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सागरिका की पवित्र नदी माँ रेणुका स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा शहीदों की कथाएं समस्त जानकारी की संयोजिता श्रीमति ज्योति झा एवं सखियां....

श्रीमती रुचि झा गोंदिया



स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिनके पास शासन द्वारा प्रमाण पत्र प्राप्त है और स्वतंत्रता संग्राम सैनिक वे है जिन्होंने भाग लिया और वे ही बो नीव के पत्थर है जो अतीत के गर्त में छुपे है हमारे मैथिल ब्राह्मण समाज का गरिमामय इतिहास है और उस समय प्रत्यक्ष या परोक्ष जजैसे भी आप सब अपने पूर्वजो के विषय मे अपने बडो से सुना हो उस संस्मरण को आप सब से निवेदन है कि इस ग्रुप मे लिख कर डाले जिससे हम सब अपने  समाज के स्वर्णिम इतिहास है जुड़े और हमारी आने वाली पीढ़ी गर्व करे आप सब के लेख सादर आमंत्रित है
ज्योति रजत झा रायपुर मो 99777388 50 
श्रीमती नीता झा जी को भी भेज सकते है।सभी बडो को सदर प्रणाम,छोटो को मेरा स्नेह आशीष 🙏🙏🙌🏻🙌🏻😊😊

हमारी सबी बहनों को गर्व होगा जुबमति बाई की हमारे मैथिल ब्राह्मण थीं और सब को और अच्छे से समझ आयेगा आप पूज्य राजिवनयन झा जी की सासु माँ  थी ।डंगनिया (बिलासपुर के पास का गांव है खैरा डंगनिया कहते है) आप सब से सादर निवेदन है कि अपने परिवार और अपने रिस्तेदारो मे जो भी देश के स्वंत्रता से सम्बंधित कोई घटना जो आप अपने बडो से सुने हो उस गौरवशाली पल को हम सब आपस में एक दूसरे को भागीदार बनाये और हम अपने आने वाली पीढ़ी को भी अवगत कराये यही हमारा उदेश्य है आशा है आप सब जानकारी सौ नीता को या मुझे ज्योति रजत झा को प्रेषित करेगे मेरा नम्बर 9977738850
धन्यवाद
ज्योति रजत झा

हमारे समाज के वरिष्ट इतिहासकार डॉ रमेन्द्र नाथ मिश्र जी के द्वारा दी गई जानकारी- भारत की आज़ादी में जितना योगदान हमारे मैथिल पितृ शक्तियों का रहा उतना ही मातृ शक्तियों का भी रहा है। प्रत्यक्ष भी और परोक्ष भी .....



आइये आज ऐसे ही महान पूर्वजों को नमन करते हुए ब्लॉग के जरिए उनकी स्मृतियों को संजोते हैं। 
जब हमने आदरणीय डॉ० रमेन्द्र नाथ जी मिश्र मामाजी से इस विषय पर चर्चा की तो उन्होंने बहुत से लोगों के विषय मे हमे बताया उनके अनुसार मैथिल ब्राम्हण महिला मालगुजारीन का कार्यकाल बड़ा ही अच्छा माना जाता था। 
वे बड़ी कुशल प्रसाशिका थीं। दूसरी जाति के लोग भी उनका बहुत आदर करते थे। उनकी न्यायप्रियता का प्रमाण इन किस्सों से समझ जा सकता है।

पहला किस्सा - एक बार उनके किसी कर्मचारी ने कुछ चुरा लिया सब की शंका के विपरीत जुगमती बाई डंगनिया  ने सबके सामने अपनी कमर से चांदी का चाबी गुच्छा निकाल कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा"- तुम्हे क्या चाहिए निकाल लो" उनका इतना कहना था और उस कर्मचारी ने अपना अपराध कबूल लिया ऐसा मनोवैज्ञानिक तरीका था।  दण्ड न दे कर उसे गलती का अहसास कराया।
  
दूसरा किस्सा - उस समय का है जब देश मे भयंकर सूखा पड़ा हुआ था। लोगों के लिए जीवन चलाना मुश्किल हो रहा था।  ऐसे में सूचना मिली कि अंग्रेज लगान वसूली के लिए आने वाले हैं। मालगुजारीन जुगमती बाई जी ने पूरे गांव में खबर भिजवा दी कि अंग्रेजों  की आगवानी के लिए अपने घर के जितने भी फटे- पुराने चिथड़े हो चुके कपड़े हैं उनके तोरण से सारे गांव को सजाया जाए।

जब अंग्रेज लगान वसूली के लिए बड़े दम्भ से आया उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई चीथड़ों के वन्दनवार से उसका स्वागत किया जा रहा है । उसे बुरा लगा। उसने क्रोध में इसका कारण पूछा तब जुगमती बाई जी ने उस अंग्रेज को जो जवाब  दिया उससे वह लज्जित हो लौट गया "उन्होंने कहा अभी सभी जगह इतना भयंकर अकाल पड़ा हुआ है और तुम्हे अपने लगान की पड़ी है, तो तुम्हारा स्वागत भी ऐसे ही होगा, तुम्हे शर्म आनी चाहिए। इस प्रकार निर्भीकता पूर्वक उन्होनें अपनी बात रखी।
 
प्रस्तोता - श्रीमती नीता झा

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पुष्प डाल कर भेजे बालक और बालिका को अच्छी तरह से देख र्ले उनसे शंख और दूध लेकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें इधर उधर किसी भी को ना देखें सूर्य नारायण को प्रणाम करें पूजा रूम में प्रवेश करें बाल मुंकुद को प्रणाम करें कपड़ा नया वस्त्र धारण करें शृंगार करें आलता लगाए पति पत्नी दोनों गंठ बंधन करके पूजा की जगह पर बैठ जायें पूजा जैसे हम करतेप्रकार करे आरती करें भोग लगाए तन्त् पश्चात् जो परात में आम का पत्ता के ऊपर दिया रखें दिया में चावल के घोल से . + बनाये सिन्दूर लगाए हल्दी सुपाड़ी सिक्का चुड़ी दो रखें प्रत्येक दिये में सिन्दूर की पुड़िया रखें गुझिया रखें उसे भोग लगा कर पूजा के बाद प्रत्येक सुहागिनों को आंचल से करके उनके आचल में दें । फिर पूजा स्थल पर कुश बढ़ाओं चौक डाले पाटा रखें उसके ऊपर गाय + बैल + कहुआ को गोत्र के अनुसार रखें बैले हो तो घोती आढ़ऐ गाय हो तो साड़ी पूजा के बाद कांसे के थाली में बनी हुई समाग्री को पांच कौर शहद डाल कर सास या मां के द्वारा पांच कौर खिलाए उसके पहले ओली में पांच प्रकार का खाद्य समाग्री डाले जैसे गुझिया अनारस फल मेवा डालें और छोटे बच्चे के हाथ से निकलवाए हास्य होता है। थोड़ी देर के लिए गुझिया निकला तो लड़का प प्ची निकला तो लड़की फिर सभी सुहागिनी यों को भोजन करवाए आशा ठाकुर अम्लेश्वर 🙏🙏ज्युतिया ,,यह त्यौहार क्वांर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को अपने बच्चे की दीर्घायु , तेजस्वी , और स्वस्थ होने की कामना करते हुए माताएं इस दिन निर्जला व्रत करती है।विधि ज्युतिया के पहले दिन किचन शाम को साफ सुथरा कर पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है। शाम को तरोई या कुम्हड़ा के पत्ते पर पितराईन को दिया जाता है। उसके पहले चिल , सियारिन , जुट वाहन , कपूर बती , सुहाग बती , पाखर का झाड़ , को सभी चींजे खाने का बना हुआ रहता है। फल मिठाई दूध , दही , घी शक्कर मिला कर (मिक्स ) करके ओडगन दिया जाता है। तत् पश्चात जो इस दुनिया में नही है। उन पितराईन के नाम लेकर उस पत्ते पर रख कर उन्हें दिया जाता है। नाम लेकर *दूसरे दिन*सुबह स्नान कर प्रसाद बनाए अठवाई , बिना नमक का बड़ा शाम के समय पूजा करें *पूजा की तैयारी* चंदन , रोरी कुमकुम गुलाल , फूल , दूबी , अक्षत , तिल , कपूर आरती , घूप दीप भीगा मटर , खीरा या फिर केला ज्युतिया लपेटने के लिए गौर साठ का डिब्बा गौरी गणेश कलश चौक पूरे , गौरी गणेश कलश और ज्यूत वाहन पूजा के लिए पाटा रखें उसके उपर रेहन से पोता हुआ ग्लास उसमें भीगा हुआ मटर डाले खीरा या ककड़ी जो उपलब्ध हो उसमें आठ गठान आठ जगह पर बनी हुई ज्यूतीया लपेटे पूजा करें विधि वत हर पूजा करते है। ठीक उसी तरह आरती करें प्रसाद भोग लगाए *तीसरे दिन* सुबह स्नान कर भोजन बनाएं पिताराईन को जो चढ़ा हुआ प्रसाद रहता है। और ग्लास का मटर पहले पितराईन को ओडगन देवें पत्ते में रखकर और भोजन साथ साथ में देवें एक ज्यतिया दान करें ब्रम्हण के यहां सीधा , दक्षिणा रखकर दूसरा स्वयं पहने आस पास ब्राम्हण ना हो तो आप मंदिर में दान कर सकते है। *पूजा के पूर्व संकल्प करें*मासे मासे क्वांर मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी तिथि मम अपना नाम एवं गौत्र कहे और यह कहे सौभाग्यादि , समृद्धि हेतवे जीवीत पुत्रिका व्रतोपवासं तत्तपूजाच यथा विधि करिश्ये । कहकर फूल चढ़ाए प्रार्थना कर पूजा आरम्भ करें पूजा विधि सभी राज्यों में अपने अपने क्षेत्रों के अनुसार करें जिनके यहां जैसा चलता है परम्परा अपने कुल के नियम के अनुसार करें यूपी में बिहार में शाम को नदी , सरोव एवं तलाबों बावली के जगह पर जा कर वही चिडचीड़ा दातून 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बनाना ओली में डालने के लिए पिली चांवल हल्दी सुपारी रुपया या सिक्का सुहागिनों को भी ओली डालने के लिए 60 गुझिया , अनरसा , दहरोरी मिठाई खोये का बना हुआ पूजा के लिए पाटा या चौकी , बैठने के लिए पाटा गठबंधन के लिए घोती गठबंधन करने के लिए थोड़ी सी पीली चांवल एक हल्दी एक सुपारी एक रुपय का सिक्का फूल दूबी डालना और गठबधन करना है। दूबी फूल फूल माला दूबी गौरी गणोश को चढ़ाने के लिए अर्थात् गणेश जी को चढ़ाने के लिए दमाद ,या बेटा के पहने के लिए जनेऊ बहू या बेटी के लिए सोलह शृंगार गजरा आदि कांसे की थाली में भोजन फल , मेवा शहद रखने के लिए

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