाल अरिष्ट"  याने अल्पजीवन दर्शाएंगे।
[28/11/2019, 18:40] Harjharno Sir: अब देखें,   CM  का शपथ ग्रहण कितने बजे होता है।
[28/11/2019, 18:46] Kalpana Jha: ,,6 ,,45PM हस्ताक्षर
[28/11/2019, 18:56] Harjharno Sir: शीघ्र ही विस्तृत, गहन अध्ययन कर संभावित  परिणाम घोषित करेंगे।
[28/11/2019, 19:01] Harjharno Sir: लग्न का उप नक्षत्र स्वामी(Sub Lord}  राहु पूरा मारक प्रभाव में है। ये बहुत खतरनाक स्थिति है।
[28/11/2019, 19:07] Harjharno Sir: शपथ ग्रहण पर केतु दशा में राहु अंतर में शनि प्रत्यंतर -- तीनो प्रबल मारक स्थिति में है।
[28/11/2019, 19:11] Kalpana Jha: ये सब आने वाले कल की तस्वीर होगी ,,राजनीति का स्पस्ट चेहरा मीडिया की व्यापकता से जन के सामने ,,वृष लग्न में सूर्य 4 भाव का भावेश पूर्ण सप्तम दृष्टि लग्न पर
[28/11/2019, 19:11] Kalpana Jha: बिलकुल इसलिए ही तो मन में प्रश्न उठा और सबके समक्ष प्रस्तुत है , इस पर गहन  गणना सामूहिक रूप से आगामी बैठक में प्रस्तुत होना चाहिए❓❓
[28/11/2019, 20:09] Harjharno Sir: शपथ ग्रहण आज रात्रि में ठीक 18: 45 IST ( उद्धव जी के द्वारा पंजी में हस्ताक्षर का समय) पर मुम्बई में हुआ।
[30/11/2019, 11:58] Harjharno Sir: मोदीजी और शाहजी की चाल का सही सही अंदाजा लगा सके, ऐसा कोई  बन्दा अभी पैदा नहीं हुआ।11/12/2019, 14:30] संजय रणदिवे: Yes Sir it has been explained in details.
[11/12/2019, 21:25] संजय रणदिवे: Many congratulations for well in advance prediction by PVSM.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
[11/12/2019, 22:40] Harjharno Sir: अगली भविष्यवाणी
कुछ महीनों में महाराष्ट्र की सरकार में शिवसेना पर कांग्रेस- NCP  के बार बार दबाव के कारण वह संयुक्त सरकार गिर जायेगी और " सुबह का भूला शाम को घर लौट आयेगा" ।
   फिर  SS और BJP  की संयुक्त सरकार बनेगी। 
श्रीमती कल्पना झा

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"🌹शुभवन्दन ,,🌹
"""स्वर व्यंजन और ज्योतिष""
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
  आज  हिंदीदिवस पर हम भाषा  की विलक्षणता पर प्रकाश डालेंगे ,,,,,
"""स्वर- व्यंजन और ग्रह आधिपत्य"""
#हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है 
और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है ❓
उसके पीछे कुछ कारण है ,-----
______________________
क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए,
 क्योंकि इनके उच्चारण के समय 
ध्वनि 
कंठ से निकलती है। 
एक बार बोल कर देखिये |

च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए, 
क्योंकि इनके उच्चारण के 
समय जीभ 
तालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |

ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए, 
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के 
मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। 
एक बार बोल कर देखिये |

त, थ, द, ध, न-  दन्त्य कहे गए, 
क्योंकि इनके उच्चारण के 
समय 
जीभ दांतों से लगती है। 
एक बार बोल कर देखिये |

प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए, 
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये ।
________________________

हम अपनी भाषा पर गर्व  करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये |
इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी अन्य भाषा में है❓❓
--------------------////-----------
आइये अब ज्योतिष के  चक्षु  से मातृ भाषा  की अद्धभुत छवि का दर्शन करें---//🙏

 नवग्रह के अनुसार वर्णमाला 
  1 सूर्य ,,,,,स्वर हुए अ, आ, इ, ई, ए, ऐ, ओ, औ। 

,  यह सूर्य का अधिकार क्षेत्र है। 
चन्द्र ,,,
2,,य, र, ल, व, ष, स, ह ,,  यह अक्षर हुए चन्द्र।
3,,मंगल
क, ख, ग, घ, ड़। 
,,,,यह  मंगल 
4 बुध ,,
ट, ठ, ड, ढ़, ण। 
यह  हुए बुध के
5 गुरु 
 त, थ, द, ध, न। 
ये अक्षर  हुए गुरु। 
6 शुक्र 

च, छ, ज, झ, यँ।
 यह  शुक्र के आधिपत्य।
7 शनि
प, फ़, ब, भ, म। 
 यह शनी  के अक्षर।
 ये सात वारों के क्रम से  अक्षरों का  अधिपत्य हुआ।

यहां  5 ग्रहों के 25 व्यंजन हुए।  
 स्वर के  7 अक्षर सूर्य
 और 7  य से ह तक  चन्द्रके।

सूर्य स्वर है,,, क्यो क्योंकि जगत की आत्मा है।
 सूर्य लग्न कारक  शरीर की हड्डियां है। जिसमें आपका पूरा शरीर टिका । सूर्य न हो तो आपका शरीर एक मास का लोथड़ा है।  इसलिए 
  सूर्य स्वर  है और  व्यंजन बिना सूर्य के स्वरों के अधूरे ही है। 
जैसे मैंने बोला पिताजी तो
 प तो शनि हो गया लेकिन ई सूर्य,,,,ता में त गुरु हो गया लेकिन उसमे आ की मात्रा स्वर  सूर्य।  
ज शुक्र हो गया लेकिन उसमे ई की मात्रा  स्वर सूर्य ही है ।
 इस तरह बिना सूर्य के जगतकी कल्पना मिथ्या है। बिना सूर्य के सब ग्रहों की कल्पना मिथ्या है। बिना स्वरों के व्यंजनों का बोलना मिथ्या है।
,,,
अब देखिए गुस्से में आकर कोई बात बोले तो पाप शब्द ही निकले । जैसे किस को बोला फालतू बात मत कर। यहां फ़ शनी, ब शनी, म शनी, ब शनी ओर क मंगल साथ मे । मतलब यह शनी ओर मंगल दोनो पापी ग्रहों के शब्द निकले। 

अब में किसी को को धन्यवाद बोलूं तो ध व्यंजन गुरु का है। गुरु सबसे शुभ ग्रह है। गुरु तो गुरु है।
 बुध  बुद्धि कारकजिसके साथ होता है वैसा फल देता है , अर्थात संगत का प्रभाव बुध्दि पर ।
बुध चूंकि किसी के भी रंग  में  रंग  जाता है तो उसके शब्द भी वैसे ही है। 

मंगल आक्रामक ग्रह तो उसके शब्द भी वैसे ही है। गुस्से में आकर बोलते है कमाल करते हो भाई। 
यहां क मंगल ही तो है। अब मंगल चूंकि लॉजिक ढूंढता है तो प्रश्न में देखो क्या, क्यो, कैसे, कब, कहा सब क से शूरू हो रहे है।
 दक्षिण भारत मे अभी भी मूल ग्रंथ सुरक्षित है ।
इसी स्वर शास्त्र  पर  दक्षिण में न जाने कितने प्रश्न ग्रन्थ बनाये गए है।

  अर्थात  """यत पिंडे तत
ब्रह्माण्डे""" कण कण में ग्रह बसा है।
  ज्योतिष जीवन जीने की कला सिखाता है ।
 मानव ग्रह नक्षत्र की ऊर्जा से संचालित प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ कृति है ।
  तो  है न अद्धभुत ,, देवनागरी लिपि पर  ग्रहों का आधिपत्य ,,,देखा आपने!!
राष्ट्र भाषा हिंदी का वंदन ,अभिनंदन🙏🌹🙏
श्रीमती कल्पना झा ,
अध्यक्ष 
प्राच्यविद्या शोधमण्डल राजनांदगांव 36 गढ़
[17/09, 10:16] Harjharno Sir: माननीय  मोदीजी के गरिमापूर्ण 70 साल पूरा करने पर हमारे मंडल की और से सब को हार्दिक बधाई!
    मोदी जी शतायु हों!
  🌹🌹🌹
[17/09, 12:03] Harjharno Sir: आप मोदी जी पसंद करें, ना करें नियति-नियंता ने तो इस चतुर्दिक भीषण संकट के तूफानी भवसागर में पतवार मोदी जी के हाथों में थमा दी है।
    आप कितने भी चतुर, बुद्धिमान क्यों न हों, लेकिन नियति से अधिक नहीं --किसी भी हालात में नहीं ।आप दस बार गलत हो सकते हैं , नियति एक बार भी नहीं।
   आप को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। 
    थोड़ा धैर्य रखें।
  मात्र कुछ ही वर्षों में नियति के इस नाटक का क्लाइमेक्स आपके सामने होगा।
  ---- "मनुज बली नहिं होत  है,
   समय होत बलवान। "
[18/09, 00:06] Kalpana Jha: आप का यह  कथन ,,तथ्य  पूर्ण गहन शोध एवम तप से किये गए आकलन के आधार पर  है।
इसकी पुष्टि के लिए  मंडल के विभिन्न  सटीक  ,गणना ,सत्य  प्रमाणित फलकथन ,, ,,बेबाक  राय  जो पूर्व में प्रकट की गयी थी ,,उसको श्रृंखला बध्द रूप से  नियमित प्रसारित करेंगे।
इस विषय पर मंडल लगातार 10 वर्षों से शोधपत्र तैयार कर रहा है ,, वर्तमान में  स्वतंत्र  भारत की दशा ,अंतर दशा और नेतृत्वकर्ता की दशा में समरसता के आकलन के साथ ही ""विश्व पटल पर भारत वर्ष  की  भूमिका"" को लेकर जो गणना ,फलादेश प्राप्त हुए है उनका पुनः  मूल्यांकन एवम समीक्षा  की अपेक्षा  मंडल आप सुधी जनों से  करेगा।।।
भारत वर्ष के प्रधानमंत्री महोदय को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,,।
ईश्वर आपको शक्ति दें।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏

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श्री महालक्ष्मी व्रत कथा🪷🪷 एक समय महर्षि द्पायन व्यास जी हस्तिनापुर आए उनका आगमन सुनकर राजरानी गांधारी सहित माता कुंती ने उनका स्वागत किया अर्द्ध पाद्य आगमन से सेवा कर व्यास जी के स्वस्थ चित् होने पर राजरानी गांधारी ने माता कुंती सहित हाथ जोड़कर व्यास जी से कहा, है महात्मा हमें कोई ऐसा उत्तम व्रत अथवा पूजन बताइए जिससे हमारी राजलक्ष्मी सदा स्थिर होकर सुख प्रदान करें, गांधारी जी की बात सुनकर व्यास जी ने कहा, हे देवी मैं आपको एक ऐसा उत्तम व्रत बतलाता हूं जिससे आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र आदि सुख संपन्न रहेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को स्नान आदि से निवृत हो शुद्ध वस्त्र धारण कर महालक्ष्मी जी को ताजी दूर्वा से जल का तर्पण देकर प्रणाम करें, प्रतिदिन 16 दुर्वा की गांठ, और श्वेत पुष्प चढ़कर पूजन करें, १६धागों का एक गंडां बनाकर रखें पूजन के पश्चात प्रतिदिन एक गांठ लगानी चाहिए, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माटी के हाथी पर लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजन करें ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर संतुष्ट करें इस प्रकार पूजन करने से आपकी राजलक्ष्मी पुत्र पौत्र...

*सागरिका की पवित्र सरिता माँ महानदी पूजा अनुष्ठान विधा - संयोजिका श्रीमती आशा ठाकुर, श्रीमती भावना ठाकुर, श्रीमती सपना ठाकुर श्रीमती रक्षा झा एवं सखियां.श्री गणेशाय नमः आज दिनांक 30,8,25 अगस्त दिन शनिवार मैं संतान साते की पूजा विधि बताने जा रही हूँ यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में संतान की दीघार्यु एव स्वस्थ होने की कामना करते हुए किया जाता है। जिनकी संतान नही होती वह भी यह व्रत नियम विधि के अनुसार करें तो अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है। प्रात : काल उठ कर स्नान करेंसारा घर का काम निपटा कर पूजा करने की जगह को साफ कर लेवें गंगा जल से शुद्धि करन करके जहा हमें पूजा करनी है। वहा पर सीता चौक डाले कलश के लिए फूल गौड़ा चौक रेहन अर्थात् चावल की आटा का घोल बनाए उससे चौक पूरे और चौक में सिन्दूर लगाए शंकर पार्वती उनके परिवार की स्थापना के लिए चौकी या पाटा रखें उसके ऊपर लाला या पीला कपड़ा बिछाए प्रतिमा या फोटों या फिर मिट्टी से शिव शंकर पार्वती एवं परिवार की मूर्ति बनाकर स्थापना करें पूजा की तैयारी : - परात में चंदन रोरी कुमकुम , फूल फुल माला , बेल पत्ती , दूबी अक्षत , काला तिल , जनेऊ , नारियल , शृंगार का समान वस्त्र कपूर , धूप, दीप आरती बैठने के लिए आसन गौरी गणेश कलश अमा का पत्ता लगा हुआ नैवेध फल नैवेध :- मीठा पूड़ी का भोग लगता है। उपवास : - संतान साते के दिन दिन भर उपवास रहते है। और पूजा करने के बाद मीठा पुड़ी ( पुआ ) खा कर व्रत तोड़ते है। इसके अलावा कुछ भी नही लेते जूस , चाय नीबू पानी पी सकते है। क्योंकि आज कल शुगर , बी पी की शिकायत रहती है। तो आप ले सकते है। अन्न नहीं लेते है। पूजा विधि शाम के समय गोधुली बेला में शिव पार्वती एवं उनकी परिवार की पूजा की जाती है। अच्छे से तैयार होकर सोलह शृंगार करके यह व्रत की जाती है। सर्व प्रथम गौरी गणेश कलश की पूजा उसके बाद गौर साठ की पूजा क्योंकि हम मैथिल ब्राम्हण है। तो हमारे यहा पर हर त्यौहार पर गौर साठ की पूजा की जाती है। उसी के बाद ही अन्य पूजा यह नियम महिलाओं के लिए ही है। गौर साठ पूजा के बाद शंकर पार्वती की पूजा जल से स्नान दूबी या फूल लेकर करें , फिर चंदन , रोरी कुमकुम लगाए पुष्प चढ़ाए , माला पहनाए संतान साते में सात गठान की मौली धागा से चूड़ा बनाए या जो सामर्थ है। वह सोने की कंगन या चांदी का कंगन बनाए एवं दूबी सात गाठ करके चढ़ाए कंगन की पूजा करें भोग मीठा पुड़ी लगाए जितना संतान रहता है। उनके नाम से सात पुआ गौरी शंकर एवं सात पुआ संतान के नाम से एक भाग ब्राम्हण को दान करें एवं परिवार को बांटे एक भाग जो सात पुआ है। उसे स्वय ग्रहण करें कंगन पहन कर ही प्रसाद को ग्रहण करें आरती : - पहले गणेश जी का करें फिर शंकर जी का दक्षिणा सामर्थ अनुसार संकल्प करें आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏.. श्री गणेशाय नमः ,,श्री गणेशाय नमः सधौरी की विधि यह विधि नौवा महीने में किया जाता है। पंडित जी से शुभ मुर्हुत पूछकर किया जाता है। सबसे पहले सिर में बेसन डालने का विधि होता है। पांच या नौ सुहागन के द्वारा सिर पर बेसन डाला जाता है। और चूकिया से जल सिर के ऊपर डाला जाता है। उसके लिए नव चूकिया चाहिए होता है। बेसन मुहूर्त के हिसाब से ही डाला जाता है। इसमें विलम्ब नहीं करना चाहिए नहाने से पहले आंचल में हलदी + सुपारी + चांवल + सिक्का डालना चाहिए चावल का घोल से हाथ देते हुए उसमें सिन्दूर , पुषप दुबी डालें प्रत्येक हाथा में वघू या कन्या के द्वारा जहा पर बेसन डाला जायेगा वहां पर फूल गौड़ा चौक डाले चौकी या पाटा रखें फिर बेसन डालें और जल भी सिर के ऊपर डालें कम से कम पांच या सात बार सभी सुहागनियों के द्वारा उसके उपरान्त स्नान अच्छी तरह करने दो गिला कपड़ा पहने रहें किसी छोटी बच्ची या बच्चा जो सुन्दर हो चंचल हो उसके हाथ से शंख में कच्चा दूध और पुष्प डाल कर भेजे बालक और बालिका को अच्छी तरह से देख र्ले उनसे शंख और दूध लेकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें इधर उधर किसी भी को ना देखें सूर्य नारायण को प्रणाम करें पूजा रूम में प्रवेश करें बाल मुंकुद को प्रणाम करें कपड़ा नया वस्त्र धारण करें शृंगार करें आलता लगाए पति पत्नी दोनों गंठ बंधन करके पूजा की जगह पर बैठ जायें पूजा जैसे हम करतेप्रकार करे आरती करें भोग लगाए तन्त् पश्चात् जो परात में आम का पत्ता के ऊपर दिया रखें दिया में चावल के घोल से . + बनाये सिन्दूर लगाए हल्दी सुपाड़ी सिक्का चुड़ी दो रखें प्रत्येक दिये में सिन्दूर की पुड़िया रखें गुझिया रखें उसे भोग लगा कर पूजा के बाद प्रत्येक सुहागिनों को आंचल से करके उनके आचल में दें । फिर पूजा स्थल पर कुश बढ़ाओं चौक डाले पाटा रखें उसके ऊपर गाय + बैल + कहुआ को गोत्र के अनुसार रखें बैले हो तो घोती आढ़ऐ गाय हो तो साड़ी पूजा के बाद कांसे के थाली में बनी हुई समाग्री को पांच कौर शहद डाल कर सास या मां के द्वारा पांच कौर खिलाए उसके पहले ओली में पांच प्रकार का खाद्य समाग्री डाले जैसे गुझिया अनारस फल मेवा डालें और छोटे बच्चे के हाथ से निकलवाए हास्य होता है। थोड़ी देर के लिए गुझिया निकला तो लड़का प प्ची निकला तो लड़की फिर सभी सुहागिनी यों को भोजन करवाए आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏ज्युतिया ,,यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है। शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर *दूसरे दिन*सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा शाम के समय पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून से ब्रश कर वही स्नानकर वही पूजा करते है। सभी महिला एक साथ मिलकर करती है। उन्ही में से एक महिला कथा सुनाती है। वहां पर जीउतिया उनका सोना या चांदी का बना लहसुन आकृति का रहता है। हर साल जीउतिया सोनार के यहा जा कर बढ़ाते है। उसी जीउतिया को हाथ में रख कथा कहती है। और हर महिला के बच्चों का नाम लेकर आर्शीवाद देती है। ये उनका अपना रिति है। परन्तु हमारे छत्तीसगढ़ में और हम अपने घर पर जिस तरह पूजा पाठ करते हुए देखा है। उसे ही हम आप सबके बीच प्रस्तुत किया है। त्रुटि हो तो क्षमा प्रार्थी आपका अपना आशा ठाकुर अम्लेश्वर पाटन रोड छत्तीसगढ़ रायपुर 🙏🙏श्री गणेशाय नमः सधौरी की तैयारी गौरी गणेश + कलश चंदन रोरी कुमकुम घूप दीप कपूर अगरबत्ती नारियल भोग गौर साठ का डिब्बा रेहन चावल का पीसा हुआ हाथा देने के लिए एवं थाली कांसे की थाली मेवा काजू किशमिश बादाम छुहारा आदि ड्राई फूड मौसम अनुसार फल 60,आम का पत्ता मिट्टी का दिया 60 , चुड़ी सिन्दूर खड़ी हल्दी , खड़ी सुपारी 60 हल्दी 60 सुपारी जनेऊ बेसन शंख पाटा , पान का बिड़ा शहद नया वस्त्र पहने के लिए गोत्र के अनुसा मिट्टी का बैल , गाय , कछुआ जैसा हो गोत्र उसके अनुसार बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

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