अनंत चतुर्दशी की कथा हाथ में फूल , अक्षत एवं जल ले कर कथा सुने प्राचीन काल में सुमंत नामक एक ब्राम्हण था। जिसकी पुत्री सुशीला थी। सुशीला का विवाह कौडिन्य ऋषि से हुआ । जब सुशीला की बिदाई हुई तो उसकी विमाता कर्कशा ने कौडिन्य ऋषि को ईट पत्थर दिया रास्ते में जाते समय नदी पड़ा वहा पर रुक कर कौडिन्य ऋषि स्नान कर संध्या कर रहे थे। तब सुशीला ने उन्हें अनंत चतुर्दशी की महिमा का महत्व बताया और 14, गांठ वाली धागा उनके हाथ पर बांध दी जिसे सुशीला ने नदी किनारे प्राप्त की थी। कौडिन्य ऋषि को लगा की उनकी पत्नी सुशीला उनके ऊपर जादू टोना हा कर दी है। वह उस धागे को तुरन्त निकाल कर अग्नि में जला दिया जिससे अनंत भगवान का अपमान हुआ । और क्रोध में आकर कौडिन्य ऋषि का सारा सुख समृद्धि , संपत्ति नष्ट कर दिए कौडिन्य ऋषि का मन विचलित हो गया परेशान हो गए और आचनक राज पाठ जाने का कारण अपने पत्नी से पूछा तब उनकी पत्नी उन्हें सारी बातें बतायी यह सुनकर कौडिन्य ऋषि पश्चाताप करने लगा और घने वन की ओर चल दिए । वन में भटकते भटकते उन्हें थकान एवं कमजोरी होने लगा और मूछित होकर जम...