*सागरिका की पवित्र सरिता माँ ब्रम्हपुत्र घरेलू नुस्खे व प्राकृतिक चिकित्सा की संयोजिता श्रीमति स्नेहलता झा
श्रीमती दिव्या झा
श्रीमती नीरजा ठाकुर
श्रीमती साधना ठाकुर
स्नेह लता झा, अनुजा झा और दिव्या झा की प्रस्तुति ।
*। स्वाद में करें कुछ नया प्रयोग ।*
मसाले भारतीय व्यंजन की शान है हम इन्हीं मसालों के कारण विश्व में जाने जाते हैं और घर में बने मसाले तो जायका ही बदल देते हैं । इनकी खुशबू खाने को स्पेशल बनाती है , आइए सरलता से उपयोग के मसाले घर में बनाएं।
*गरम मसाला महाराष्ट्रीयन*
सामग्री: जीरा , काली मिर्च काला जीरा तीन तीन चम्मच , लॉन्ग और तेजपत्ता पांच (५) ,चक्र फूल पांच(५), दालचीनी करीब आठ (८) टुकड़ा छोटा-छोटा, जावित्री, बड़ी इलायची , 5 हरी इलाइची, 10 मेथी
में से एक चम्मच थोड़ा सा एक कटोरी करीब सौ ग्राम धनिया एक जायफल ।
मालाबार मसाला सब्जी के रस को स्वादिष्ट बनाने इसका उपयोग करते हैं सामग्री लाल मिर्च 10 धनिया राई काली मिर्च एक एक चम्मच जायफल चने के टुकड़े के बराबर लॉन्ग 6 दालचीनी हींग एक चुटकी हल्दी आधा चम्मच सभी को बारीक पीस ले ।
चाट मसाला सामग्री अमचूर आधी कटोरी काला सेंधा नमक सादा नमक तीनों मिलाकर एक बटे चार कटोरी अनारदाना जीरा काली मिर्च धनिया चार चार चम्मच सोंठ दो चम्मच अजवाइन दो चम्मच एक चुटकी दो चम्मच पाउडर दो चम्मच ।
चाट मसाला की विधि धूप में सुखाकर बारीक पीस लें और उपयोग करें सलाद मट्ठा हर चीज में इसका उपयोग करें ।
गोड मसाला सामग्री एक कटोरी धनिया काली मिर्च जीरा तिल दो दो चम्मच लॉन्ग एक चम्मच तेजपत्ता दो हल्दी एक चम्मच दालचीनी दो टुकड़ा मध्यम आकार का एक नारियल किस्सा हुआ आधी कटोरी सभी को भुने और पीस ले ।
रायता का मसाला दो चम्मच काला नमक सादा नमक और सेंधा नमक दो चम्मच चम्मच पुदिना पाउडर।
पुलाव मसाला सामग्री बड़ी राय की तीन लोंग पांच छोटी इलायची दालचीनी दो टुकड़ा काली मिर्च एक चम्मच तेजपत्ता तीन चक्र फूल एक सभी चीजो को मोटा कूटकर मलमल के कपड़े में जब पुलाव बनाएं उसी समय डालें बनने के बाद कपड़े समय निकालिए ।
पंचफोरन अंत में बंगाली पंचफोरन यानी मिर्ची कलौंजी सॉफ इन का बघार सूखी सब्जी में उपयोग करते हैं ।दूसरा तरीका इससे सुखा में भुने ठंडा कर पीस लें सूखी सब्जी मसाले हमारे खाने को स्वादिष्ट बनाते हैं जायकेदार बनाते हैं इसकी खुशबू लोगों को अपनी और आकर्षित करती है इसीलिए घर का बनाया मसाला बहुत अच्छा होता है ।
विटामिन (vitamin)- यह हमारे शरीर को वृद्धि और पुष्टि देता है। प्रति दिन के भोजन में सभी उपरोक्त लवण के साथ विटामिन अति आवश्यक है।
विटामिन A - यह शरीर के उचित विकास के लिए जरूरी है। यह पाचन क्रिया हड्डियों को मजबूत त्वचा की रक्षा आखो के लिए आवश्यक है। यह मछली अंडा पनीर आम पपीता चौलाई मांस चौलाई धनिया गाजर पोदीना में अधिक होता है ।
विटामिन B - इसे स्वाद विटामिन कहते हैं। इसकी कमी से बेरीबेरी रोग होता है। यह पाचन शक्ति को बढाता है नेत्र रोग नकसीर घबराहट दमा गठिया इसके अभाव से होता है। यह सब्जी फल मेंवा पनीर हरे साग सोयाबीन में पाया जाता है।
विटामिन C -इसका प्रभाव पाचन क्रिया पर पडता है। इसके अभाव में गठिया वात आतो के छाले चर्म रोग पीलिया रोग होता है। यह नीबू सन्तरा ज टमाटर अनानास आंवला बेल विटामिन सी खजाने है। इसके अलावा यह सभी सब्जी दूध मांस फल में पाया जाता है।
विटामिन D - इससे शरीर विकसित होता है। और सुडौल होता है। हड्डी व दात को मजबूत बनाता है काड लीवर आयल मख्खन अंडा टमाटर पीला गाजर मक्का हरी तरकारी में पाया जाता है और इसका खजाना सूर्य की किरणें है। सुबह की धूप बहुत फायदेमंद है।
विटामिन E - इसके अभाव में बाँझ पन प्रजनन क्षमता नपुसंकता फोडे फुन्सी होते है। यह विटामिन आग में पकाने से या धूप में तपने से भी नष्ट नहीं होता। यह जैतून के तेल बिनौले के तेल खमीर अंडा अलसी हरी सब्जी केला नारियल गाजर सोयाबीन में पाया जाता है।
विटामिन K- यह विटामिन रक्त को जमाने में सहायक है इसका उपयोग आपरेशन के पहले रक्त को जमाने की क्रिया को बढाने के लिये करते हैं। यह हरी साग सब्जी में करम कल्ला में अधिक होता है और टमाटर गेंहू के चोकर अंडा मख्खन सोयाबीन में भी कम होता है। इस तरह हमारे शरीर में इन विटामिनो की बहुत उपयोगिता है। और सबका अपना अपना महत्व है।
स्नेहलता
अनुज्ञा
दिव्या झा।
खाद्य चिकित्सा
हम जो कुछ भी खाते पीते हैं वह आहार हमें पृथ्वी से मिलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे शरीर के मूल तत्व ही पृथ्वी में पाये जाने वाले मूल तत्व है। एक जीवित मनुष्य के और पृथ्वी के मूल तत्व में सामान्यतः कम ही अन्तर है। पृथ्वी के सात तत्व
ही असली है।
1 ,प्रोटीन 2 कार्बोज 3 वसा 4स्फोक 5 जल 6 विटामिन 7 खनिजलवण।
वैसे हमारा शरीर हमारा भोजन एवम पृथ्वी जिसमें खाने पीने की वस्तुएं उत्पन्न होती है। तीनों एक ही प्रकार के24 रासायनिक तत्वों से बने है पर उपरोक्त 7 तत्व मुख्य है।
1 प्रोटीन :-ग्रीक शब्द से बना है ,जिसका मतलब,"मैं प्रथम हूँ " होता है। इसका मुख्य काम मास और झिल्लियों को बनाना है। यह तत्व नाईट्रोजन प्रधान होता है। इसका कार्य शरीर के पोषण करने एवं भीतरी बाहरी शक्तियों को उत्त्पन्न करना है। बाकी 6 तत्व शरीर को ताप और शक्ति प्रदान करते हैं पर प्रोटीन शरीर का निर्माण करता है। यह आक्सीजन हाइड्रोजन फासफोरस गंधक और कार्बन के संयोग से बनता है। यह चना मटर मूँग अरहर तिल सोयाबीन माँ मछली अंडा में अधिक होता है। मेवा दूध सब्जी फल में कम होता है। चावल गेंहू में भी कम होता है।
प्रोटीन की अधिकता से गुर्दा और यकृत कमजोर हो जातें हैं। एक व्यक्ति के लिए 45से65 ग्राम काफी है और इसकी कमी से शरीर दुर्बल एवं क्षीण हो जाता है।
2 कार्बोज:- यह कार्बन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग है और शरीर में रासायनिक क्रिया से ग्लूकोज में बदल जाता है।
दूसरा श्वेतसार यह गेंहू चावल बाजरा ज्वार सिघाडा अखरोट मटर शकरकंद चुकंदर में पाया जाता है ।सब्जी नारियल केला आलू में होता है। एक साधारण आदमी के लिए 400 ग्राम कार्बोज की जरूरत होती है।
3 वसा÷इस तत्व वाले पदार्थ में कार्बन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होता है। यह दो प्रकार का होता है ।1 प्राणी जन्य 2वनस्पति जन्य। दूध दही घी मख्खन पनीर गोश्त मछली अंडा ये प्राणी जन्य है। काली तिल सरसों सोयाबीन जैतून अखरोट मूंगफली बादाम नारियल ये वनस्पति जन्य है। इनसे शरीर सुन्दर सुडौल और चिकना होता है। वजन बढाने के लिए दालो और मांस के साथ इन पदार्थों आहार में शामिल करें। इनकी कमी से शरीर =स/दुर्बल बेडौल रूक्ष होता है। और अधिकता से मोटा बेडौल भद्दा होता है। 40से 60 ग्राम एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त है।
4 स्फोक÷ छिलका या चोकर यह विटामिन B का घर है। पेट साफ करने चोकर की रोटी मूली सरसों का शाक अमरूद कच्चा नारियल में स्फोक पाया जाता है। रक्त शोधक है कब्ज के लिये रामबाण है। यह स्वादिष्ट विटामिन है। इसीसे हमें प्राकृतिक स्वाद की प्राप्ति होती है। स्फोक पाचन प्रणाली में पहुंच कर पाचन तंत्रो को स्वस्थ बनाता है।
5 जल= हमारे शरीर में लगभग 298ग्राम जल की उत्पत्ति प्रति दिन होती है। शरीर में 70% जल होता है। भोजन रस बन कर जल के माध्यम से शरीर में अभिशोषित होता है। शरीर से मल मूत्र पसीने के रूप में बाहर आता है। नल कुऑ नंदी की अपेक्षा साग सब्जी फल में यह लाभकारी है।
6 खनिजलवण ÷ इन लवणों को रक्त शोधक लवण भी कहते हैं। ये अनाज तरकारी फल द्वारा हमारे शरीर में पहुंच कर हमारे शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। हमारे शरीर की त्वचा रक्त तथा अस्थि आदि में सर्वत्र लवण ओतप्रोत है।रक्त में ही सोडियम पोटेशियम क्लोराइड तथा फॉस्फेट ये चार प्रकार के लवण पाये जाते हैं। इन खनिजलवण की संख्या 24 है। खाना बनाते समय ध्यान रखना जरूरी है कि ये अमूल्य और उपयोगी तत्व नष्ट न हो। लवण का मुख्य काम पाचन सुधारना रोगों से छुट्टी दिलाना रक्त कोशिकाओं को मजबूत बनाना लार उतपन्न करना भोजन में स्वाद देना है। इसका अधिक उपयोग कफ और पित्त बढाने वाला होता है।
7 केल्शियम ÷केल्शियम अस्थियों का सत्व होता है। शरीर की इमारत का ढांचा इसी पर आधारित है फेफडों को शक्ति प्रदान करना इसका काम है। चूना खडिया मे अधिक पाया जाता है। इसकी कमी से दातो का पायरिया फेफडों के रोग हड्डियों के रोग हो जाते हैं। यह चुकंदर सहजन तिल शलजम पालक टमाटर पालक नारंगी नींबू दूध गुड में पाया जाता है। अनाज सूखे मेवे में कम होता है। कल हम विटामिन और बाकी तत्वों की बातें करेंगे।
स्नेहलता झा
अनुजा झा
शीतकाल बलदायिनी ऋतु है। इस समय हम ऊर्जा का संचय कर शरीर को बलवान बना सकते हैं क्योंकि इस समय जथराग्नी प्रबल रहती है। अत: गरिष्ट पदार्थ भी पच जाते हैं। अत: भोजन में घी,दूध,मेवा,मखाना,मूंगफली,तिलगुड़,सोंठ,शतावरी,मेथी के लड्डू लें। दूध में हल्दी या छुहारा डाल कर पियें।
बाजरा,मक्का और ज्वार की रोटी खाएं। सलाद,हरी पत्ती,सलाद का उपयोग करें। तरह-तरह के सूप का जैसे टमाटर,गाजर,चुकंदर,पालक के सूप का उपयोग करें।
ये तो हुई आहार की बात। अब विहार की बात करते हैं।
आहार याने खाना, विहार याने रहन-सहन। इस समय त्वचा रूखी हो जाती है अत: तेल की मालिश करें। धूप का सेवन,उबटन लगाकर नहाएं। मालिश से त्वचा में निखार आता है। कहते हैं- जो व्यक्ति तिल के तेल ,तिल,रजाई पान का,सूर्य के धूप का सेवन नहीं करता वह भाग्यहीन है। पैरों को ठंड से बचाएं,मोजा पहने,गर्म कपड़े का उपयोग करें। सर्दी में पैर फटते हैं उसे फिटकरी डालकर गर्म पानी में धोएं। आधा कच्चा नारियल तेल या डालडा में चम्मच चंदन का पाऊडर डाल फटी हुई एड़ी में लगायें।
ठंड में खाने को मैं दो व्यंजन बता रही हूँ।
_सोंठ और चिकी_
सोंठ पाउडर 100 ग्राम,50 ग्राम घी,50 ग्राम बादाम,काजू पाउडर,250 ग्राम गुड़,50 ग्राम गोंद।
*विधि:-* गोंद को घी में तल लें। बचे घी में चार चम्मच पानी डालकर गुड़ डालें। गोंद का पाउडर बना लें। दो तार की चाशनी में पूरा सामान डाल थाली में घी लगाकर जमा दें। ठंडा होने पर काट लें। एक कप दूध में साथ लें।
*"खजूर का जेम"*
250 ग्राम खजूर,50 ग्राम घी।
*विधि:-* खजूर की गुठली निकाल थोड़ा पानी डाल मिक्सी में पीस लें। घी में भुने और दस मिनट के बाद ठंडा होने दें। यह शरीर में रक्त की कमी को दूर करता है। प्रसूता को भी दे सकते हैं।
*"अंकुरित मेथी की बर्फी"*
200 ग्राम मेथी,50 ग्राम गोंद,50 ग्राम काजू बादाम पाउडर,100 ग्राम नारियल पाउडर,50 ग्राम घी,शक्कर 400 ग्राम।
*विधि:-* मेथी को धोकर भीगा दें। दूसरे दिन मोटे कपड़े में बांधकर लटका दें, दूसरे दिन पानी का छींटा दें, फिर तीसरे दिन अंकुरित मेथी निकाल लें। गोंद को तलकर पाउडर करें, उसी घी में भुने शक्कर डालकर दोनो को चलाएं, गाढ़ा होने पर मेवा और गोंद डालें,थाली में घी लगाकर जमा दें या चाहे तो लड्डू बना लें। यह अंकुरित होकर बहुत पौष्टिक हो जाता है।
~ स्नेहलता झा
प्राची ठाकुर
अनुजा झा
*/ ठंड में त्वचा की देखभाल /*
त्वचा में पोषण समाए तो रंग खिलकर नज़र आता आए। ठंड में त्वचा रूखी हो जाती है, बाज़ार से महंगी महंगी सौंदर्य प्रसाधन लाते हैं, वह तुरंत तो असर दिखाती है पर दादी नानी के अनुभव की टोकरी के फूल प्राकृतिक आभा प्रदान करती है। यह हमारी त्वचा में समाकर उन्हें सुंदर बनाती हैं।
। *दालों का पैक* ।
मसूर की दाल का उबटन या फेस पैक दोनों बनता है, उसी प्रकार बेसन चांवल आटा का भी फेस पैक और उबटन बनता है। उबटन महीनों खराब नहीं होता, फेस पैक दो - तीन दिन ही उपयोग कर सकते हैं। चांवल आटा रंग साफ करता है।
- कोई भी दाल 1 कटोरी लें, थोड़ा भूनलें और मिक्सी में पीस लें।
आधा ( 1/2) चम्मच हल्दी पाउडर,
1/4 कटोरी संतरा पाउडर,
2 चम्मच भूनी मेथी का पाउडर,
1 चम्मच गेहुंआ कचूला, खस पाउडर, चंदन सभी को मिला लें। लगाते समय दही में घोलकर चेहरे हाथ पैर में लगाएं, नारियल तेल से उसे रगड़ कर साफ करें। सभी दाल, चांवल, ब्रेड को सूखा उसका पाउडर बना इसी तरह उबटन बनाएं। चांवल के और भी बहुत गुण हैं । दो कटोरी चांवल भीगा कर दो दिन रखें उसे पीस कर सुखालें, उबटन की बाकी सामग्री डाल बढ़िया उबटन तयार करें।
आंवला, तुलसी , पौदीना नीम सूखा कर बारीक पाउडर बना लें। इसे उसी चांवल पाउडर में डाल उबटन बनाएं, तेल लगाकर छुड़ाएं। ठंडी में तिल को मिक्सी में बारीक पीस लें, उसे भी चांवल आटा या दाल को बेस बना उबटन बनाएं। गेंदे की पत्ती, आंवला, तुलसी, पौदिना, नीम की पत्ती सुखा कर चांवल या किसी दाल में मिला उबटन बनाएं।
। *फेस पैक* ।
चेहरे में दाग धब्बे हो तो एलोवेरा का पैक लगाएं, एक चम्मच एलोवेरा जूस, या एक चम्मच एलोवेरा जेल में आधा चम्मच चांवल आटा, शहद, चंदन पाउडर, नींबू रस डाल चेहरे पर सूखने तक लगाएं।
ऑयली त्वचा के लिए उसमें मुल्तानी मिट्टी डालें, कोल पाउडर और मुल्तानी मिट्टी तेल सोखते
- चेहरे की ताज़गी के लिए सोयाबीन का फेस पैक।
सोयाबीन भीगा कर पीस लें और उसमें एलोवेरा के बदले बाकी सामान डालें।
1. रंग साफ करने आलू का पैक - माध्यम आकार का आलू लें, कद्दूकस करें या मिक्सी में गुलाब जल डाल कर पीस लें। उसका रस निकालें उसमें एक एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर डालें। बचे हुए को हाथ, पांव में रगड़ लें।
2. दूध की अपेक्षा दही का उपयोग करें उसमें रंग साफ, त्वचा के पॉर्स को खोलने और बन्द करने की क्षमता अधिक है। सिर्फ दही हाथ पैर और चेहरे में लगा लें। हल्दी और चंदन का लेप भी लगा लें। सभी सामान जुराय यह ज़रूरी नहीं।
3. पिंपल पैक - तुलसी, नीम, पौड़ीना या तो सुखाकर पाउडर करें या गीला मिक्सी में पीस लें, एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी चंदन डालें। चेहरे में दाग हों तो पपीता का पल्प में, ककड़ी के रेस, गाजर के रस में मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर डाल कर लगाएं।
चेहरे के कसाव के लिए - एक चम्मच गोंद, 3 गुलाब जल में भिगोदें, बन्द डब्बे में चंदन मुल्तानी मिट्टी 1/2 चम्मच एलोवेरा डाल कर लगाएं, गोंद चेहरे में कसाव लाता है ।
झाइयों के लिए, गेंदों का कत्था वाला फूल पीसकर उसका पैक लगाएं। आधा चम्मच बारीक पाउडर, 1 चम्मच बेसन गुलाब जल में मिला पेस्ट बना कर लगाऐं। मसूर या उड़द दाल चिल्का सहित पीस उसमें एक चुटकी कपूर , चंदन, शहद दाल कर लगाएं।
.
फेस पैक का उपयोग हफ्ते में तीन दिन करें, उबटन रोज़ लगा सकते हैं। बादाम और चिरोंजी को दूध में पीस कर पैक बनाए।
*स्नेहलता झा
प्राची ठाकुर
अनुजा झा*
•■घरेलु नुस्खे:-
मेरे आजमाये आयुर्वेद के नुस्खे:-
■वेस्ट से बेस्ट-
आयुर्वेदाचार्य जीवक के अनुसार भगवान ने जहर से लेकर अमृत तक बनाया। उन्होनें जब खोज किया तब जीवक को लगा कोई भी वस्तु भगवान की बनाई बेकार नहीं है। उन्ही को अनुशरण कर मैं भी कह रही हूँ। खराब होने के बाद भी वस्तुओं का उपभोग किया जा सकता है।
• बरसात में आंटा, बेसन, सत्तु, सूजी, टमाटरसौस, आचार, शरबत, मिठाई बची हई।
किस किस का नाम गिनाएं, आइये उन्ही का उपयोग करें।
सभी प्रकार के आंटे, सत्तु, रवा को छान लें। सूखी कढ़ाई में थोड़ा सेंक लें। थोड़ी हल्दी और दही मिलकर नहाएं। संतरा पाउडर और मेथी डाल दें, शानदार उबटन तैयार।
• आम का, नींबू का, आचार में फफूंद लग गया हो तो उतना भाग निकालें। उसमे नमक मिलाकर एक डब्बे में रखें, रात में तवा, लोहे की कढ़ाई, पूजा के बरतन में लगा के रखें, सुबह साफ करें। टमाटरसौस भी उसी तरह उपयोग करें।
• शरबत, रूह अफज़ा के अलावा कोई भी हों। खराब हो गया तो छान लें। एक कप शरबत में नींबू के अलावा बाकी में चार चम्मच नींबू का रस, चार चम्मच गुलाब जल और चार हम्मच ग्लिसरीन डाल मिला दें। विंटर लोशन ठंड में नहाने के पहले पूरे शरीर में लगाएं।
• ब्रेड अधिक आ गया है या सूख गया है, तो टुकड़ा कर सुखा लें। मिक्सी में पीस बॉटल में रखें। कटलेट आलु बोन्दा में उपयोग करें। दही में घोल हाथ-पैर, चेहरे में लगायें, ईस्ट के कारण रंग साफ़ करता है। संतरा पाउडर, मेथी डाल उबटन बनाएं।
• गुलाब जामुन दहरोरी यदि मुलायम होकर फूट गये हैं तो एक छन्नी में एक घन्टा रख दें। चाशनी निकलने के बाद मिक्सी में पल्प है तो आधा कटोरी नारियल चूरा, मेवा काटकर डालना चाहें तो इलाइची पाउडर डाल लड्डू बनायें और ऊपर से नारियल चूरा लपेट दें।
• त्यौहार के अन्त में हर डब्बे में 2-2 4-4 मिठाई बचती है चाहे जो मिठाई हो मिक्सी में पीस नारियल पाउडर डाल लड्डू बना लें।
• खाजा बचा है और टूटा-फूटा हो तो दूध औटाकर डालें। शक्कर ना डालें। ठंडा या गर्म जैसा भी खायें।
• मेहमान आने से अंदाज गड़बड़ हो जाता है। दाल और सब्जी बच जाती है। हर प्रकार की सब्जी, दाल, हरीमिर्च, धनिया डालकर पीस लें। एक कप गेहूं के आंटे में कस्तुरी मेथी, 2 चम्मच तेल डालें, अजवाइन, 2 चम्मच बेसन अगर भात बचा है उसे भी डाल सब्जी के साथ पीसें, नही तो 2 चम्मच चावल आंटा डालें। दही का पानी निकाल दो चम्मच डालें। पूरे को गूथ लें, पतले पतले थेपला बेल तेल लगाकर संकें, 2-3 दिन खराब नही होता।
• दही बड़ा बच गया है तो निकालकर गर्म पानी में डालें। बाहर कर छान कर तवे में सुखा लें। फ्रीज़ में रखें, 2-3 दिन के बाद भी सांभर बड़ा या कढ़ी बना सकते हैं।
दही बहुत खट्टी हो गयी हो तो 2 गिलास पानी डाल थोड़ी डर रखें। ऊपर का पानी निकाल दें, 2 बार यही क्रिया करें। फिर छन्नी में छान थोड़ा दूध मिला दें, रायता बनेगा। चाहें तो 1 चम्मच शक्कर डाल दें।
●इस तरह हर महीने जादू की पोटली खोलती जाऊंगी।
~स्नेहलता झा(रायपुर)
सहयोगी-
~प्राची ठाकुर(रायपुर)
~अनुजा झा(कांकेर)
■घरेलु नुस्खे:-
■वेस्ट से बेस्ट-
आयुर्वेदाचार्य जीवक के अनुसार भगवान ने जहर से लेकर अमृत तक बनाया। उन्होनें जब खोज किया तब जीवक को लगा कोई भी वस्तु भगवान की बनाई बेकार नहीं है। उन्ही को अनुशरण कर मैं भी कह रही हूँ। खराब होने के बाद भी वस्तुओं का उपभोग किया जा सकता है।
• बरसात में आंटा, बेसन, सत्तु, सूजी, टमाटरसौस, आचार, शरबत, मिठाई बची हई।
किस किस का नाम गिनाएं, आइये उन्ही का उपयोग करें।
सभी प्रकार के आंटे, सत्तु, रवा को छान लें। सूखी कढ़ाई में थोड़ा सेंक लें। थोड़ी हल्दी और दही मिलकर नहाएं। संतरा पाउडर और मेथी डाल दें, शानदार उबटन तैयार।
• आम का, नींबू का, आचार में फफूंद लग गया हो तो उतना भाग निकालें। उसमे नमक मिलाकर एक डब्बे में रखें, रात में तवा, लोहे की कढ़ाई, पूजा के बरतन में लगा के रखें, सुबह साफ करें। टमाटरसौस भी उसी तरह उपयोग करें।
• शरबत, रूह अफज़ा के अलावा कोई भी हों। खराब हो गया तो छान लें। एक कप शरबत में नींबू के अलावा बाकी में चार चम्मच नींबू का रस, चार चम्मच गुलाब जल और चार हम्मच ग्लिसरीन डाल मिला दें। विंटर लोशन ठंड में नहाने के पहले पूरे शरीर में लगाएं।
• ब्रेड अधिक आ गया है या सूख गया है, तो टुकड़ा कर सुखा लें। मिक्सी में पीस बॉटल में रखें। कटलेट आलु बोन्दा में उपयोग करें। दही में घोल हाथ-पैर, चेहरे में लगायें, ईस्ट के कारण रंग साफ़ करता है। संतरा पाउडर, मेथी डाल उबटन बनाएं।
• गुलाब जामुन दहरोरी यदि मुलायम होकर फूट गये हैं तो एक छन्नी में एक घन्टा रख दें। चाशनी निकलने के बाद मिक्सी में पल्प है तो आधा कटोरी नारियल चूरा, मेवा काटकर डालना चाहें तो इलाइची पाउडर डाल लड्डू बनायें और ऊपर से नारियल चूरा लपेट दें।
• त्यौहार के अन्त में हर डब्बे में 2-2 4-4 मिठाई बचती है चाहे जो मिठाई हो मिक्सी में पीस नारियल पाउडर डाल लड्डू बना लें।
• खाजा बचा है और टूटा-फूटा हो तो दूध औटाकर डालें। शक्कर ना डालें। ठंडा या गर्म जैसा भी खायें।
• मेहमान आने से अंदाज गड़बड़ हो जाता है। दाल और सब्जी बच जाती है। हर प्रकार की सब्जी, दाल, हरीमिर्च, धनिया डालकर पीस लें। एक कप गेहूं के आंटे में कस्तुरी मेथी, 2 चम्मच तेल डालें, अजवाइन, 2 चम्मच बेसन अगर भात बचा है उसे भी डाल सब्जी के साथ पीसें, नही तो 2 चम्मच चावल आंटा डालें। दही का पानी निकाल दो चम्मच डालें। पूरे को गूथ लें, पतले पतले थेपला बेल तेल लगाकर संकें, 2-3 दिन खराब नही होता।
• दही बड़ा बच गया है तो निकालकर गर्म पानी में डालें। बाहर कर छान कर तवे में सुखा लें। फ्रीज़ में रखें, 2-3 दिन के बाद भी सांभर बड़ा या कढ़ी बना सकते हैं।
दही बहुत खट्टी हो गयी हो तो 2 गिलास पानी डाल थोड़ी डर रखें। ऊपर का पानी निकाल दें, 2 बार यही क्रिया करें। फिर छन्नी में छान थोड़ा दूध मिला दें, रायता बनेगा। चाहें तो 1 चम्मच शक्कर डाल दें।
●इस तरह हर महीने जादू की पोटली खोलती जाऊंगी।
~स्नेहलता झा(रायपुर)
सहयोगी-
~प्राची ठाकुर(रायपुर)
~अनुजा झा(कांकेर)
•प्राचीन प्रभा पुनि लाएंगे, दुनिया में धूम मचाएंगे।
भारतीय संस्कृति खुशबू सारे जग में फैलायेंगे।।
कोरोना के कारण हम अपनी पुरानी संस्कृति को अपना रहे हैं। बाहर से आकर कपड़े बदलना, नहाना, बाहर का खाना न खाना, दूर से नमस्ते कहना, एक दुसरे से दूर बैठना, घर में रहना। खान पान में भी हम पुरानी चीज़ें जो भूल गए थे उसे अपना रहे हैं। आज चार महीने से दोनों समय काढ़ा पीते हैं। वह संक्रामक रोग से लड़ने में सहायता करता है, शरीर की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली या यों कहें प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत बनाता है। साथ में सोंठ का लड्डू, मेथी लड्डू, पचकौरा असगन्ध के लड्डू को भी खायें।
•हमारी परदादी से लेकर माँ तक परनानी सभी बच्चा होने के बाद पांच दिन कांके, हरीरा, सोंठ लड्डू, असगन्ध, गोंद देती थी। वही है, और स्वास्थ्य ठीक रहता था। आइये हम पुरानी मान्यता को अपनाएं। कांके की लकड़ी मिलती है। उसके ऊपर रिसर्च भी हुआ है। और यह बात पता चली है कि कांके पानी में इम्युनिटी बढ़ाने के गुण हैं। पेट साफ करता है, रोगप्रतिरोधक है। पचकौरा रोज एक चम्मच चांवल या रोटी के साथ खाएं। हल्दी एंटिबायटिक है, पेट साफ करता है। हरीरा का भी काढ़ा जैसा ही प्रभाव है। हल्दी दोनों में पड़ता है, वह खून भी साफ करता है। सोंठ और असगन्ध के लड्डू सर्दी-खांसी से रक्षा करते हैं। दोनों शरीर को मजबूत बनाते हैं।
•अब काढ़ा पाउडर बनाएं:-1/4-1/4 कप धनिया, जीरा, अजवाइन। चार-चार चम्मच दालचीनी, असगन्ध, कालीमिर्च, सोंठ, सतावरी सभी को पीस कर डिब्बे में रखें। एक गिलास या कप पानी उबालें। 2 चम्मच गुड़ और 1/2 चम्मच काढ़ा पाउडर डालें। 10 पत्ती तुलसी का डालें, एक उबाल होने पर 2 मिनट ढंक दें और छान कर गर्म गर्म पियें। यह टौकसिन को बाहर निकालती है और नयी उर्जा प्रदान करती है।
•एक कप दूध में एक चुटकी हल्दी, लौंग, तुलसी, सोंठ पाउडर डाल कर रात में पीएं। वह भी काढ़ा का काम करेगा। जितनी चीज़ें मैनें बताया है, सभी उम्र के लोग पी सकते हैं। इन जड़ी बूटियों का आंकलन करने की भूल ना करें। जो हमें विरासत में मिला है उसे आगे बढ़ाएँ।
•स्नेहलता उमाकान्त झा
मातृ देवी भवः ,पितृ देव भवः आचार्य देव भवः इस मंत्र मे माता का स्थान पहले है देवो से देवी का स्थान पहले है जैसे गौरी शंकर , सीता राम ,राधा कृष्ण स्त्री मात्रा जगदम्बा भगवती केचर और प्रत्यच रूप है वही जन्मदात्री पालयत्री यही मातृ शक्ति है संसार की येसी कोन सी शक्ति है जो जन्म देती है दूध पिलाती है सन्तान के जन्म से कष्ट को विपत्ति को उससे दूर रखती है ।अपने बच्चे का चहेरा देख कर उसके तकलीफ को अनुभव करती है रात रात भर जाग कर पालन पोषण करती है वही स्नेह मयी मातृ शक्ति है ।
अभिमनियु, शिवाजी, मार्कंड़य आदि आदर्श माता की संतान थे
माँ की कोख से चक्रवुह भेदन ,वीरता और देश भक्ति सीखी थी ।
माँ बच्चो की दी शिक्चा सदा साथ रहती है माता ही प्रथम गुरु है । ऊगली पकड़ कर चलना सीखाती हैऔर शारीरिक,मानसिकविकाश माता के कारण ही होता है ।
पशु पक्षी भी अपनी संतान के लिये त्याग करते है चिड़िया दाना लाकर चुगाती है और उड़ना सिखाती है यह निस्वर्थ भवना केवल माँ मे ही हो सकती है वह मातृ शक्ति ही है जो मानवीयता का पाठ और सही गलत का ज्ञान करती है। वीर माताओं ने ही वीर पुत्रो को जन्मदिया है भगत सिंह ,आजाद जैसे अनेको है जिन्होंने मातृ शक्ति का मान रखा है अंत में समस्त मातृ शक्ति को मेरा नमन 🙏🙏
स्नेह लता उमाकांत झा
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